गूगल ने ‘फीयरलेस नादिया’ को उनकी 110वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री और स्टंटवुमन मैरी एन इवंस को उनके इसी नाम से दुनिया भर में जाता था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मौत को मात देने वाले स्टंट कर उन्होंने अपनी पहचान बनाई। 1930 और 40 के दशक में वह मुंबई सिनेमा के मशहूर चेहरों में से एक थीं। पांच साल की उम्र में भारत आई नादिया ने कई हुनर सीखे। उन्हें घुड़सवारी, शिकार, फिशिंग और शूटिंग में मजा आता था। 1935 में आई फिल्म ‘हंटरवाली’ ने उन्हें पूरे भारत में ख्याति दिलाई। इससे पहले नादिया ‘देश दीपक’ और ‘नूर-ए-यमन’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी थीं। नादिया अपने सभी स्टंट खुद किया करती थीं। चलती ट्रेन में फाइट हो, घुड़सवारी, झरनों से कूदना, सीढ़ियों व हवाई जहाज से लटकना या शेरों की बीच शूट करना उनके लिए बेहद आसान था।
ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में 1908 में जन्मी मैरी के पिता सैनिक थे और मां ग्रीक थीं। 1930 में नादिया ने थियेटर आर्टिस्ट के रूप में भारत का भ्रमण किया और जारको सर्कस में काम करना शुरू कर दिया। एक दिन फिल्म निर्माता जमशेद बोमन होमी की नजर उनपर पड़ी और वह काफी प्रभावित हुए। होमी ने ही उन्हें ‘देश दीपक’ में छोटा सा रोल दिया। इसकी चर्चा हुई तो अगली फिल्म में उन्हें लीड रोल मिल गया। मगर नादिया का सिक्का जमा ‘हंटरवाली’ से। उस समय की सबसे महंगी फिल्म ‘हंटरवाली’ को 80 हजार रुपये में बनाया गया था। 6 महीनों में तैयार हुई इस फिल्म में कई तरह के स्टंट्स दिखाए गए थे। पिछले दिनों आई फिल्म ‘रंगून’ में कंगना रनौत का किरदार नादिया से ही प्रेरित बताया जाता है।
164 मिनट लंबी इस फिल्म के केंद्र में थीं राजकुमारी माधुरी, जिनका किरदार नादिया ने निभाया। वह राजकुमारी मास्क लगाकर अन्याय के खिलाफ लड़ती है। यह रोल हिट हुआ और उसके साथ नादिया का घोड़ा और कुत्ता काफी पसंद आए।