एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, मोदी सरकार भारतीय इतिहास को दोबारा से लिखने का प्रयास कर रही है। लेखकों से बातचीत के दौरान इस कमेटी के अध्यक्ष श्री केएन दीक्षित ने बताया कि समिति को एक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है, जो प्राचीन भारतीय इतिहास के कुछ पहलुओं को दोबारा से लिखने में सरकार की मदद करेगी। एनडीटीवी ने दावा किया कि कल्चर मिनिस्टर महेश शर्मा ने भी एक इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया है कि इस समिति का काम भारतीय इतिहास को संशोधित करने की बड़ी योजना का हिस्सा है।
खबर के अनुसार, समिति का उद्देश्य ऐसे पुरातात्विक साक्ष्यों का इस्तेमाल करना है, जो यह साबित कर सके कि हिंदू ही सबसे प्राचीन लोगों के उत्तराधिकारी हैं और प्राचीन हिंदू शास्त्रों में कोई मनगढ़ंत कथाएं नहीं, बल्कि तथ्य हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक मनमोहन वैद्य ने भी रॉयटर्स से बातचीत के दौरान कहा, “भारतीय इतिहास का असली रंग भगवा है और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने के लिए हमें इतिहास को दोबारा लिखना होगा।” आरएसएस की इतिहास विंग के हेड बालमुकुंद पांडे का भी कहना है,”भारत के गौरवशाली इतिहास को सहेजने का यही सही वक्त है।” वहीं, संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने रॉयटर्स से बातचीत के दौरान बताया कि वह उम्मीद कर रहे हैं कि समिति द्वारा पेश किए जाने वाले निष्कर्षों को स्कूली किताबों और एकेडमिक रिसर्च में शामिल किया जाएगा।
वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने इतिहास दोबारा लिखे जाने की बात से इनकार किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अलग-अलग क्षेत्र के 17 लोगों को लेकर एक कमेटी बनायी है, जो 12000 साल पहले से लेकर अब तक भारतीय संस्कृति की शुरुआत और उसमें अन्य संस्कृतियों के मिलने के बाद हुए बदलावों का अध्ययन करेगी। इस समिति का कार्यकाल 1 साल का होगा। वहीं, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ऐसी किसी समिति को लेकर जानकारी होने से इनकार किया है। समिति के एक सदस्य का कहना है कि फिलहाल रिपोर्ट अपने शुरुआती चरण में है। इसके पूरा होने में अभी वक्त लगेगा। जैसे ही यह तैयार हो जाएगी, वैसे ही इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा।