मोदी सरकार की ओर से हाल में उठाए गए एक कदम से विवाद पैदा हो सकता है। केंद्र ने कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों दिवंगत इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर गृह मंत्रालय की ओर से हिंदी दिवस पर दिए जाने वाले सालाना राजभाषा पुरस्कारों का नाम बदल दिया है। ये पुरस्कार सरकार में हिंदी के प्रगतिशील तरीके से उपयोग के लिए दिए जाते हैं।
ईटी के पास राजभाषा विभाग की ओर से जारी निर्देश की कॉपी है। 25 मार्च 2015 को जारी किए गए इस आदेश में दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कारों को बदल दिया गया है। 1986 में शुरू किया गया 'इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार' अब राजभाषा कीर्ति पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा, जबकि 'राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' को अब राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना कहा जाएगा।
मंत्रालय की जॉइंट सेक्रेटरी पूनम जुनेजा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि नई पुरस्कार योजनाएं 2015-16 से शुरू की गई हैं और ये 1986 और 2005 में जारी पुराने निर्देश की जगह लेंगी। गृह मंत्रालय की ओर से यह निर्देश सभी राज्यों, मंत्रियों, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), राष्ट्रपति सचिवालय, कैबिनेट सचिवालय और लोकसभा, राज्यसभा सचिवालयों को भेजा गया है। ये पुरस्कार राष्ट्रपति 14 सितंबर को हिंदी दिवस के मौके पर मंत्रालयों, पीएसयू, केंद्र सरकार के अधिकारियों और प्राइवेट सिटीजंस को देते हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी से कहा कि यह फैसला मंत्रालयों और जनता के बीच मौजूदा पुरस्कार योजनाओं को लेकर भ्रम को समाप्त करने के लिए लिया गया है क्योंकि इनमें बहुत से कंपोनेंट हैं। उनका कहना था, 'पुराने पुरस्कारों को नए पुरस्कारों में मिला दिया गया है। इसमें किसी राजनीतिक विवाद का कोण शामिल नहीं है क्योंकि पुरस्कार बीजेपी के किसी वरिष्ठ नेता या किसी हिंदी कवि के नाम पर नहीं दिए जा रहे। हालांकि, इस बारे में कुछ सुझाव मिले थे। इस प्रक्रिया पर पिछले वर्ष से काम हो रहा है। नए पुरस्कारों के तहत वित्तीय प्रोत्साहन बढ़ाए गए हैं।'
ईटी के पास वह बुकलेट भी मौजूद है, जिसमें गृह मंत्रालय की '300 दिनों की उपलब्धियों' की जानकारी दी गई है। इसमें भी इस बदलाव की पुष्टि की गई है। हालांकि, इस बारे में मंत्रालय के प्रवक्ता ने टिप्पणी देने से मना कर दिया।
अभी तक इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार के तहत हिंदी का सबसे प्रगतिशील उपयोग करने वाले मंत्रालयों या सरकारी कंपनियों या बैंकों को पुरस्कार के तौर पर शील्ड दी जाती थी, जबकि हिंदी में सर्वश्रेष्ठ मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 40,000 रुपये से एक लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार मिलते थे। राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार के तहत विज्ञान आधारित विषयों पर हिंदी में किसी व्यक्ति की ओर से लिखी गई पुस्तकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते थे।
अब राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के तहत मंत्रालयों, पीएसयू, ऑटोनॉमस बोर्ड्स और सरकारी बैंकों को 39 शील्ड्स दी जाएंगी। नई राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना के तहत ज्ञान और विज्ञान विषयों पर क्वॉलिटी वाली पुस्तकें लिखने वाले नागरिकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये (पहले के समान) 13 पुरस्कार दिए जाएंगे। लेकिन हिंदी में मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 30,000 रुपये से एक लाख रुपये के चार नकद पुरस्कार दिए जाएंगे, जो राजीव गांधी के नाम पर दिए जाने वाले पिछले पुरस्कार के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा नकद रकम है।
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से