एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा डाक बंगले में सीसीटीवी के नीचे बैठकर रिश्वत लेने के मामले को सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। सरकार का मानना है कि रिश्वत लेने के हजारों सुरक्षित तरीके होने के बाद भी किसी अधिकारी द्वारा डाक बंगले में बैठकर रिश्वत लेना सरकार कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार की नाराज़गी रिश्वत लेने पर नहीं रिश्वत लेने के तरीके पर है। एक आईपीएस अधिकारी होकर भी इस नौसिखिया तरीके से रिश्वत लेने की घटना ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। सरकारी सूत्रों का मानना है कि जब आईपीएस अधिकारी होकर भी इस आदमी में रिश्वत लेने की तमीज नहीं तो ऐसे अधिकारी के भरोसे सरकार अपन काम कैसे कर पाएगी। इतने साल इतने बड़े पद पर रहकर भी जिस अधिकारी को रिश्वत लेना तक नहीं आता है, ऐसे अधिकारी को किसी भी पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं।
इधर सरकारी अधिकारियों की संस्था ने भी इस बात पर अफ़सोस जाहिर किया कि इतने वर्षों का अनुभव, ट्रैनिंग सब होते हुए भी रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होना इस बात का प्रमाण है कि हमारे अधिकारियों को रिश्वत लेने के मामले में अधकचरे सिध्द हुए हैं, इनको और प्रशिक्षण की ज़रुरत है।
सरकार ने प्रदेश भर के वरिष्ठ अधिकारियों को एक गोपनीय सर्कुलर भेजकर उनके द्वारा रिश्वत लिए जाने के तरीकों की जानकारी मंगाई गई है। उनसे पूछा है कि उन्होंने कब-कब किस काम के लिए रिश्वत ली और कैसे ली। रिश्वत ली तो पकड़ाए क्यों नहीं? सरकार ने रिटायर हो चुके उन अधिकारियों की भी जानकारी मांगी है जिन्होंने ज़िंदगी भर रिश्वत ली और पकड़ाए नहीं।
ऐसे ही रिटायर अधिकारी ने बताया कि उसने जिंदगी भर रिश्वत ली और आराम से रिटायर हो गया, अगर सरकार चाहे तो उसे सरकारी अधिकारियों को रिश्वत लेने के लिए प्रशिक्षण देने की सेवा में रख सकती है। इस अधिकारी का कहना था कि वह रिश्वत हमेशा किसी बैंक के कैश काउंटर के बाहर बैठे लोगों के बीच बैठकर लेता था। कई बार लोकायुक्त वालों ने उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह यह कहकर बच गया कि ये पैसे तो किसी और के हैं, ये तो बैंक है यहाँ कोई भी कितने पैसे लेकर आ सकता है। कई बार रिश्वत लेने में सफल होने के बाद उसने तत्काल बैंक के कैश काउंटर से रिश्वत के पैसे बदलवा लिए ताकि रिश्वत के जो पैसे उसे दिए गए वो तो बैंक के कैश काउंटर में चले गए और उसके पास दूसरे नोट आ गए। इस तरह रिश्वत लेने के लिए उसने अपने कई जूनियर और सीनियर अधिकारियों को प्रशिक्षित किया और आज तक कोई भी नहीं पकड़ाया।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मैं रिश्वत हमेंशा पशु हाट में या कृषि उपज मंडी में लेता हूँ, एक तो वहाँ कोई कैमरा नहीं होता, दूसरे इतनी भीड़ होती है कि कोई कुछ समझ नहीं पाता, तीसरा यहाँ हर आदमी के हाथ में कैश होता है। यहाँ किसी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा ही नहीं जा सकता।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मैंने तो शहर के कुछ व्यापारियों, शराब की दुकान वालों और पेट्रोल पंप वालों को फिक्स कर रखा है। जिसको भी रिश्वत देना हो वहाँ जाकर रिश्वत दे आए और वहाँ से रिश्वत देने वालों को कोड वर्ड में एक पर्ची दे दी जाती है, वह पर्ची मुझे मिलते ही मैं समझ जाता हूँ कि रिश्वत के पैसे सही हाथों में पहुँच गए। इन जगहों पर हमेशा भारी कैश होता है इसलिए कभी कोई नहीं पकड़ा जा सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि मैं तो रिश्वत के मामले में बिल्कुल अनाड़ी हूँ। रिश्वत लेने और पैसे ठिकाने लगाने का काम तो मेरी पत्नी करती है, मैं आज तक अपनी पत्नी से ये नहीं पूछ पाया कि वो रिश्वत कैसे लेती है और फिर कैसे पैसे ठिकाने लगाती है।
सरकार को रिश्वत लेने के ऐसे सनसनीखेज और गोपनीय तरीकों की जानकारी लगातार मिल रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एक ही सर्कुलर से उत्साहवर्ध्दक फीडबैक सामने आए हैं। शीघ्र ही एक कमेटी बनाकर इन सभी सुझावों की समीक्षा की जाएगी और कुछ चुनिंदा सुझावोँ का व्यावहारिक परीक्षण कर इन्हें पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। सरकार हर अधिकारी को गोपनीय कैमरे की पहचान करने वाला उपकरण देने की योजना भी बना रही है ताकि रिश्वत लेने के पहले उसे पता चल जाए कि आसपास कहीं कैमरे तो फिट नहीं है।
इसी बीच सरकार ने प्रदेश भर के अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि जब तक सरकार रिश्वत लेने के अधिकृत तरीकों के बारे में सर्कुलर जारी करे, इसी बीच अगर कोई अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा गया तो उसकी सेवाएँ तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी।
साभार इन्दौर से प्रकाशित दैनिक प्रजातंत्र से
कार्टून साभार- http://cartoonsagainstcorruption.blogspot.com/ से