Monday, November 25, 2024
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पोरबंदर से दिल्ली तक 1400 किलोमीटर की हरी दीवार बनाएगी सरकार

केंद्र सरकार ने देश में पर्यावरण को बचाने के लिए और हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए 1400 किलोमीटर लंबी ‘ग्रीन वॉल’ तैयार करने का फैसला लिया है। इस ‘ग्रीन वॉल’ को अफ्रीका महाद्वीप में बनाए गए वॉल के तर्ज पर तैयार किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ पश्चिम की तरफ से आने वाली धूल भरी हवाओं को रोकना भी शामिल है।
अफ्रीका में सेनेगल से जिबूती तक बनी हरित पट्टी की तर्ज पर गुजरात से लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमा तक ‘ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया’ का निर्माण किया जाएगा। इस वॉल की लंबाई 1400 किलोमीटर जबकि चौड़ाई पांच किलोमीटर तक होगी। अफ्रीका में इसका निर्माण पर्यावरणीय बदलावों और बढ़ते रेगिस्तान से निपटने के लिए किया गया है। इसे ‘ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ सहारा’ भी कहा जाता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का यह विचार अभी अपने शुरूआती दौर में है, लेकिन कई मंत्रालयों के अधिकारी इसे लेकर खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं। यदि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलती है तो यह भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए भविष्य में भी एक मिसाल की तरह होगा।

पश्चिम की तरफ से आने वाली धूल को रोकने में मदद होगी
इसका निर्माण थार के रेगिस्तान के पूर्वी तरफ किया जाएगा। गुजरात के पोरबंदर से लेकर हरियाणा के पानीपत तक इसका निर्माण किया जाएगा। इस ग्रीन वॉल से घट रहे वन क्षेत्रों में इजाफा होगा। साथ ही गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में फैली अरावली की पहाड़ियों पर घटती हरियाली के संकट को भी कम किया जा सकेगा।

इस ग्रीन वॉल के निर्माण से पश्चिमी भारत और पाकिस्तान की तरफ से दिल्ली आने वाली धूल भरी हवाओं को रोकने में भी मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि भारत में घटते वन और बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का यह विचार हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (सीओपी14) से आया है। हालांकि अभी यह विचार मंजूरी के लिए आखिरी चरण में नहीं पहुंचा है।

2030 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा जाएगा
बता दें कि अफ्रीका में ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ पर करीब एक दशक पहले काम शुरू हुआ था। हालांकि इसमें कई देशों की भागीदारी होने और उनकी अलग-अलग कार्यप्रणाली के चलते अब भी यह पूरी नहीं हो पाया है। भारत सरकार इस प्रोजेक्ट को 2030 तक राष्ट्रीय प्राथमिकता में रखकर साकार करना चाहती है। इस प्रोजेक्ट के तहत दो करोड़ 60 लाख हेक्टेयर भूमि को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य है।

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