सरकार अब जीवित पशुओं को विदेशी कत्लखानों में कत्ल करने के लिए भेजने की योजना बना रही है । देश भर के पशुप्रेमी इसके विरोध में उतर आए हैं। इसको लेकर भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को हजारों पत्र और इ मेल भेजे गए हैं। आप भी अपने स्तर पर ये पत्र इ मेल या डाक से अपने सांसदों विधायकों व जागरुक लोगों के माध्यम से सरकार तक पहुँचाएं ताकि मूक पशुओं को विदेशी कत्लखानों में भेजने से बचाया जा सके।
श्रीमान संयुक्त सचिव महोदय,
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय,
कृषि भवन,
नई दिल्ली-
110001
ईमेल:
office-mos@dof.gov.in
gn.Singh13@nic.in
gagan.garg@nic.in
us.petitions@rb.nic.in,
oo-asac@gov.in,
rupalaoffice@gmail.com,
ramias.2008@gov.in,
malikapandey98@gmail.com
secyahd@nic.in
speakforanimals9@gmail.com
विषय: आपके कार्यालय ज्ञापन दिनांक 07.06.23 के द्वारा सूचित किया गये- *पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023* (ड्राफ्ट)
के सन्दर्भ में।
महोदय,
नमस्कार।
हम,पशु प्रेमी होने के नाते, इस विषय में हितधारकों में से एक हैं और तदनुसार, हमें इस पर निम्नलिखित आपत्तियां हैं: –
1. प्रस्तावित बिल आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित करता है और उनको *लाइव स्टॉक एक्सपोर्ट* करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है।
जिंदा पशु-पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा-फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से पुश करना, संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है।
वर्तमान में दुनिया भर में भी जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना कर, जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग की जा रही है। इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि भारत से बड़े पैमाने पर मांस निर्यात के चलते, पशु-पक्षी वर्ग तो पहले से ही सरकार और इसकी मशीनरी की घोर उपेक्षा एवं उदासीनता का शिकार है। सरकारी स्तर पर कहीं पर तो उनके शोषण को रोकने की सीमा रेखा हो।
2. आपकी वेबसाइट में दी गई जानकारी में बताया गया है कि आपके मंत्रालय का क्षेत्राधिकार केवल पशुओं के आयात से संबंधित मामलों तक ही सीमित है और निर्यात मामला डीजीएफटी, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसला, आपके मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में नहीं आने के कारण, संपूर्ण विधेयक की कानूनी वैधता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है।
3. हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार दिया जाना चाहिए था, जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यतः 30 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि नाकाफी है। इस तरह के सामान्य मानदंडों को दरकिनार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद बाहरी निहित स्वार्थ के प्रभाव में, इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहा जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
4. बोवाइन की व्याख्या में आप ने गाय बेल सबको लपेट लिया है , यह बहुत अनुचित है , गाय हमारी माता है
कोई भला माँ की भी निकास कर देगा
?
भारत के सभी पशु पक्षी भारत में सुरक्षित है – इन्हें विदेश भेजने की कोई ज़रूरत नहीं है
उपरोक्त आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि
i) प्रस्तावित विधेयक को तुरंत रद्द करें और