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14वें मेटा समारोह का शानदार समापन

नई दिल्ली, 13 मार्च 2019: 14वें महिंद्रा एक्सीलेंस इन थियेटर अवार्ड्स (मेटा) फेस्टिवल के रेड-कारपेट अवार्ड समारोह में थियेटर जगत की हस्तियों और थियेटर प्रेमियों ने हिस्सा लिया| महिंद्रा ग्रुप के सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में प्रचारित और प्रमुख मनोरंजन कम्पनी टीमवर्क आर्ट्स द्वारा एक एक सप्ताह तक चलने वाले, इस नाट्य उत्सव का समापन मंगलवार को कमानी ऑडीटोरियम में ‘गाला नाईट’ के रूप में हुआ|

भारत में, थियेटर का बहुत प्राचीन और वैविध्य भरा इतिहास रहा है, जिसमें भिन्न प्रान्तों, भाषाओँ और बोलियों की साझेदारी रही है| इस इतिहास में जहाँ ‘नौटंकी’ का रंगों भरा संगीत है, तो वहीँ ‘बंजारों’ का नृत्य| इसमें दिल को छू लेने वाला ‘बाउल’ है, तो नाटकीय ‘जात्रा’ भी और ‘सूत्रधार’ की बुद्धिमत्ता को भला कैसे भूला जा सकता है| महिंद्रा एक्सीलेंस इन थियेटर अवार्ड्स जहां प्रतिभा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाता है, वहीं वह इसकी वैविध्य भरी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का जश्न भी मनाता है| मेटा भारत का सबसे ख्यातिप्राप्त थियेटर अवार्ड है, जो 14 श्रेणियों में मंच और मंच के पीछे काम करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित करता है, जिसमें प्रतिष्ठित लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी शामिल है|

पुरस्कारों के 14वें संस्करण की ज्यूरी में जाने-माने थियेटर कलाकार, अभिनेता और नाटककार आकाश खुराना, इंडिया फाउंडेशन फॉर द आर्ट के संस्थापक और भूतपूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनमोल वेल्लानी, लोकप्रिय भारतीय अभिनेत्री, गायिका और टीवी व्यक्तित्व ईला अरुण, उत्कृष्ट भारतीय कलाकार, कुलभूषण खरबंदा, नृत्यग्राम की मैनेजिंग ट्रस्टी और भारत की पहली प्रोफेशनल लाइटिंग डिजाइनर लिन फ़र्नांडिस, द हिन्दू के भूतपूर्व संपादक और ‘द हडल’ के क्यूरेटर मुकुंद पद्मनाभन, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्य इतिहासकार, शोधार्थी, लेखक और आलोचक सुनील कोठारी, और राजधानी के सबसे पुराने थियेटर ग्रुप, यात्रिक के भूतपूर्व और वर्तमान में इंडिया हैबिटैट सेंटर, नई दिल्ली के डायरेक्टर, सुनीत टंडन शामिल रहे|

ताम मणिपुर के अंधा युग के हिंदी संस्करण ने 2019 मेटा का बेस्ट प्ले हासिल किया| इसी के साथ प्रकाश मंगलदीन सिंह को बेस्ट स्टेज डिजाइन, साजिदा साजी को बेस्ट कॉस्टयूम और देबरती मजुमदार को बेस्ट इनोवेटिव साउंड डिजाइन मिला| बेस्ट इनोवेटिव साउंड डिजाइन अवार्ड के लिए देबरती मजुमदार और सुमंत बालाकृष्णन व सुधीर रिखारी के बीच ‘टाई’ हुआ और दोनों पक्षों को यह अवार्ड साझा करना पड़ा| सुमंत बालाकृष्णन व सुधीर रिखारी को विस्मय के लूज़ वुमन के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ|

ताम मणिपुर की ही तरह, समागम रंगमंडल के अगरबत्ती की स्वाति दुबे को बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट लाइट डिजाइन प्राप्त हुआ| आशीष पाठक को बेस्ट ओरिजिनल स्क्रिप्ट; और रुक्मिणी सिरकार को अपनी भूमिका–‘ठकुराइन’, उस ठाकुर नेता की विधवा, जिसे दूसरे 23 ठाकुरों के साथ फूलन देवी और उसके गैंग ने मार डाला था–के लिए बेस्ट लीड रोल (फीमेल) प्राप्त हुआ| बेस्ट लीड रोल (फीमेल) अवार्ड भी रुक्मिणी सिरकार अंजना बालाजी के बीच टाई हुआ था| अंजना को तमिल नाटक चंडाला, इम्प्योर में निभाई भूमिका जननी के लिए यह सम्मान मिला, जननी उच्च जाति के परिवार कि वो युवती थी, जिसने चांडाल समुदाय के युवक के साथ शादी करने की हिम्मत दिखाई थी| सह-कलाकार धारानिधारण यू को अपनी भूमिका ‘आया’–जननी का सेवक, विश्वस्त, जो उसके विकास में उसकी मदद करता है–के लिए प्राप्त हुए बेस्ट एक्टर इन ए सपोर्टिंग रोल (मेल) अवार्ड से चंडाला, इम्प्योर ने मेटा 2019 में कुल दो पुरस्कार हासिल किए|

लिटिल अर्थ स्कूल ऑफ़ थियेटर मलप्पुरम की मलयालम प्रस्तुति चिल्लरा समरम को दो अवार्ड मिले, जिनमें बेस्ट एन्सेम्बल और बेस्ट कोरियोग्राफी शामिल हैं|

मेटा बेस्ट एक्टर इन ए लीड रोल (मेल) श्रुंघा बीवी को बंगलुरु के थियेटर तत्काल के कन्नड़ नाटक कोला में निभाई गई अभय (कन्नड़ परिवार के नाटक में मुख्य दो कजिन में से एक) की भूमिका के लिए मिला| वड़ोदरा के रंग प्रयोग के गुजराती नाटक अंधा युग में गांधारी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री मल्लिका लोखंडे को बेस्ट एक्टर इन ए सपोर्टिव रोल (फीमेल) प्राप्त हुआ|

आगाज़ थियेटर के भागी हुई लड़कियां को उनकी जीवंतता और सहज अभिनय के लिए स्पेशल ज्यूरी अवार्ड मिला|

भारत के सबसे प्रगतिशील नाटककार, महेश एलकुंचवार को मेटा 2019 लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया| मेटा, थियेटर के कलाकारों और दर्शकों के नाम दिए अपने सन्देश में, महेश एलकुंचवार ने कहा, “ये प्रतिष्ठित अवार्ड पाकर मैं बहुत खुश हूं| मेटा लगातार बेहतरीन थियेटर को सम्मानित कर रहा है| वास्तव में थियेटर को चाहने वाले लोगों से अवार्ड हासिल करना सच में खूबसूरत अनुभव है|”

महाराष्ट्र के विदर्भ प्रान्त से आने वाले महेश एलकुंचवार समकालीन भारतीय थियेटर में, तीन दशकों से भी अधिक समय के अपने प्रभावशाली काम की वजह से जाने जाते हैं| उन्होंने 1960 के दशक में नाटक लिखने शुरू किये थे, उनके कार्यों में पटकथा लेखन, आलोचनात्मक और मंचीय लेखन शामिल रहा| अपने महत्वपूर्ण कार्यों की वजह से वह जल्दी ही सामानांतर सिनेमा मूवमेंट का अटूट हिस्सा बन गए| वह ‘रंगायन’ के नेतृत्व में चलने वाले प्रगतिशील आन्दोलन का भी प्रमुख चेहरा रहे, जिसमें विजय मेहता, अरविन्द और सुलभा देशपांडे जैसे सितारे, नाटककार विजय तेंदुलकर और अभिनेता श्रीराम लागू शामिल रहे| आपके नाटक, वडा चिरेबंदी का मराठी, हिंदी और बंगाली में मंचन किया गया और इस पर टेलीविजन के लिए एक फिल्म भी बनाई गई| आपके दूसरे प्रमुख नाटक हैं सुल्तान, होली, गरबो, यातनाघर और आत्मकथा| आपके बहुत से नाटकों का अनुवाद और मंचन इंग्लिश और हिंदी में भी हुआ है| आपको होमी भाभा फेलोशिप (1976-78), नाट्यलेखन के लिए संगीत नाटक अकादेमी अवार्ड (1989), साहित्य अकादेमी अवार्ड (2002), सरस्वती सम्मान (2003), यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कन्सिन, यूएसए से ब्रिटिंघम फेलोशिप (2005) और जनस्थान पुरस्कार (2011) में प्राप्त हुआ|

पिछले सभी सालों के रिकॉर्ड तोड़ते हुए, इस बार चयन समिति को 414 प्रविष्टियों में से चुनाव करना पड़ा| चयन समिति में थियेटर की जानी-मानी हस्तियां शामिल थीं| हर साल की तरह इस साल भी शोर्टलिस्ट किये गए नाटकों का मंचन, राजधानी के श्री राम सेंटर और कमानी ऑडीटोरियम में, सप्ताह भर चलने वाले मेटा फेस्टिवल के दौरान किया गया| इस साल के 10 नामांकित नाटकों में गुजराती, मलयालम, तमिल, कन्नड़ के साथ हिंदी और अंग्रेजी नाटक शामिल थे|

कल्चरल आउटरीच ऑफ़ महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के प्रमुख, जय शाह ने फेस्टिवल के बारे में कहा, “14वें महिंद्रा एक्सीलेंस इन थियेटर अवार्ड्स के सप्ताह भर चले आयोजन में हमने नाटकों का वैविध्य देखा| अलग ढंग से बयां इन कहानियों में महाभारत से लेकर आज की शहरी बस्ती तक की वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया, इनमें चार स्वच्छंद लड़कियों का नजरिया था तो बहमई नरसंहार में बची एक विधवा की आपबीती भी; और जाति-वर्ग आधारित बंटे समाज में प्यार की दुखद परिणिति भी| इस साल के चयनित नाटकों में विषय, शैली और भाषा में विविधता थी| महिंद्रा ग्रुप इस वर्ष के मेटा पर विशेष रूप से आनंदित है|”

टीमवर्क आर्ट्स के एमडी व फेस्टिवल प्रोड्यूसर संजॉय के. रॉय ने कहा, “हर साल मेटा देशभर से बदलाव, संघर्ष और जूनून की कहानियां लेकर आता है| छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक से आई ये प्रस्तुतियां भारतीय थियेटर की ताकत और विविधता को दर्शाती हैं|”

पुरस्कृत अभिनेता, निदेशक, निर्माता और भारत के प्रमुख रेडियो जॉकी मन्त्रा ने इस दिलचस्प शाम का सञ्चालन किया, जिसमें अनेकों हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें डॉ. आकाश खुराना, अविजित दत्त, डेंजिल एल. स्मिथ, इला अरुण, कुलभूषण खरबंदा, लिन फर्नांडेज़, एमके रैना, मुकुंद पद्मनाभन, प्रकाश शुक्ल, राजी एम.शिंदे, शोभा दीपक सिंह, सीता रैना, डॉ. सुनील कोठारी, सुनीत टंडन, सुषमा सेठ, स्वरूपा घोष, वीणा बक्शी, विक्रम फुकन, विवेक नायेर और अन्य सितारे शामिल रहे| शाम की उल्लेखनीय प्रस्तुतियों में द रिविजिट प्रोजेक्ट और जयपुर घराने के गंगानी परिवार की छठी पीढ़ी का द प्रोजेक्ट गंगानीज शामिल रहा|

Learning@META के पिछले साल की सफल शुरुआत के बाद, इस साल भी फेस्टिवल में वर्कशॉप और सत्र चर्चा का आयोजन किया गया| ड्रामा स्कूल मुंबई (डीएसएम) की सहयोग से प्रबंधित इस श्रृंखला में, थियेटर के कलाकार और मेटा-नॉमिनेटेड सितारों ने हिस्सा लिया| भारतीय थियेटर को पोषित करने में यह वर्कशॉप मेटा का एक विस्तृत प्रयास है, जिसके माध्यम से इस कला को समर्पित साधकों के लिए एक समुदाय निर्मित किया जा सके| इसका लक्ष्य थियेटर और उसमें प्रयुक्त तकनीक, दक्षता के प्रति समाज को जागरूक करना है, जिससे वो समझ सकें कि एक बेहतरीन प्रस्तुति कैसे तैयार की जाती है| इस वर्ष वर्कशॉप का लक्ष्य शारीरिक हावभाव में निशब्दता, वोकलिज़ेशन, पटकथा लेखन और मंच पर कहानी कहने की कला पर केन्द्रित था, जिसमें अनिरुद्ध नायर, हेतल वारिया, कौमारेन वाल्वाने और जेहन मानेकशा जैसे विशेषज्ञों ने भाग लिया, साथ ही सत्र चर्चा में मुख्य ध्यान थियेटर कम्पनी बनाने और चलाने के पहलुओं पर रहा, जिसमें द टेडपोल रेपर्टरी से नील चौधरी; द काटकथा पपेट आर्ट्स ट्रस्ट से अनुरुपा रॉय; ड्रामा स्कूल मुंबई की आर्ट मैनेजर, परफोर्मेंस-मेकर प्रोग्राम हेड रागिनी सिंह खुशवाहा; द आगाज़ थियेटर ट्रस्ट से संयुक्ता साहा; थर्ड स्पेस कलेक्टिव से अनन्या त्रिपाठी, ध्वनि विज, नील सेनगुप्ता और राहुल तिवारी; जुनून थियेटर से संजना कपूर; ओडबर्ड थियेटर एंड फाउंडेशन से अखिल वाबले; श्री राम सेंटर से हेमंत भरत राम और स्टूडियो सफ़दर से सुधन्वा देशपांडे ने शिरकत की|

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महिंद्रा के बारे में

महिंद्रा समूह 20.7 अरब डॉलर का कारोबार करने वाली कंपनियों का परिसंघ है। महिंद्रा समूह का लक्ष्य लोगों को सक्षम बनाने पर केन्द्रित है। इसके लिये वह वैसे समाधान पेश करता है जो पावर मोबिलिटी, ग्रामीण समृद्धि, शहरी जीवन शैली तथा व्यवसाय दक्षता के स्तर को बढ़ाते हैं। यह उपयोगी वाहन, सूचना प्रौद्योगिकी,वित्तीय सेवाओं और अवकाश स्वामित्व के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर है और मात्रा के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी है। इसके अलावा इसने कृषि व्यवसाय, घटकों, वाणिज्यिक वाहनों, परामर्श सेवाओं, ऊर्जा, औद्योगिक उपकरण, रसद, अचल संपत्ति, इस्पात, एयरो स्पेस, रक्षा, और दोपहिया उद्योगों में भी मजबूत स्थिति बना ली है। भारत में मुख्यालय वाला महिंद्रा 100 देशों में 200,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

महिंद्रा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए – www.mahindra.com / Twitter और Facebook: @MahindraRise

टीमवर्क आर्ट्स के बारे में:

25 से अधिक वर्षों से टीमवर्क आर्ट्स ने भारत को पूरी दुनिया तक पहुंचाया है और पूरी दुनिया को भारत के पास लाया है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी,हांगकांग, इटली, इजरायल, कोरिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में, टीमवर्क आर्टस ने 40 से अधिक शहरों में 25 से अधिक अत्यधिक प्रशंसित प्रदर्शन कृतियों तथा दृश्य कृतियों को सृजित किया है तथा साहित्यिक उत्सवों का आयोजन किया है। टीमवर्क ने दुनिया के सबसे बड़े मुक्त साहित्यिक समारोहों में से एक समारोह वार्षिक जी जयपुर साहित्य महोत्सव, नई दिल्ली में इशारा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली महोत्सव और महिंद्रा एक्सेलेंस इन थियेटर अवार्ड्स (एमईटीए) एंड फेस्टिवल, दक्षिण अफ्रीका में इंटरनेशनल फेस्टिवेल्स शेयर्ड हिस्ट्री,अमरीका में आई आन इंडिया, हांगकांग में इंडिया बाई द बे और आस्ट्रेलिया में कंफ्लुएंस – फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया, ब्रिटेन में इंडिया@70 2017: ईयर ऑफ़ कल्चर और अनेक अन्य फेस्टिवल का आयोजन देश विदेश में करते हैं ।

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