Sunday, November 24, 2024
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हाड़ोती / नेहरू जी की स्मृतियां : इतिहास को जोड़ता वर्तमान.

 इतिहास बना 62 साल का कालखंड आज वर्तमान से जुड़ गया है। कोटा बैराज के साथ भारत के प्रथम प्रधान मंत्री स्व.जवाहर लाल नेहरू के साथ जुड़ी स्मृतियां ताजा हो उठी, जब उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप चंबल रिवर फ्रंट में नेहरू घाट विकसित कर उनके मुखौटे की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई। प्रतिमा की करिश्माई आंखों से नज़र आयेंगी रिवर फ्रंट की झलकियां। जिनकी आंखों के सामने  बहुउद्देशीय चंबल नदी घाटी परियोजना का सपना साकार हुआ और जिन्होंने  इस परियोजना में बनाए गए अंतिम बांध कोटा बैराज को राष्ट्र को समर्पित किया था, मूर्ति की आंखों में वह सपना और अतीत भी पर्यटक महसूस करेंगे।
आज 27 मई 2023 को नेहरू जी की पुण्यतिथि पर जानते हैं रिवर फ्रंट में निर्मित उनके मुखौटा प्रतिमा की विशेषताओं को। लगभग आठ महीने में तैयार हुआ पंडित नेहरू के मुखोटे का वजन करीब 25 टन है, जिसकी ऊंचाई 16.50 मीटर और  चौड़ाई 6 मीटर है। यह देश में सबसे विशाल मुखोटा है। जमीन से मुखोटे की ऊंचाई धरातल से करीब 264.50 मीटर है। मुख्य विशेषता है कि मुखोटे के पीछे सीढ़ियां और प्लेटफार्म बनाए गए हैं जहां से पर्यटक रिवर फ्रंट की खूबसूरती को निहार सकेंगे। आकर्षक लाइटिंग से यह रात्रि में भी सैलानियों को लुभाएगा। जयपुर – कोटा सड़क मार्ग की और से शुरू होने वाले रिवर फ्रंट का प्रथम आकर्षण है नेहरू जी का फेस।
 नगरीय विकास और स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा से जुड़ी नेहरू जी की स्मृतियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए नेहरू घाट और उनके फेस को रिवर फ्रंट में सम्मानजनक स्थान दिया। एक बार अपनी इस कल्पना के बारे में उन्होंने कहा था नेहरू ही थे जिनकी वजह से चंबल न केवल हाड़ोती वरन राजस्थान की जीवन रेखा बनी। करोड़ों रुपयों की लागत वाली सिंचाई और बिजली की परियोजनाएं आज राजस्थान की शान हैं, वह नेहरू जी की चंबल नदी घाटी परियोजना का ही साकार रूप है।
 उल्लेखनीय है कि नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के रूप में कोटा बैराज का  20 नवंबर 1960 को लोकार्पण किया था। नगरवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। आज बैराज की दाईं और बाई मुख्य नहराें द्वारा राजस्थान और मध्यप्रदेश की 6.50 लाख हैैक्टेयर भूमि  सिंचित हो रही है, काेटा सुपर थर्मल पावर   परियोजना की 7 इकाइयों से 1241 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा और कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा शहरों सहित हजारों गांवों की प्यास बुझा रहा है। चंबल नदी घाटी परियाेजना के अंतर्गत चंबल नदी पर गांधीसागर, जवाहरसागर और राणाप्रताप सागर बांध के बाद वर्ष 1953 – 54 में कोटा बैराज का निर्माण शुरू किया गया था। धरातल से इसकी ऊंचाई 37 मीटर है और लंबाई 552 फीट है। आधा बांध मिट्टी से और शेष कंक्रीट से निर्मित है, जिसे हजारों कारीगरों ने हाथों से बनाया है।
कोटा बैराज बांध जलग्रहण क्षेत्र 27,332 वर्ग किलोमीटर है। बांध का अधिकतम जलस्तर 857 फीट है और इसकी जल ग्रहण 0.08 लाख एकड फीट एवं जलग्रहण क्षेत्र 16.600 वर्गमील है। बैराज में जल निकासी के लिए 40*40 फीट आकार के 19 गेट बनाये गये हैं। इससे अधिकतम 7 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी एक साथ निकाला ला सकता है। बैराज से संबंधित जानकारियों को समीप ही स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय में दर्शाया गया है।
 नेहरू जी की स्मृति स्वरूप शहर में कई पार्क विकसित हैं और कई शिक्षण संस्थाओं के नाम भी उनकी स्मृतियों से जुड़े हैं।
(लेखक कोटा में रहते हैं और ऐतिहासिक व  पर्टयन से जुड़े विषयों पर लिखते हैं) 

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