67 वाद्य बजा कर “गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में दर्ज है नाम.। संगीत से पानी में लहरें, सरफेस पर रंगोली, कांच में कम्पन पर कर रहे हैं शोध ।
संगीत से कांच में वाइब्रेशन , पानी में लहरें और कोई भी इंस्ट्रूमेंट उनके साथ अपने आप बजने लगना , डिप्रेशन में गए इंसान का ठीक हो जाना, सरफेस पर रंगोली बनना, रूम टेंपरेचर कम और ज्यादा हो जाना और प्रकाश की गति का मुड़ना। यकायक यह सुन कर विश्वास नहीं होता है कि क्या था संभव है। कहा जाता है तानसेन जब गाते थे तो दीपक जल उठते थे। ऐसे ही अविश्वनीय संगीत के तथ्यों पर अनुसंधान करने में जुटे हैं झालावाड़ के संगीत व्याख्याता सौरभ सोनी।
सौरभ बताते हैं उन्होंने पिछले साल दिसंबर में वीडियो पर एक इंटरव्यू देखा था, जिसमें एक ओपेरा सिंगर बोल रही थी कि मैं जब गाती हूं तो मेरी आवाज से कांच के गिलास फूट जाते हैं। इंटरव्यूवर ने कहा कर के दिखाओ तो उस सिंगार ने जब गाया तो कांच के गिलास के टुकड़े – टुकड़े हो गए। तब इंटरव्यूवर ने उससे पूछा आपने यह चीज कहां से सीखी तो उसका जवाब था मैंने यह चीज मेरे गुरु से सीखी जिन्होंने यह सब भारतीय शास्त्रीय संगीत से सीखा।
सौरभ ने बताया की जब यह चीज मेरे सामने आई तो अनेक कई संगीत के विद्वानों से बातचीत हुई और उनसे पूछा कि आपको इस प्रकार की कोई जानकारी है क्या ? सभी संगीतकारों ने ऐसी कोई जानकारी उनके पास होने से इंकार कर दिया। उसके बाद इन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का आरंभिक ग्रंथ सामवेद और अन्य ग्रंथ कुबेर मंगवा कर उनका पूर्ण अध्ययन किया और अनुसंधान शुरू कर दिया। अब तक के अनुसंधान से इस प्रकार की कई सूक्ष्म चीजों का इन्हें पता चला हैं। कहते है इस बारे में ज्यादा कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी। ये इसमें सफल हो जाते हैं तो संगीत के क्षेत्र में क्रांतिकारी देन होगी।
संगीत के क्षेत्र में अविश्वनीय विषय पर अपने स्तर से अनुसंधान कर रहे सौरभ की संगीत सीखने की कहानी भी किसी एकलव्य से कम नहीं है। पांच वर्ष की आयु में दोनों आखों में समस्या हो जाने से एक आंख से दिखना बंद हो गया और दूसरी आंख में भी दृष्टि करीब 35 प्रतिशत ही रह गई। इस वजह से संगीत विद्यालय में शिक्षक भी उन्हें कक्षा से बाहर निकाल देते थे परंतु सीखने की लगन की वजह से ये जहां जूते – चप्पल उतरते हैं वहां बैठ कर शिक्षकों का संगीत ज्ञान सुनते और घर जा कर अभ्यास करते थे। बाद में संगीत शिक्षिका आशा सक्सेना ने इनकी प्रतिभा से प्रभावित हो कर निशुल्क चार वर्ष तक अपने घर पर संगीत की शिक्षा प्रदान की। अपनी काबिलियत के बल पर आपने भातखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ से प्रथम श्रेणी में संगीत विशारद, संगीत निपुण और श्री कृष्णा यूनिवर्सिटी छतरपुर से संगीत में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की।
संगीत के साथ – साथ वाद्य यंत्र वादन में आपकी निपुणता का प्रमाण है कि अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 67 वाद्य यंत्र बजाकर *गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड* में नाम दर्ज कराने का गौरव प्राप्त किया। इससे पूर्व 61 वाद्य यंत्र बजाने का रिकॉर्ड *एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड* में इनके नाम दर्ज हैं। इससे भी पहले 27 वाद्य यंत्र बजाने का रिकॉर्ड *इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड* में दर्ज करा चुके हैं। अब इन सब से आगे बढ़ कर 72 वाद्य यंत्र बजाने का दावा इन्होंने *लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड* में पेश किया है।
वाद्य यंत्रों को बजाने की ललक का भी एक दिलचस्प वाकिया है । मोबाइल पर यूट्यूब पर ज्ञानवर्धक संगीत वीडियो देखने का इनका शौक है।वीडियो देखते हुए जुलाई 2021 में इन्होंने सुना कि यूएई के ईबीन जॉर्ज के नाम पर सर्वाधिक वाद्य यंत्र बजाने की श्रेणी में विश्व रिकॉर्ड दर्ज है, जिन्हें 27 वाद्ययंत्र बजाना आता था। बस इसी से प्रेरित हो कर पहले से वाद्य यंत्र बजाने के अपने शौक को आगे बढ़ाने का प्रण किया और लगभग 111 वाद्य यंत्रों की सूची तैयार कर इस दिशा में प्रवृत्त हो गए। दृढ़ इच्छाशक्ति, लग्न और निरंतर अभ्यास का ही प्रतिफल है कि आज ये *लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड* में स्थान पाने के लिए सतत रूप से प्रयत्नशील हैं। आपने संगीत निर्माता के रूप में भी अपना स्थान बना लिया है। स्कूली बच्चों पर बनी शॉर्ट मूवी में भी आप संगीतकार हैं।
सम्मान : संगीत क्षेत्र में आपको कई बार विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया जा चुका है। महत्वपूर्ण सम्मान में इन्हें जयपुर समर्पण संस्था द्वारा दिया जाने वाला भूपेंद्र हजारीका गौरव सम्मान प्राप्त हुआ। राजस्थान की पूर्व मुखमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे और जिला कलेक्टर झालावाड़ द्वारा आपको सम्मानित किया गया है। कोटा न्यू इंटरनेशनल सोसायटी द्वारा आपको हाड़ोती गौरव सम्मान से नवाजा गया। बचपन में 3 साल की उम्र से ही अपने नगर डग में पंचायत समिति स्तर पर हर 26 जनवरी 15 अगस्त पर 6 सालों तक संगीत में निरंतर प्रथम पुरस्कार विजेता रहे। आपको झालावाड़ रक्त कोष फाउंडेशन द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
परिचय : गायन और वादन में प्रवीण संगीतज्ञ सौरभ सोनी का जन्म 10 अक्टूबर 1996 को झालावाड़ जिले की गंगधार तहसील के डग कस्बे में पिता अशोक सोनी और माता मंजू सोनी के आंगन में हुआ। प्रारंभिक संगीत शिक्षा नेत्रहीन पिता से प्राप्त हुई जो हारमोनियम, ढोलक, तबला ,बांसुरी इत्यादि कई वाद्य यंत्र बजाते हैं। संगीत के प्रति इनका रुझान देखते हुए झालावाड़ संगीत विद्यालय में दाखिला दिलवा दिया। उस समयआर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण कई परेशानियों से गुजरना पड़ा। आपने 14 वर्ष की आयु से संगीत शिक्षण देने का कार्य आरंभ कर दिया था।
इन्होंने 20 वर्ष की आयु में ज़ी न्यूज़ चैनल के टैलेंट हंट प्रोग्राम में तथा और भी कई टीवी प्रोग्राम और जिला एवं राज्य स्तरीय संगीत प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका निभाने का अवसर प्राप्त हुआ। कई सरकारी और निजी प्रोग्रामों में आपको आमंत्रित किया जाता है। कवि की अन्य विशेता होने से पिता के साथ देश में अनेक जगह कवि सम्मेलनों में भाग लिया। आप आर्थिक रूप से कमजोर शिष्यों को निशुल्क संगीत शिक्षा देने के साथ – साथ बाल सुधार गृह जैसी कई और जगह निशुल्क संगीत शिक्षा देकर बच्चों का भविष्य उज्जवल करने में समाजसेवा की दृष्टि से अपना योगदान कर रहे हैं। वर्तमान में आप झालवाड़ के लेडी अनुसुइया सिंघानिया एज्युकेशनल एकेडमी सीनियर सेकेंड्री स्कूल में संगीत व्याख्याता के रूप में सेवारत हैं।
संपर्क सूत्र मो. 9799828629
(लेखक कोटा में रहते हैं और विभिन्न समसामयिक मुद्दों के साथ ही पर्यटन कला व संस्कृति से जुड़े विषयों पर लेखन करते हैं)