Wednesday, December 25, 2024
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Homeपत्रिकाकुछ उल्टा-कुछ पुल्टा"हनुमान हिन्दू? मुस्लिम या सेक्यूलर ?"

“हनुमान हिन्दू? मुस्लिम या सेक्यूलर ?”

आज सुबह यमुना जी दर्शन करने गया तो विश्राम घाट के प्रवेश द्वार पर स्थित हनुमान जी को आदतन प्रणाम किया ही था कि आवाज आई अब “जय नहीं”, “नमस्कार” नहीं “सलाम” किया करो, क्या अखबार नहीं पढते?

इस निशब्द आवाज ने मेरी चेतना को हिला दिया और मशीनी अंदाज में दोनों हाथ जोड़े सिर झुकाया।

क्या करूँ “कोर्निश” करना मुझे आता नहीं और “सजदा”कभी किया नहीं सो सिर झुकाना ही उचित प्रतीत हुआ।

मिक्सिंग करना हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। जैसे गणित में शून्य का आविष्कारक भारत है वैसे ही विश्व को खिचड़ी बनाना भी हमने ही सिखाया है और इस विधा का नवीनतम प्रयोग किया है भाजपाई राजनेताओं ने हनुमान जी को लेकर।

हिन्दू , दलित, जाट और मुसलमान नामो को लेकर भाजपा राजनेताओं ने हनुमान जी के नाम की ऐसी मौलिक खिचड़ी तैयार की है कि पता ही नही लग रहा है कि उस खिचड़ी में चावल के साथ दाल कौन सी है??

हनुमान जी को क्या माने? हिन्दू? मुस्लिम? या फिर…….??

फिर मैंने सोचा चुनाव का समय है अतः हनुमान जी को मुसलमान मानना उचित और समीचीन है साथ ही साथ भारतीय संविधान सम्मत तो है ही क्योकि ये अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के अंतर्गत समाहित हो सकता है। ये दीगर बात है कि अगर ऐसी ही कोई आजादी मुहम्मद साहब को लेकर करे तो उसे धर्म मे हस्तक्षेप माना जायेगा और वह एक दंडनीय अपराध होगा।

हनुमान जी को मुसलमान मानना धर्म् निरपेक्ष भी है और हिन्दू मुस्लिम एकता को दृढ़ भी कर सकता है अतः हनुमान जी को मुसलमान मान लेने में क्या हर्ज है? उल्टा फायदा ही है। हिन्दुओ को स्वयम् को सहिष्णु साबित करने का अच्छा मौका है। क्या नहीं है??

अगर हनुमान जी को मुसलमान मान लेंगे तो इस्लाम मे बुत परस्ती को जो कुफ्र कहा है, मूर्ति पूजा की जो मनाही है वह सब बेमानी हो जाएगा। मुसलमान अब मूर्ति पूजा कर सकेंगे। “सेक्यूलर इंडियंस” (अंग्रेजी में बोलने से ये वजनदार लगता है) को ये प्रीतिकर लगेगा।

मेरी अल्प मति में तो यही आया है कि भारत मे जो मुस्लिम हित की बात करे वो ही सेक्यूलर कहलाने का हकदार है। विश्व सेक्यूलर शब्द का क्या अर्थ मान्य करता है इसका कोई मूल्य नहीं ?

मुसलमान इसलिए भी खूब खुश होंगे कि हिन्दुओ का एक बहुमान्य देवता/फरिश्ता हनुमान मूलतः इस्लामी है, मुसलमान है। इससे उनके भारत भूमि पर मालिकाना हक को साबित करने में सहूलियत होगी।

अयोध्या की समस्या भी हल हो सकती है। हिन्दू विवादित स्थल पर श्रीराम मंदिर बना लें और मुसलमान भव्य “हनुमानी मस्जिद” का निर्माण कर लें, दोनों खुश!!

आखिर इलाहबाद हाईकोर्ट ने भी तो सभी को रामप्रसाद की रेवड़ी ही बाँटी थी अपने 2010 के फैसले में अतः यह कानून सम्मत भी होगा। क्या नहीं होगा?

देवबंद के उलेमाओं से बहुत से संजीदा, प्रबुद्ध अल्प संख्यक लोगो ने फतवा जारी करने की गुजारिश की है कि हनुमान को बाकायदा मुसलमान घोषित किया जाय। शीघ्र ही फतवा आएगा भी जिसका सभी को तहे दिल से स्वागत करना चाहिए।

हिन्दू खुश है कि हनुमान मुसलमान है, यानि हनुमान जी मुहम्मद साहब सहित पूर्व वर्ती शेष सभी इस्लामिक पैगम्बरों के भी पूर्वज है, अब्बा हुजूर है क्योंकि हनुमान जी त्रेतायुग में हुए है और ये सभी कलियुग में।

राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ खुश है क्योंकि, हनुमान के इस्लामीकरण की वजह से ही सही, अब मुसलमान भी सहमत हो गए कि उनके पूर्वज भी भारतीय हैं, हिन्दू है, इस्लाम मे तो वह कन्वर्ट ही हुए है अतः ये “घर वापसी” है।

आमिर खान खुश है क्योंकि उनकी बीबी की चिंता दूर हो गई है। जब मृत बेगम के लिए ताजमहल बनवाया जा सकता है तो जीवित बीबी के लिए क्या आमिर खान एक बयान भी नही दे सकते हैं?

नसुरुद्दीन शाह खुश है अब उनके बच्चों को कोई भीड़ पकड़ेगी तो वे खुद को हनुमान जी का वंशज बताकर निर्भय हो सकते है। भारत अब सुरक्षित देश है?

जब सब खुश है तो मेरे विरोध का औचित्य क्या है?

पूर्व में हनुमान जी को दलित कहने पर मैने जो विरोध किया था उन शब्दों को मै वापिस लेता हूँ। ये अलग बात है कि शब्द कभी वापिस नही हो सकते है अतः कहने में कोई नुकसान भी नही हैं और न ही किसी प्रकार की बेइज्जती।

जब सब प्रसन्न है तो मेरे दुखी होने का भी कोई कारण नहीं है अतः मैने हनुमान जी के लिए नई प्रार्थना /इबादत/ श्लोक/ मंत्र/आयत या जो कुछ भी आप समझे लिखी है जो निम्नवत है।

“ॐ सर्व अलीयस्य बली,
बजरंग बली नमः।
ला इलाह मुहम्मद सह,
हनुमानः नमो नमः।।”

कट्टरपंथी हिन्दू केवल पहली पंक्ति का जाप कर सकते है, कट्टर मुस्लिम सिर्फ दूसरी पंक्ति का और हमारे धर्म निरपेक्ष महान सेक्युलर बन्धु सुविधानुसार पहली अथवा दूसरी किसी एक का जाप कर सकते है। और अगर लाभ दिखे तो समय देखकर दोनों पंक्तियों को भी प्रयोग में ले सकते है।

जो सुविधा/छूट सेक्युलरो बंधुओ को है वही राजनेताओं के लिए भी रखी गई है क्योकि सेक्युलरो को संविधान की केवल चिंता रहती है जबकि नेता तो संविधान की बाकायदा लिखित और मौखिक शपथ भी खाता है।

हनुमान जी हिन्दू? मुस्लिम? या फिर..??

(लेखक जाने माने कवि हैं और पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं)

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