भोपाल. ट्रेनों में अपराध रोकने के लिए एक और हेल्पलाइन नंबर। 1512 – सोमवार को रेल मंत्रालय ने यह नंबर जारी किया। इससे पहले कितने नंबर जारी किए न तो अफसरों को याद रहते हैं और न ही यात्रियों को। इसी तरह एप्लीकेशन्स और एसएमएस सर्विस का हाल है। कभी महिलाओं के लिए, अपराध दर्ज कराने के लिए, भोजन के लिए तो कभी कुछ और। ये नंबर कभी रेलवे द्वारा, कभी आईआरसीटीसी और कभी जोन द्वारा जारी किए जाते हैं। साथ ही रेल मंडलों के अलग-अलग नंबर भी समय-समय पर जारी होते रहे हैं। लगातार ऐसे नंबर दिए जाने से यात्रियों को सुविधा मिलने की बजाए वे भ्रमित ज्यादा हो रहे हैं।
हेल्पलाइन नंबरों को लेकर रेलवे यात्रियों के लिए सुविधा कम परेशानी ज्यादा खड़ी कर रही है। तीन महीने पहले ही 182 नंबर आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए जारी किया गया था। अब शिकायत के लिए नया नंबर दे दिया गया। इन नंबरों की जानकारी ज्यादातर रेलवे की वेबासाइट पर मौजूद रहती है। ट्रेनों के कोच में जो नंबर चस्पा किए जाते हैं वे कुछ ही दिनों में नदारद होते हैं।
हालांकि रेल अधिकारियों का तर्क है कि हेल्पलाइन नंबरों को तीन से चार अंक तक सीमित किया जा रहा है। पहले की हेल्पलाइनों के नंबर 10 अंक के थे, जिन्हें यात्री आसानी से याद नहीं कर पाते थे। इसी समस्या को दूर करने नए हेल्पलाइन नंबर व मोबाइल एप जारी किए जा रहे हैं। रेल मंत्रालय मैनेजर पैसेंजर सर्विसेज के विक्रम सिंह का कहना है कि नंबरों में काफी अंतर होता है जो अलग-अलग काम आते हैं।
नंबर और उपयोगिता
- 1800-2330044- किसी भी तरह की समस्या के लिए डायल करें।
- 1800-2332534-छेड़छाड़ और अपराधों की सूचना के लिए।
- 139 -रेलवे पूछताछ के लिए।
- 138-सफाई, भोजन, कोच मैनटेनेंस संबंधी समस्या के लिए।
- 182- यात्री ट्रेनों में होने वाले अपराध की सूचनाएं दे सकते हैं।
- 1512-किसी अपराध की सूचना देने पर सीधे शिकायत दर्ज होती है।
सही जानकारी तक नहीं मिल पाती
रेलवे के पूछताछ नंबर 139 पर जब किसी ट्रेन का रनिंग स्टेटस पता किया सही नहीं निकला। इसके बाद से हेल्पलाइन नंबरों पर फोन लगाना बंद कर दिया है। – पवन मिश्रा, यात्री त्रिलंगा भोपाल
करीब दो महीने पहले हम जब हावड़ा जा रहे थे, उस दौरान अचानक ट्रेन के कोच की बिजली चली गई थी। सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 182 डायल किया पर वह नो रिप्लाई होता रहा। – विनोद मूलचंदानी, यात्री अरेरा कॉलोनी
साभार- दैनिक भास्कर से