दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अपनी पत्नी से तलाक लेने की अनुमति देने से से साफ इनकार किया है। हाई कोर्ट का मानना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपनी पत्नी पायल पर क्रूरता के आरोप लगाकर उनसे अलग होने की अनुमति मांगी थी लेकिन वह अदालत में न तो शारीरिक और न ही मानसिक क्रूरता साबित कर पाए।
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने पिछले सात दिसंबर को उमर अब्दुल्ला की याचिका खारिज कर दी थी। उमर ने 30 अगस्त 2016 को फैमिली कोर्ट के दिए आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को पारिवारिक अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं मिली है। वह फैमिली कोर्ट के इस निष्कर्ष से सहमत है कि उमर अब्दुल्ला ने पायल के खिलाफ जो क्रूरता के आरोप लगाए थे, वह अस्पष्ट हैं।
हाई कोर्ट की बेंच ने कहा “हमें पारिवारिक अदालत के इस निष्कर्ष में कोई खामी नहीं मिली कि क्रूरता के आरोप अस्पष्ट और अमान्य थे। अपीलकर्ता किसी भी बात को साबित करने में नाकाम रहे जिसे शारीरिक या मानसिक क्रूरता कहा जा सकता है। नतीजतन हमें अपील में कोई खूबी नहीं मिली। ये देखते हुए इसे खारिज किया जाता है।”
इससे पहले पारिवारिक अदालत ने भी कहा था कि उमर अब्दुल्ला शादी के पूरी तरह से टूटने को साबित करने में नाकाम रहे हैं। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया। दावा किया कि उनकी शादी पूरी तरह से टूट गई है।
इसी साल अगस्त में हाई कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला को पायल को गुजारा भत्ता बढ़ाकर देने का आदेश दिया था। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को आदेश दिया था कि वह पायल को भरण-पोषण के तौर पर हर महीने 1.5 लाख रुपए और उनके दोनों बेटों को लॉ स्कूल में दाखिला लेने के दौरान 60,000 रुपए का हर महीने का भुगतान करें।
गौरतलब है कि उमर और पायल अब्दुल्ला ने सितंबर 1994 में शादी की थी। लेकिन लंबे वक्त से दोनों अलग रह रहे हैं। दोनों के दो बच्चे हैं। हाल ही में उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला का भी उनके शौहर कांग्रेस नेता सचिन पायलट से तलाक हो चुका है। राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए पायलट ने टोंक से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 31 अक्टूबर 2023 को अपना पर्चा दाखिल करते हुए बीवी वाले कॉलम में तलाकशुदा लिखा था।