पिछले कुछ समय से अन्तर्जाल यानि इंटरनेट पर हिंदी व भारतीय भाषाएँ तेजी से पाँव पसार रहीं हैं । हिंदी व भारतीय भाषाओें के प्रयोग व प्रसार में वृद्धि व इनके साहित्य के विकास व प्रसार में भी सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सोशल मीडिया के विभिन्न समूहों व ब्लॉग आदि के माध्यम से देश-विदेश के भारतीय-भाषा प्रेमी एकजुट हुए हैं और एकजुट हो कर सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी व भारतीय भाषाओं के लिए मिलकर प्रभावी रूप से प्रयास कर रहे हैं । इन समूहों से जुड़े सदस्यों द्वारा सरकारी-तंत्र पर भी संविधान व नियम आदि के अनुसार राजभाषा,मातृभाषा और भारतीय भाषाओं के प्रयोग के लिए दबाव बनाया गया है । और जनतांत्रिक मूल्यों और ग्राहकों की सुविधा की दृष्टि से निजी क्षेत्र को भी जनभाषा अपनाने के लिए आग्रह किया जाता रहा है ।
इन प्रयासों को उल्लेखनीय सफलताएँ भी मिली हैं। इसके साथ-साथ भारतीय भाषाओं से संबंधित सूचना-प्रौद्योगिकी आदि सहित विभिन्न जानकारियाँ जन-जन तक पहुंचाई गई हैं । इनके माध्यम से देश में और वैश्विक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया है। इनके माध्यम से हिंदी व भारतीय भाषाओं की रचनाएँ तथा साहित्य व साहित्यिक गतिविधियों की सूचनाएँ आदि भी सहजतापूर्वक साहित्यकारों और साहित्य-प्रेमियों तक पहु्ंच रही हैं । इस प्रकार हिंदी व भारतीय भाषाओं के विकास व प्रसार में सोशल मीडिया का योगदान उल्लेखनीय है, जिस पर विधिवत शोध की व इसके दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है । अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे इन समूहों के परस्पर समन्वय से भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार में काफी मदद मिल सकती है।
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' द्वारा हिंदी व भारतीय भाषाओं से संबंधित सोशल मीडिया समूहों के संबंध में शोध एवं उनका दस्तावेजीकरण तथा इनके परस्पर समन्वय की दृष्टि से इनकी जानकारी एकत्र कर इस दिशा में कार्य करने का निर्णय लिया गया है। अत: हिंदी व भारतीय भाषाओं के कार्य से संबंधित देश-विदेश के गूगल समूह, फेसबुक समूह , फेसबुक पृष्ठ, ब्लॉग आदि सोशल मीडिया समूहों आदि के संचालकों (एडमिन) से अनुरोध है कि वे अपने समूह/माध्यम आदि की जानकारी संलग्न( अटैच ) प्रपत्र को डाउनलोड कर उसमें भरकर शीघ्रातिशीघ्र vaishwikhindisammelan@gmail.com पर ई-मेल पर मेल करें। विषय में ‘सोशल मीडिया-समूह का नाम’ लिखें। प्रपत्र संलग्न है। इस संबंध में सुझावों का स्वागत है।
सोशल मीडिया के इन समूहों की जानकारी तैयार कर प्रकाशित की जाएगी। विलंब से प्राप्त समूहों से संबंधित जानकारी को इसमें शामिल कर पाना संभव नहीं होगा ।
श्रीमती सुस्मिता भट्टाचार्य
संयोजन प्रभारी,
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई,
vaishwikhindisammelan@gmail.com
————————————————————————————
मुंबई में बस का टिकिट मशीन से देवनागरी में मिलता है।
क्या यह व्यवस्था सभी हिंदी भाषी राज्यों में लागू नहीं हो सकती?
माँग कीजिए, सरकार ज़रूर सुधार करेगी
भवदीय,
सीएस. प्रवीण कुमार जैन,
कम्पनी सचिव, वाशी, नवी मुम्बई – ४००७०३.