राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में भूतपूर्व छात्र-छात्राओं का गरिमामय सम्मेलन सोत्साह संपन्न हुआ। सबसे पहले स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की छात्र – छात्राओं ने अभ्यागत पूर्व विद्यार्थियों का, जिनमें से अनेक महत्वपूर्ण सेवाओं में नियुक्त हैं, तिलक लगाकर आत्मीय सम्मान किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.आर.एन. सिह ने अपनी शुभकामनाएँ देते हुए महाविद्यालय की गतिविधियों में सतत सहयोग का आह्वान किया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ.शंकर मुनिराय, डॉ. चंद्रकुमार जैन, डॉ.बी.एन.जागृत और डॉ. नीलम तिवारी ने विभाग की अपेक्षाओं और उसकी प्रगति में पूर्व छात्रों के सहयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम बहुत भावपूर्ण और प्रभावशाली रहा।
कांफ्रेंस हॉल में हुए इस यादगार सम्मेलन में सभी पूर्व विद्यार्थियों ने अपने समय की यादें साझा करते हुए, अपने कठिन संघर्ष तथा लगनशील प्रयासों से मिली सफलता के साथ-साथ अपनी कमियों की भी उदार मन से चर्चा की।गुरुजनों से मार्गसर्शन करते रहने की आशा व्यक्त की। सबने महाविद्यालय के हिंदी विभाग को संस्था ही नहीं, शहर और प्रदेश का गौरव निरूपित किया और प्राध्यापकों का आभार माना। बहुमूल्य सुझाव भी दिए जिससे वर्तमान विद्यार्थी लाभान्वित हुए। पूर्व छात्रों ने विभाग के वर्तमान प्राध्यापकों की शैली और उनसे मिली प्रेरणा का स्पष्ट शब्दों में उल्लेख करते हुए कहा कि वह उनके जीवन के लिए प्रकाश स्तम्भ के समान है।
सम्मलेन को संबोधित करते हुए डॉ. शंकर मुनि राय ने कहा कि पूर्व छात्र ही संस्था को स्थायी पहचान देते हैं। इसलिए उनका साथ और सहयोग सहज मूल्यवान है। गजानन माधव मुक्तिबोध और डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी जैसे साहित्य साधकों की संस्था और अपनी मातृ संस्था दिग्विजय कालेज को एक तीर्थ की संज्ञा देते हुए डॉ.चंद्रकुमार जैन ने अभ्यागतों को गर्वबोध के साथ सतत जुड़े रहने का आमंत्रण दिया। डॉ.बी.एन.जागृत ने विद्यार्थियों के कहा कि वे भूतपूर्व छात्र- छात्राओं की अच्छी कोशिशों और उनके अनुभवों का लाभ उठायें तथा जीवन में आगे बढ़ें। अंत में विभाग द्वारा सबका धन्यवाद ज्ञापन किया गया।