अहमदाबाद। भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 70 अरब डॉलर का पहुंच चुका है। ऐसे में चीन के युवाओं में हिंदी भाषा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है।
चीन के ट्रांसपोर्टेशन हब कुनमिंग की रहने वाली बाओ या पिंग (21) इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (ईडीआई) में हिंदी सीख रही हैं। वह यहां नौ महीनों का इंटरनेशनल सर्टिफिकेट कोर्स एडवांस कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि एशिया के दो बड़े देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारे लिए भारत में नए अवसरों के दरवाजे खुल रहे हैं। ऐसे में हिंदी पर अच्छी पकड़ अच्छी नौकरी के लिए आवश्यक हो गई हैं।
एक अन्य छात्र वू जी पेंग ने बताया कि चीन में अधिक युवाओं में हिंदी सीखने की ललक कई अन्य कारणों से भी बढ़ी है। निश्िचत रूप से बिजनेस और ट्रैवल में नई अपॉर्च्युनिटी उनमें से एक कारण है।
अधिकांश कंपनियों में अंग्रेजी में बात करती होती है, लेकिन हिंदी सीखने के बाद हमें वास्तविक भारत को समझने और स्थानीय संस्कृति को आत्मसात करने में मदद मिलती है।
ईडीआई के फैकल्टी अवधेश झा ने बताया कि इस कोर्स को करने के बाद छात्रों में सैद्धांतिक बुनियाद मजबूत होती है और वे विश्वसनीय कम्युनिकेटर्स के तोर पर उभर सकते हैं। वे अपनी बात को अधिक मुखर तरीके से रख सकते हैं।
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