भले ही रफ्तार कम हो, लेकिन इंटरनेट पर हिंदी बढ़ रही है। अब ब्लॉगों की भरमार है, सरकारी-गैर सरकारी वेबसाइट भी खूब हैं। सोशल मीडिया में इसमें लिखा जा रहा है। अब स्मार्टफोन पर डिफाल्ट या एप के जरिये की बोर्ड देवनागरी में उपलब्ध हैं। ट्विटर की तरह हिंदी का मूषक आ चुका है। हिंदी एप लांचिंग की तैयारी है। आइए हिंदी दिवस के अवसर पर जानते हैं इंटरनेट पर हिंदी की स्थिति और उसके समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में…
इंटरनेट पर आंकड़ों में हिंदी
– 20 फीसदी भारतीय उपभोक्ता हिन्दी में इंटरनेट सर्फिंग को पसंद करते हैं गूगल के मुताबिक
– 94 फीसदी की दर से बढ़ी है हिंदी की विषयवस्तु की उपलब्धता अंग्रेजी के19 प्रतिशत के मुकाबले
– एक लाख से ऊपर पहुंच गई है इंटरनेट पर हिन्दी ब्लागर की संख्या, इनमें से लगभग 10 हजार अतिसक्रिय और 20 हजार सक्रिय की श्रेणी में आते हैं।
– 09 हजार वेबसाइट हिंदी में उपलब्ध हैं केंद्र और राज्य सरकारों की
– 70 ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध हैं आज इंटरनेट पर हिंदी साहित्य से संबंधित
– 1000 हिंदी के रचनाकारों की रचनाओं का अध्ययन किया जा सकता है महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा) की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट हिंदीसमय डॉट कॉम पर।
– 15 से अधिक हिंदी के सर्च इंजन हैं जो किसी भी वेबसाइट का चंद मिनटों में हिंदी अनुवाद करके पाठकों को परोस देते हैं। याहू, गूगल और फेसबुक भी हिंदी में उपलब्ध हैं।
– 50 करोड़ है भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या गूगल के मुताबिक, जबकि गूगल पर 1 लाख विकीपीडिया के लेख हैं
हिंदी की वेबसाइट भी
– आज पूंजी बाजार नियामक सेबी, बीएसई, एनएसई, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय स्टेट बैंक, रिजर्व बैंक आफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय लघु विकास उद्योग बैंक की वेबसाइटें हिंदी में भी उपलब्ध हैं।
– भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वेबसाइट भी हिंदी में है।
– भारत स्थित कई विदेशी दूतावासों की अंग्रेजी वेबसाइट पर हिंदी में जानकारी उपलब्ध है।
– गूगल इंडिया के मुताबिक करीब गूगल ने हिंदी वेब डॉट कॉम से एक ऐसी सेवा शुरू की है, जो इंटरनेट पर हिंदी में उपलब्ध समस्त सामग्री को एक जगह ले आएगी। इसमें हिंदी वॉयस सर्च जैसी सुविधा भी शामिल है।
– सी-डैक ने हिन्दी सहित भारत की 22 क्षेत्रीय भाषा में सॉफ्टवेयर तैयार किए हैं।
…और यूं पार की तकनीकी बाधा
– इंटरनेट पर हिंदी का सफर रोमन लिपि से प्रारंभ हुआ और फॉन्ट जैसी समस्याओं से जूझते हुए यह देवनागरी लिपि तक पहुंच गया।
– यूनीकोड, मंगल जैसे यूनीवर्सल फॉन्ट ने देवनागरी लिपि को कंप्यूटर पर नया जीवन प्रदान किया
– स्मार्टफोन पर ट्रांसलेशन एप आए, जो अंग्रेजी को हिन्दी में और हिन्दी को अंग्रेजी में अनुदित करते हैं
– हाल के सालों में कुछ भारतीय मोबाइल कंपनियों ने देवनागरी में ही की-बोर्ड उपलब्ध कराए
– नोकिया (अब माइक्रोसॉफ्ट), सैमसंग और कुछ अन्य मोबाइल कंपनियों के स्मार्टफोन में डिफाल्ट देवनागरी लिपि की-बोर्ड उपलब्ध हैं।
– कई एप डेवलपर पूरी तरह से हिन्दी एप्लीकेशन लांच करने की तैयारी में जुटे गए हैं।
– गूगल अब पूर्ण रूप से मैप और सर्च भी हिंदी में ला सकता है।
– हिन्दी उपयोग करने वाले ग्राहकों को देखते हुए स्मार्टफोन बनाए गए हैं। इनमें आप चाहे तो हाथ से हिन्दी लिखकर मैसेज कर सकते हैं। या फिर हिन्दी की-बोर्ड को डाउनलोड कर मैसेज टाइप कर सकते हैं।
– गूगल पर जाकर आप हिन्दी में गूगल नक्शे का उपयोग कर अपने शहर का ट्रैफिक देख सकते हैं।
सोशल मीडिया का हिंदी अवतार
– हाल में ट्विटर की तरह मूषक नामक माइक्रोब्लागिंग साइट हिन्दी में शुरू करने की घोषणा की गई।
– इस पर (मूषक) 10 हजार अकाउंट खुल चुके हैं। इस पर फोन नंबर के जरिये भी जुड़ा जा सकता है।
– ट्विटर में जहां 140 कैरक्टर में ट्वीट करते हैं, वहीं मूषक में 500 कैरेक्टर की सीमा उपलब्ध कराई गई है।
– ट्विटर पर हैशटैग सुविधा भी हिंदी में है।
हिंदी बनाम अंग्रेजी
– गूगल के मुताबिक, अभी देश में अंग्रेजी जानने वालों की तादाद 19.8 करोड़ है। इसमें से ज्यादातर लोग इंटरनेट पर हैं।
– एक तथ्य यह भी है कि भारत में इंटरनेट बाजार का विस्तार ज्यादा सामग्री अंग्रेजी में होने की वजह से ठहर गया है।
– आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर 55.8 प्रतिशत सामग्री अंग्रेजी में है, जबकि दुनिया की पांच प्रतिशत से कम आबादी अंग्रेजी का उपयोग प्रथम भाषा के रूप में करती है।
– दुनिया में सिर्फ 21 फीसदी लोग ही अंग्रेजी समझते हैं। जहां तक अरबी या हिंदी का सवाल है तो इसे बोलने वालों की संख्या दुनिया में काफी ज्यादा है।
– इसके बावजूद अरबी और हिंदी की इंटरनेट पर सामग्री क्रमश: 0.8 और 0.1 प्रतिशत ही उपलब्ध है।
क्या हैं चुनौतियां
– आज हिंदी में कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, इसके बावजूद बैंक, बिजली विभाग, भारतीय बीमा जैसी कंपनियां अभी भी उपभोक्ताओं को अंग्रेजी में बिल और पॉलिसी दे रही हैं।
– केन्द्र और राज्य सरकार की नौ हजार वेबसाइट हैं, लेकिन ज्यादातर पहले अंग्रेजी में खुलती है। हिन्दी में देखने के लिए अलग से क्लिक करना होता है।
– सबसे बड़ी समस्या जागरुकता की कमी है। लोग नहीं जानते कि हिन्दी में भी साफ्टवेयर हैं, वे कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन का उपयोग करने में अंग्रेजी का ज्ञान होना जरूरी मानते हैं।
– गूगल, एपल, माइक्रोसॉफ्ट सहित अन्य कंपनियों की वेबसाइट पहले अंग्रेजी में बनती है, बाद में इनका अनुवाद हिंदी में किया जाता है।
साभार- दैनिक हिन्दुस्तान से