भोपाल। हिन्दी ने विश्व में अपना राष्ट्र विकसित कर लिया है। सम्मेलन में 39 देश की भागीदारी इस बात का प्रमाण है। प्रोफेसर जन्मेजय ने यह बात आज यहाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन के अलेक्सेई पेत्रोविच वरान्निकोव सभागार में ‘विदेशों में हिन्दी शिक्षण, समस्याएँ और समाधान” के आरंभिक सत्र में कही। प्रो. जन्मेजय ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा और उसकी संयुक्त राष्ट्र संघ में उपस्थिति की बातें अब बाल हठ की भाँति शनै:-शनै: तुच्छ होती जा रही हैं। कार्यक्रम में केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद के अतिरिक्त विभिन्न देश से आये हिन्दी के विद्वान उपस्थित थे।
सम्मेलन में जो बात सबसे मुखर होकर सामने आयी, वह थी विदेशों में भारत में तैयार पाठ्यक्रम की अपेक्षा स्थानीय संस्कृति एवं आवश्यकताओं से तालमेल बैठाते हुए विशिष्ट पाठ्यक्रम तैयार किया जाये। संयोजक श्री सतीश मेहता ने कहा कि भारतीय मूल के विदेशी, हिन्दी के माध्यम से ही अपनी संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं। सम्पूर्ण विश्व में भारत को जानने की उत्कंठा बढ़ रही है, जिसके लिये वे हिन्दी को सर्वश्रेष्ठ मान रहे हैं। विश्व के अनेक विश्वविद्यालय हिन्दी में शिक्षा दे रहे हैं। आस्ट्रेलिया में स्कूलों में भी 10वीं तक हिन्दी की शिक्षा दी जा रही है।
हंगरी से आयी श्रीमती मारिया नजेशी ने कहा कि 20 लाख की आबादी वाले हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में 2 हिन्दी अध्ययन केन्द्र हैं। यूरोप में पिछले 30-35 वर्ष से हिन्दी की लोकप्रियता और क्षेत्र बढ़ा है। हंगरी में 1873 में भारोपीय भाषा विज्ञान केन्द्र की स्थापना की गयी थी। संस्कृत का 140 वर्ष से यहाँ स्थान है। यहाँ 1956 से भारत विद्या अध्ययन प्रमुख विषय के रूप में शामिल हैं। श्रीमती मारिया ने अनेक पुस्तकों का हंगेरियन से हिन्दी और हिन्दी से हंगेरियन में अनुवाद कर दोनों ही भाषाओं को समृद्ध किया है। यहाँ 10 वर्ष से हिन्दी पत्रिका भी निकल रही है। हिन्दी की छह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ आयोजित हो चुकी हैं।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से थाईलेण्ड में पदस्थ श्रीमती करुणा शर्मा ने कहा कि थाई भाषा में संस्कृत-पाली के काफी शब्द मिलते हैं। परन्तु थाई जैसी बोली जाती है, वैसी पढ़ी नहीं जाती। इसलिये भारत से हिन्दी शिक्षक को विदेश पदस्थ करने के पहले तकनीकी रूप से सुप्रशिक्षित करना चाहिये। हिन्दी पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा, संस्कृति को शामिल करते हुए रोचक बनाया जाये। श्रीमती शर्मा ने कहा कि विदेशों में हिन्दी प्रशिक्षण के लिये सीबीएसई की तर्ज पर अन्तर्राष्ट्रीय बोर्ड हो।
सऊदी अरब के श्री ईस्माइल ने बताया वहाँ के अंतर्राष्ट्रीय भारतीय विद्यालय में 19 हजार छात्र हिन्दी की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा 25-30 स्कूल में भारतीय छात्र सीबीएसई के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी में भी अन्य विदेशी भाषाओं की तरह अच्छे अंक मिलने चाहिये, जो अभी तुलनात्मक रूप से नहीं मिलते।
मिस्र की श्रीमती गुलनाज अब्दुल मजीद ने कहा कि वहाँ संचालित छमाही हिन्दी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के साथ ही अगली प्रतीक्षा-सूची भर जाती है। भारतीय लोगों से लोग हिन्दी सीख रहे हैं।
भारतीय फिल्मों की विदेशों में हिन्दी के प्रसार में सशक्त भूमिका पर भी सत्र में चर्चा हुई। अंत में विभिन्न देश से आये हिन्दी विद्वानों ने अपने प्रश्न रखे।