दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर प्रकाशित मासिक शोध पत्रिका ‘समागम’ का सितंबर 2015 अंक हिंदी विशेष पर है। 92 पृष्ठों के संग्रहणीय अंक में सुप्रतिष्ठित कवि एवं विचारक बालकवि बैरागी, हिंदी के अनन्य सेवी कामताप्रसाद गुरु, ओम निश्चल, विचारक एवं समाजवादी नेता रघु ठाकुर सहित अनेक असुप्रतिष्ठित लेखकों के लेख पठनीय हैं। नामचीन आलोचक विजयबहादुर सिंह ने डॉ. स्वाति तिवारी से मुलाकात में हिंदी के विविध पक्षों पर अपने बेबाक विचार रखे हैं।
शोध पत्रिका ‘समागम’ के सम्पादक मनोज कुमार हैं तथा इस विशेष अंक की अतिथि सम्पादक सुपरिचित साहित्यकार उर्मिला शिरीष हैं। हिंदी के विविध पक्षों को लेकर अनेक शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया है जिसमें हिंदी के राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित किए जाने की चुनौतियों का उल्लेख तथा समाधान प्रस्तुत किया गया है। उल्लेखनीय है कि विगत 15 वर्षों से भोपाल से प्रकाशित शोध पत्रिका ‘समागम’ का हर अंक विशेषांक होता है। साहित्यिक पत्रकारिता की दिशा में शोध पत्रिका ‘समागम’ ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है।