आंध्र प्रदेश में एक गांव को हिंदू गांव घोषित कर दिया है और बाकायदा इस गांव में अन्य धर्म के लोगों की एंट्री बैन है। इसके लिए गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है, जिस पर दूसरे धर्म के लोगों के गांव में एंट्री करने पर चेतावनी जारी की गई है। मामला आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के मईदुकर मंडल के गांव केसालिंगायापल्ली का है। इस गांव में 250 परिवार रहते हैं, जो कि सभी हिंदू हैं। यही वजह है कि गांव के लोगों ने सर्वसम्मति से इस गांव को हिंदू गांव घोषित कर दिया है और गांव को जाने वाली सड़क के दोनों ओर भगवा झंडे लगा दिए हैं। गांव के बाहर एक बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है कि ‘इस गांव में सभी लोग हिंदू हैं, इसलिए दूसरे धर्मों के लोग यहां अपने धर्म का प्रचार नहीं कर सकते हैं। यदि कोई इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी।’ इस बोर्ड के नीचे यह भी लिखा है कि ‘अगर आप अपना धर्म बदलते हो, तो यह अपनी मां बदलने के जैसा है।’
बता दें कि इस गांव में दूसरे धर्मों के लोगों के प्रवेश पर पाबंदी 2 साल पहले यानि कि 2016 में लगायी गई थी, लेकिन इस पर लोगों का ध्यान अब गया है। गांव के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से ईसाई हमारे गांवों में आते हैं और हमारे लोगों को पैसे और दवाई का लालच देकर उन्हें धर्मांतरण के लिए प्रेरित करते हैं। जबकि हम हिंदू ऐसा कभी नहीं करते। वो लोग हमारे लोगों का ब्रेनवॉश करते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए हमनें फैसला किया कि इसपर रोक लगाने के लिए दूसरे धर्म के लोगों की गांव की एंट्री पर बैन करने का फैसला किया। गांव के लोगों ने सफाई देते हुए कहा कि दूसरे धर्म के लोग गांव आ सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने धर्म का प्रचार करने की अनुमति नहीं है। गांव के लोगों का कहना है कि यह कदम उन्होंने आरएसएस, बजरंग दल और विहिप के लोगों के कहने पर नहीं उठाया है, बल्कि यह उनका खुद का फैसला है।
खास बात है कि अब केसालिंगायापल्ली की देखा-देखी अब आसपास के कई और गांवों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी जा रही है। हालांकि अभी तक इन गांवों ने गांव के बाहर किसी तरह का बोर्ड या चेतावनी जारी नहीं की है। वहीं गांव के इस तरह दूसरे धर्मों के लोगों के खिलाफ चेतावनी जारी करने पर प्रशासन की तरफ से भी कोई कारवाई नहीं की गई है। वहीं प्रशासन द्वारा कारवाई की बात पर गांव के लोगों का कहना है कि प्रशासन को इससे क्या आपत्ति हो सकती है? यह हम सभी का फैसला है और हम नहीं चाहते कि दूसरे धर्म के लोग हमारे गांव में आएं। इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है?