Thursday, December 26, 2024
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बनारस में हिंदू बनाते हैं ईद की सेवइयां, विदेश में धमक

इस बार ईद के मौके पर बनारसी सेवइयों की मांग बढऩे से कारोबारी उत्साहित हैं। इन दिनों रोजा इफ्तार दावतखाने में बनारसी सेवई की कटोरियां खूब सज रही हैं। जिले में सेवई उत्पादन में अधिकतर हिंदू परिवार ही जुड़े हैं, जो पूरे परिवार के साथ इसे तैयार करते हैं। सेवई उत्पादकों व कारोबारियों के अनुसार इस बार सेवइयों की मांग बढ़ी है और उम्मीद है कि इस मौसम में लगभग तीन करोड़ रुपये से अधिक की लगभग 2,200 क्विंटल सेवइयों का कारोबार हो जाएगा। आम दिनों में भी सेवइयां लगभग 1,500 क्विंटल प्रतिमाह खपत होती है।

सेवइयों के निर्माता सचिन मौर्या ने बताया कि सेमी सेवइयों (दूधफेनी) के लिए अच्छे कारीगरों को कानपुर और बिहार से बुलाया जाता है जो आठ सौ से एक हजार रुपए प्रति कुंतल के मजदूरी पर माल तैयार करते है। उन्होंने बताया कि हस्तनिर्मिंत सेवइयों और दूधफेनी का स्वाद लाजबाब होता है। बनारसी सेवइयों की मांग पूर्वांचल के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के साथ खाड़ी देशों तक रहती है। खाड़ी देशों में कीमामी (छत्ता), लच्छा (डंडा) व पराठा सेवइयों की मांग अधिक है। बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान से भी बनारसी सेवई की जबरदस्त मांग है। वाराणसी में 200 साल से भी पहले से सेवइयों का कारोबार होता रहा है। यहां के भदऊ चुंगी, भगतपुरी, घासियारी, भारद्वाजी टोला, लल्लापुरा, दालमंडी व पड़ाव आदि इलाकों में सेवई के कारखाने हैं। जहां घर-घर में बनारसी सेवई और बनारसी सेमी सेवई (दूधफेनी) का उत्पादन किया जाता है। रमजान के मौके पर दो महीने पहले से ही सेवइयों का उत्पादन शुरू हो जाता है। कारोबारियों के अनुसार इस दौरान लगभग 25,000 क्विंटल से ज्यादा मैदा की खपत होती है। इस क्षेत्र में सेवई उत्पादन के लगभग 70 से ज्यादा कारखाने मौजूद है। कुछ घरों में हाथो से सेवइयां बनाई जाती है।

राजकुमार केशरी ने बताया कि किमामी, छत्ता, छड़, मोटी वाली, कांटी वाली, लछी कली, भुनी हुई सेवई आदि बनाई जाती है। सबसे ज्यादा किमामी सेवई बनती है। सेवई उत्पादकों के अनुसार इस वर्ष सेवई के दामों में पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है जिससे कीमामी (छत्ता) सेवइयां 4,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकती है। लच्छा (डंडा) सेवइयां 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा मशीन निर्मित सेवइयां 5,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही हैं। हस्तनिर्मित लच्छा दूधफेनी का 5,500 रुपये प्रति क्विंटल, भुनी कीमामी सेवई 6,500 रुपये प्रति क्विंटल, भुनी डंडा सेवई 4,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा पराठा सेवई 150 रुपये प्रति किलो बिक रही है।

रिपोर्ट साभार https://hindi.business-standard.com/ से – फोटो https://www.amarujala.com से

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