रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि हिंदी के बिना हिंदुस्तान आगे नहीं बढ़ सकता है। उपराष्ट्रपित बुधवार सुबह विशेष विमान से दिल्ल से रायपुर पहुंचे हैं। उन्होंने साइंस कॉलेज परिसर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम पहुंचकर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि पत्रकारों को न्यूज और व्यूज को कंपाइल नहीं करना चाहिए। पत्रकारिता के जरिए देश के नागरिकों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एक मिशन है और इसमें मिशन भावना से ही काम करना चाहिए, लेकिन कुछ लोगों ने पत्रकारिता को उद्योग के रूप में विकसित कर रहे हैं। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपित एम. वेकैंया नायडू रायपुर से भोपाल के लिए रवाना होंगे।
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने कहा है कि पत्रकारिता एक मिशन है, कमीशन नहीं। उन्होंने कहा – पहले पत्रकारिता एक मिशन थी, आज यह उद्योग का स्वरूप ले रही है। इससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है। श्री नायडु आज यहां शासकीय विज्ञान महाविद्यालय परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह को मुख्य आतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की। डॉ. सिंह ने कहा – समाचारों की विश्वसनीयता ही पत्रकारिता की पहचान होती है।
उपराष्ट्रपति श्री नायडु ने समारोह में आगे कहा – पत्रकारिता आज उद्योग का स्वरूप ले रही है। पिछले 25 वर्षों के दौरान टी.व्ही. चैनलों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है, प्रौद्योगिकी के विकास के साथ स्मार्ट फोन की मदद से डिजिटल मीडिया हम सबके हाथों में पहुंच चुका है। हम सभी सूचनाएं गढ़ने, प्रेषित करने और प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं, ऐसे दौर में हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। उचित और अनुचित में भेद करने का दायित्व हम सभी का है। इस दौर में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को विवेकशील बनना होगा। श्री नायडु ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थी एक आदर्श पत्रकार के रूप में देश और समाज हित में काम करें और एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दंे। माता, मातृभूमि, मातृभाषा और गुरूजनों का सम्मान करना कभी न भूलें। उन्होंने कहा कि आज आई.टी. का युग है लेकिन इंटरनेट के गूगल जैसे सर्च इंजन कभी भी किसी गुरू का स्थान नहीं ले सकते।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन ने अध्यक्षीय आसंदी से दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। समाचारों की विश्वसनीयता ही पत्रकारिता और पत्रकारों की पहचान बनाती है। लोकतंत्र में पत्रकारिता सिर्फ समाचार देने का माध्यम ही नही है बल्कि देश और समाज को सही दिशा देना भी इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के 406 विद्यार्थियों को डिग्री और 19 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इनमें वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2016 व 2017 के बीच में उत्तीर्ण एम.फिल. के 27, स्नातकोत्तर के 170 और स्नातक के 209 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री अजय चंद्राकर, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री रमेश बैस विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उपराष्ट्रपति श्री नायडु ने कहा कि समाज में पत्रकारिता उत्कृष्ट और महत्वपूर्ण कार्य है। मैने अपने 40 साल के सार्वजनिक जीवन में पत्रकार मित्रों से काफी कुछ सीखा है, उनके साथ बातचीत से हिन्दी सीखने का अवसर मिला। पत्रकारिता और पत्रकारों ने स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई थी। उस दौर के लगभग सभी बड़े नेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर समाचार पत्रों के माध्यम से जनता में जागरूकता पैदा करने क दिशा में प्रयासरत थे। इलेक्ट्रानिक समाचार चैनलों के बाद अब सोशल मीडिया का प्रभावशाली औजार पत्रकारों के हाथ में है, लेकिन इसके साथ पत्रकारों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। इन आधुनिक सुविधाओं का उपयोग विवेकशीलता के साथ समाज और देश के हित में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रेकिंग न्यूज ब्रेक करने वाली न हो बल्कि यह सकारात्मकता और समाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए।
श्री नायडु ने स्व. श्री कुशाभाऊ ठाकरे को नमन करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य कि उनके साथ लंबे समय तक मुझे काम करने का अवसर मिला। वे एक आदर्श नेता और मार्गदर्शक थे। पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी को याद करते हुए श्री नायडु ने कहा कि अटल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया। यह गौरव का विषय है कि अटल जी ने ही इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था और विश्वविद्यालय ने उनकी कालजयी रचना ‘‘कदम मिलाकर चलना होगा‘‘ को अपना कुलगीत बनाया है। श्री नायडु ने दीक्षांत समारोह में उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। श्री नायडु ने कहा कि देश के प्रथम मीडिया गुरूकुल के तौर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। यह विश्वविद्यालय मीडिया शिक्षा में स्नातक से लेकर स्नातकोतर, एमफिल और पीएचडी की शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसके लिए मैं विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश के अनुसूचित जातियों, जनजातियों, महिलाओं और पिछड़े वर्ग के करोड़ों लोगों तक सूचनाएं सही मायने में, सही संदर्भाें के साथ और सही समय पर पहुंचाने की आवश्यकता है। यह कार्य करके पत्रकार समरस समाज की स्थापना में अपना योगदान दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए स्वस्थ्य और निष्पक्ष पत्रकारिता बहुत जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पत्रकारिता का अनिवार्य हिस्सा है लेकिन अभिव्यक्ति के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि है। समाचार देने के पहले तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है। पत्रकार जो बोलता और लिखता है, उसका मूल्यांकन आने वाली पीढ़ी करती है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ का यह पहला पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय की जब कल्पना की थी तभी यह तय किया गया कि विश्वविद्यालय का नामकरण प्रखर चिंतक और विचारक स्व.श्री कुशाभाऊ ठाकरे की स्मृति में किया जाएगा। हमारे लिए यह गौरव की बात रहीं की छत्तीसगढ़ प्रदेश के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के हाथों इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया के तकनीकी औजारों, वेबसाइट, फेसबुक, वाटसअप से इन दिनों हमारे और आपके स्मार्ट फोन पर दुनिया के हर कोने से आ रही सूचनाओं का सैलाब उमड़ रहा है। इन सूचनाओं की सच्चाई का पता सिर्फ नीर-क्षीर विवेक से ही लगाया जा सकता है। समाचार देने के पहले घटनाओं और तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की स्मारिका ‘‘केटीयु न्यूज‘‘ के दीक्षांत विशेषांक का विमोचन किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार ने स्वागत उद्बोधन दिया। कुलसचिव डॉ. अतुल कुमार तिवारी ने आभार प्रदर्शन किया।