Wednesday, December 25, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकुछ उल्टा-कुछ पुल्टागुंडे, बदमाशों और लुटेरों ने बनाई यूनियन, सरकार से सुरक्षा की माँग

गुंडे, बदमाशों और लुटेरों ने बनाई यूनियन, सरकार से सुरक्षा की माँग

जब से मीडिया में कश्मीर के आतंकवादियों, देशद्रोहियोँ और अलगाववादियों की सुरक्षा, इनके पाँच सितारा होटलों के खर्चे, हवाई जहाज की सैर और ऐशो-आराम पर सरकार द्वारा 600 करोड़ रु. खर्च करने की खबरें सामने आई है, देश के कई कुख्यात लुटेरों, अपहरणकर्ताओं, डाकुओँ, गुंडों और बदमाशों ने भी एक संगठन बनाकर सरकार से सुरक्षा की माँग की है।

एक बयान जारी कर इन्होंने कहा है कि जैसे कश्मीर के आतंकवादियों और देशद्रोहियों को प्यार से अलगाववादी कहा जाता है वैसे उन्हें भी लुटेरा, चोर, डाकू या गुंडा कहने की बजाय ‘भटके हुए लोग’ कहा जाए। इससे समाज, कानून और सरकार हमें इज्जत की नज़र से देखेंगे। इनका कहना है कि हम भले ही चोरी-चकारी, लूटपाट, अपहरण करें मगर कम से कम तिरंगा जलाने और देश के खिलाफ नारे लगाने का काम तो नहीं करते हैं। जब तिरंगा जलाने वालों और देश के खिलाफ नारे लगाने वालों पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर उनको इज्जत बख्शती है, उन्हें बात करने बुलाती है, उनके नखरे उठाती है तो फिर हमारी फजीहत क्यों? हम तो उल्टे कई बार नेताओँ और पुलिस के हाथों लुट जाते हैं। हम जितने की लूट और चोरी नहीं करते उससे ज्यादा पैसे तो पुलिस और नेताओँ के हफ्ते में और वकीलों की फीस से लेकर जजों को घूस देने में चले जाते हैं और ऊपर से हमको सजा भी हो जाती है। कई बार तो हम लूट दो लाख की करते हैं और जिसेक साथ लूट होती है वह पाँच लाख की झूठी रिपोर्ट लिखा देता है और पुलिस वालों को हमको झख मारकर पाँच लाख के हिसाब से हिस्सा देना पड़ता है।

एक साझा बयान में इन सबने कहा है कि नेताओं और पुलिस की वजह से हमारे धंधे में बहुत रिस्क हो गई है, कश्मीर के आतंकवादियों के ठाठ देखकर हमको इस बात की हिम्मत मिली है कि हम भी अपने लिए सुरक्षा की माँग करें क्योंकि हम चोर, लुटेरे, डाकू भले ही हैं देशद्रोही तो कतई नहीं। जब देशद्रोहियों को सरकार वीआईपी सुरक्षा दे सकती है तो फिर हमें ये सुविधा देने में कोताही क्यों। हम तो उल्टे जो भी लूटते हैं, चोरी करते हैं या डाका डालते हैं उसमें सबका हिस्सा होता है। हमारी वजह से तो काला धन भी बाजार में आ जाता है। जो लोग अपने घरों में काला धन, सोना चाँदी जमा करके रखते हैं और उस पर कोई इंकम टैक्स नहीं चुकाते हैं, हम उसको लूटकर या चोरी करके या डाका डालके बाजार में चलाते हैं। और कई बार तो हम जितने की लूट या चोरी करते हैं, लोग उसके कम पैसे की रिपोर्ट लिखवाते हैं।

बयान में सरकार से माँग की गई है कि सरकार सभी डकैतों, लुटेरों, चोरों और अपहरणकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करे ताकि हम सब अपना काम ईमानदारी से कर सकें। बयान में कहा गया है कि हमारी वजह से ही कई पुलिस वालों के, नेताओँ के और जजों के घर चल रहे हैं, अगर हम अपना धंधा बंद कर देंगे तो पुलिस वाले, जज और नेता सब बेरोज़गार हो जाएंगे।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार