नई दिल्ली: आगामी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन के अधिग्रहण में देरी से इसके लांच की तारीख को आगे खिसकाना पड़ सकता है, लेकिन रेलवे बुलेट ट्रेन के विभिन्न कल-पुरजों और यात्रियों की सुविधाओं को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. बुलेट ट्रेन में यात्रियों को बाल पोषण के लिए अलग से कमरा मुहैया कराया जाएगा. बीमार लोगों के लिए सुविधा प्रदान की जाएगी और पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए जाएंगे. भारतीय रेलवे में ये सुविधाएं पहली बार प्रदान की जाएंगी. सभी ट्रेनों में 55 सीटें बिजनेस क्लास और 695 सीटें स्टैंडर्ड क्लास के लिए आरक्षित होंगी. ट्रेन में यात्रियों को सामान रखने के लिए जगह दी जाएगी.
ई5 शिंकनसेन सीरीज बुलेट ट्रेन में बेबी चेंजिंग रूम की भी सुविधा दी जाएगी, जिसमें बेबी टॉयलेट सीट, डायपर डिस्पोजल और बच्चों के हाथ धोने के लिए कम ऊंचाई के सिंक लगे होंगे. व्हीलचेयर वाले यात्रियों के लिए अतिरिक्त जगह वाले टॉयलेट की सुविधा दी जाएगी. रेलवे द्वारा बुलेट ट्रेन के लिए तैयार अंतिम रूपरेखा के अनुसार, 750 सीटों वाले ई5 शिंकनसेन एक नए जमाने का हाई स्पीड ट्रेन है. इसमें ‘वाल माउंटेड टाईप यूरिनल’ की सुविधा प्रदान की जाएगी. डिब्बों में आरामदायक स्वचालित घूमने वाली सीट प्रणाली होगी. ट्रेन में फ्रीजर, हॉट केस, पानी उबालने की सुविधा, चाय और कॉफी बनाने की मशीन और बिजनेस क्लास में हैंड टॉवल वार्मर की सुविधा प्रदान की जाएगी. डिब्बों में एलसीडी स्क्रीन लगी होगी, जहां मौजूदा स्टेशन, आने वाले स्टेशन, गंतव्य और अगले स्टेशन पहुंचने और गंतव्य पहुंचने के समय के बारे में जानकारी आती रहेगी.
मोदी सरकार की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के अंतर्गत रेलवे 5000 करोड़ रुपये में जापान से 25 ई5 सीरीज के बुलेट ट्रेन खरीदने की तैयारी में है. मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर का अधिकतर हिस्सा एलिवेटेड होगा, जिसमें ठाणे से विरार तक 21 किलोमीटर भूमिगत गलियारा होगा. इसमें भी सात किलोमीटर गलियारा समुद्र के अंदर बनाया जाएगा. अधिकारी ने कहा, “बुलेट ट्रेन की डिजाइन को लंबी नाक के आकार का रखा गया है. जब एक उच्च गति की ट्रेन सुरंग से बाहर निकलती है तो, सूक्ष्म दबाव तरंगों की वजह से काफी तेज ध्वनि उत्पन्न होती है. सूक्ष्म दबाव को कम करने के लिए, सामने की कार को नाक के आकार का बनाया जाता है.” बुलेट ट्रेन से मुंबई और अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर की यात्रा करने में मात्र दो घंटा सात मिनट का समय लगेगा. भारतीय रेलवे इस परियोजना में 9800 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जबकि बाकी खर्च महाराष्ट्र और गुजरात की सरकारें वहन करेंगी.