मेदांता हास्पिटल फिर सुर्खियों में है। इस बार खून और दवाओं के लिए निर्धारित से कई गुना ज्यादा रकम मरीज के परिवार वालों से वसूलने का मामला है। खुद सरकारी जांच में इस बात की पुष्टि हुई है। नियमों के मुताबिक औषधि मूल्य नियंत्रण स्कीम से अधिक दर पर दवाएं बेचना अपराध है। कमेटी ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। यह जांच पीड़ित परिवार की शिकायत पर हुई। दरअसल सात वर्षीय शौर्य प्रताप नामक का बच्चा पिछले साल अक्टूबर में गुरुग्राम के मेदांता हास्पिटल में भर्ती हुआ था। 22 दिनों तक चले इलाज के बाद अस्पताल ने 15 लाख रुपये का बिल थमा दिया। यह देखकर परिवार के होश उड़ गए। बाद में बच्चे के पिता गोपेंद्र ने बेटे की छुट्टी कराकर सरकारी अस्पताल लेकर चले गए। जहां दो दिन तक चले इलाज के बाद बच्चे की मौत हो गई।
‘डीएनए’ की रिपोर्ट के मुताबिक मेदांता हास्पिटल पर दवाओं और खून के नाम पर अधिक पैसे वसूलने की शिकायत पर बीते छह फरवरी 2018 को सिविल हास्पिटल के सर्जन सहित छह सदस्यीय कमेटी का जांच के लिए गठन हुआ। दो दिनों की जांच में टीम ने मृतक के पिता और मेदांता अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ की। जांच के दौरान पाया कि मेदांता अस्पताल ने रेंडम डोनर प्लेटलेट्स के लिए 1950 रुपये का चार्ज किया, जबकि सरकार ने इसकी कीमत चार सौ रुपये तय की थी। जांच टीम के मांगे जाने पर अस्पताल ने एक नवंबर 2017 से 31 नवंबर 2018 तक भर्ती हुए 155 डेंगू रोगियों की एक सूची प्रस्तुत की।
जांच के दौरान पता चला कि अस्पताल ने ठीक से बिल भी नहीं दिया, जिसमें दवाओं के मूल्य का विवरण हो। दो दिन तक चली जांच के दौरान कमेटी ने केंद्र सरकार के औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश के तहत अधिक मूल्य पर दवाओं की बिक्री पाया । नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी(एनपीपीए) की ओर से निर्धारित कीमतों से अधिक दवाओं की बिक्री पर कार्रवाई का प्रावधान है। जांच में कमेटी ने पाया कि एक इंजेक्शन जिसकी कीमत 41.44 रुपये थी, उसे हास्पिटल ने 77.70 रुपये में बेचा। यह भी पता चला कि मेदांता हास्पिट में रहने के दौरान बच्चे को गंभीर संक्रमण भी झेलना पड़ा। उसे 29 अक्टूबर 2017 को आईसीयू में आक्सीजन दिया गया। 22 दिनों के इलाज में भारी खर्च बैठने के बाद गोपेंद्र ने बेटे को गवर्नमेंट हास्पिटल में भर्ती करने का फैसला किया। जहां दो दिन में मौत हो गई।
साभार- जनसत्ता से