नई दिल्ली ।16 साल पहले शुरू हुआ यस बैंक डूब रहा है, उसे बचाने के लिए SBI के हाथ बढ़ाने की बातें सामने आ रही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे गर्त में पहुंचाने की कहानी घर से ही शुरू हुई है। अशोक कपूर की मौत के बाद कैसे इसकी शुरुआत हुई आइए जानें।
कभी सबका चहेता रहा यस बैंक अब डूबने के कगार पर है। ऐसा बैंक जिसे औसत से ज्यादा ब्याज देने के लिए जाना जाता था। इसके बेहद खराब दिन चल रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि उसको बचाने की महीनों से कोशिश की जा रही है। बैंक के शेयर लगातार लुढ़कते जा रहे हैं, आज के सेशन में भई यह 50 पर्सेंट नीचे ट्रेड कर रहा है। एसबीआई अब उसे बचाने के लिए आगे आया है, लेकिन बैंकों की दुनिया में यह चमकता सितारा गर्त में कैसे पहुंचा, यह नहीं जानना चाहेंगे? इस कहानी की शुरुआत राणा कपूर के परिवार के सामंती माहौल और आपसी कलह से होती है। पहले समझते हैं कि कब और कैसे शुरू हुआ यह बैंक।
ज्यादा पुराना नहीं है यस बैंक। साल 2004 में राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक कपूर के साथ मिलकर इस बैंक की शुरुआत की थी। 26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई, उसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मधु अपनी बेटी के लिए बोर्ड में जगह चाहती थीं। यूं स्थापना के करीब 4 साल बाद ही परिवार की कलह बैंक पर हावी रहने लगी और आज नौबत यहां तक आ गई है।
देश के चौथे सबसे बड़े निजी बैंक यानी यस बैंक की मौजूदगी पूरे देश में है। इसका हेडक्वॉर्टर मुंबई में है। बैंक का नेटवर्क काफी बड़ा है। देशभर में इसके 1000 से ज्यादा ब्रांच हैं और 1800 ATMs हैं। यस बैंक के महिला स्पेशल ब्रांच भी हैं, जो ‘यस ग्रेस ब्रांच’ के नाम से चलाए जाते हैं। इनमें महिलाओं के लिए खास प्रॉडक्ट ऑफर होते हैं। इनकी खास बात यह है कि इनमें पूरी तरह से महिलाओं का स्टाफ है। इसके अलावा, देश में 30 से ज्यादा ‘यस एसएमई ब्रांच’ भी हैं, जो SMEs को स्पेशलाइज्ड सर्विसेज मुहैया करते हैं।
वित्त मंत्रालय की तरफ से गुरुवार (5 मार्च 2020) की शाम 6 बजे से 3 अप्रैल तक बैंक के डिपॉजिटर्स पर पाबंदी लगा दी गई। विदड्रॉअल की लिमिट सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी गईं। इस पूरी अवधि में खाताधारक 50 हजार रुपये से अधिक नहीं निकाल सकेंगे। यदि किसी खाताधारक के इस बैंक में एक से ज्यादा खाते हैं तब भी वह कुल मिलाकर 50 हजार रुपये ही निकाल सकेगा। यह नोटिफिकेशन रिज़र्व बैंक के आवेदन पर जारी किया गया। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यदि किसी खाताधारक ने बैंक से कर्ज ले रखा है या उस पर बैंक की कोई देनदारी है तो उस राशि को घटाने के बाद ही डिपॉजिट में से पैसे दिए जाएंगे।
आरबीआई ने गुरुवार को यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया। केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है।
साल 2008 में जब अशोक कपूर की मौत हुई तो कपूर परिवार में कलह शुरू हो गई। अशोक की पत्नी मधु अपनी बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं, मामला मुंबई की अदालत तक पहुंचा, जिसमें जीत राणा कपूर के पक्ष की हुई। थोड़े समय के लिए इस युद्ध पर विराम लगा और रणवीर गिल को बैंक का एमडी अपॉइंट किया गया। इस दौरान कॉर्पोरेट गवर्नेंस से समझौते के मामले सामने आए और बैंक कर्ज की चपेट में आ गया। धीरे-धीरे वक्त बदला और प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी।
राणा कपूर को बेचने पड़े शेयर्सः राणा कपूर बैंक में अपने शेयर्स को हीरा-मोती बताते थे और कभी बेचना नहीं चाहते थे। लेकिन अक्टूबर 2019 में नौबत यहां तक पहुंच गई कि राणा कपूर और उनके ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 4.72 रह गई। 3 अक्टूबर को सीनियर ग्रुप प्रसेडिंट रजत मोंगा ने रिजाइन किया, उन्होंने सितंबर में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।
कॉर्पोरेट ग्राहकों ने डुबोयाः यस बैंक के ग्राहकों की लिस्ट में रीटेल से ज्यादा कॉरपोरेट ग्राहक हैं। यस बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें अधिकतर घाटे में हैं। कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर हैं, लिहाजा लोन वापस मिलने की गुंजाइश कम। जब कंपनियां डूबने लगीं तो बैंक की हालत भी पतली होने लगी।
राणा कपूर पद से हटेः यस बैंक का संकट तक बगराने लगा जब बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को पद से हटा दिया गया। रिज़र्व बैंक ने कहा कि वह बैलंस शीट की सही जानकारी नहीं दे रहे। 31 जनवरी को उन्हें पद छोड़ने को कहा गया था।
यस बैंक पर जुर्मानाः RBI ने बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरोप था कि बैंक मेसेजिंग सॉफ्टवेयर स्विफ्ट के नियमों का पालन नहीं कर रहा। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल बैंक लेनदेन के लिए करते हैं।
अगस्त 2019 में मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटा दी और ज्यादातर रेटिंग एजेंसियां इसे लेकर आश्वस्त नहीं रहीं। इसकी रेटिंग घटने से बैंक की हैलत और खराब हो गई, बाजार में नेगेटिव संकेत पहुंचे।
2018 में जहां यस बैंक का मार्केट कैप 80 हजार करोड़ के आसपास था, वह 90% से ज्यादा घट गया है। अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस करीब 400 रुपये था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 18 रुपये रुपये के आसपास है। आज बैंक के शेयर 50 पर्सेंट नीचे कारोबार कर रहे हैं।
तमाम पाबंदियों के बीच अब आरबीआई यस बैंक के बहीखातों ऐसेट क्वॉलिटी को मूल्यांकन करेगा और इसके बाद तय करेगा कि आगे क्या किया जा सकता है। उम्मीद है कि 30 दिनों के भीतर यह तय कर लिया जाएगा कि देश के चौथे सबसे बड़े निजी बैंक का मर्जर होगा या टेकओवर।
साभार- https://navbharattimes.indiatimes.com/ से