Saturday, November 23, 2024
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मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी कि मुझे आउट कर दो:- सुमित्रा अय्यर

गायिका ,लेखिका ,संगीतकार सुमित्रा अय्यर संगीत की दुनिया का एक जाना माना नाम है। सुमित्रा ने अमूल स्टार वॉइस ऑफ़ इंडिया में प्रथम पांच में स्थान बनाया और बहुत प्रशंशा और प्रसिद्धि पायी। इसके आलावा आपने स्टार प्लस ‘जो जीता वह सुपरस्टार’ ,और’ उस्तादों के उस्ताद’ रियल्टी शो में भाग लिया है। आपने भारत के लगभग सभी प्रसिद्ध गायकों के साथ मंच साझा किया है। ‘आपने जब से हम हुए जवान’ फिल्म ‘आमरस’ के लिए ,फिल्म ‘विक्ट्री ‘के लिए ‘मजा आ गया’, तथा ‘गंगूबाई पर आयी जवानी’ ,’डांस लाइक पंजाबी’ ,’तेरे बिन जिया जाय न’, ‘रॉकिंग शॉकिंग फॅमिली’ ,’चाइनीज़ ख़ुशी’ ,’साडी लव स्टोरी’ ,इत्यादि गाने गाये हैं। आपने फिल्म’ कुछ करिये’ तथा ‘आई ऍम सिंह’ के लिए गाने लिखे और संगीत निर्देशन भी किया l आप जितनी अच्छी गायिका है उतनी ही अच्छी इंसान भी है। आजकल आप न्यूजर्सी अमेरिका में रहती हैं। किसी कार्यक्रम के लिए आप लॉस एंजेलिस आयीं थी और यही पर मुझे इस हद दिल अज़ीज़ गायिका से मिलने का और बात करने का मौका मिला।

प्रस्तुत हैं सुमित्रा जी से की गयी बात चीत के मुख्य अंशः

आपके घर में संगीत का वातावरण नहीं था फिर आपका रुझान संगीत की ओर कैसे हुआ ?
मै दक्षिण भारतीय परिवार से हूँ। लगभग सभी दक्षिण भारतीय परिवारों में बच्चों को एक न एक कला अवश्य ही सिखाते हैं। तो मेरी माँ ने मुझे और मेरी बहन को संगीत सीखने के लिए गुरु सरोजा जी के पास भेजा।मैने लगभग ७ साल तक उनसे शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद मैं पढ़ाई में लग गई, पर गाने का शौक बना रहा। एक बार सा रे गा मा में गिटार बजाने वाले सुरेश जी हमारी कॉलोनी में रहने आये उस समय मै ९वीं कक्षा में पढ़ रही थी। मैने उनसे कहा कि मुझे शो के लिए ऑडिशन देना है। पर मेरी माँ ने कहा, नहीं पढ़ाई करो कहाँ इन सब के चक्करों में पढ़ोगी। मैं अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटी हूँ तो वैसे भी मैं थोड़ा शैतान थी इसलिए मेरे माता पिता मुझ पर ज्यादा निगाह रखते थे। उस समय मुझे भी लगा ठीक है। उस समय मेरा सा रे गा मा में जाना रह गया। इसके बाद मैं अपनी पढ़ाई में लग गयी। मैने एमसीए किया। इस दौरान स्कूल और कॉलेज में मेरा गाना लगातार जारी रहा। २००० में मैने हरिहरन जी के साथ गाना गाया था। उस समय मै पढ़ ही रही थी।

आपको हरिहरन जी के साथ गाने का मौका कैसे मिला ?
हरिहरन जी मेरे कॉलेज फेस्ट के लिए आये थे उन्होंने वहाँ गाना गाया था । उसके बाद हमलोगों ने भी गाया। मुझे सुनने के बाद उन्होंने कहा कि तुम्हारी आवाज बहुत सुन्दर है तुमको आगे गाने के लिए जरूर सोचना चाहिए। उस समय वह पवई मुम्बई में थे। उन्होंने मुझे उनके मैनेजर का संपर्क नंबर दिया और कहा एक शो इधर ही हो रहा है तुम आओ और एक गाना गाओ। मैं वहाँ गयी और मैने उनके साथ गाया। मैने लगभग २ सालों तक उनके साथ गाया। मैं हर शो में नहीं गाती थी परन्तु कभी एक महीने में कभी दो महीनों में उनके साथ गाती थी।

अभिजीत जी ने आपकी प्रशंशा की आपसे बाद में संपर्क करने को भी कहा पर आप उनसे नहीं मिल पायीं क्यों ?
मैने एक कॉलेज स्पर्धा में भाग लिया था और उसको जीता भी था वहाँ श्री अभिजीत भट्टाचार्य जी आये थे उन्होंने भी मुझको कहा कि संगीत को तुमको गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने मुझे अपने मैनेजर का नंबर दिया पर वह कागज मुझसे खो गया। तो फिर मैं उनसे संपर्क नहीं कर पायी।

आपने सोनू निगम जी के साथ बहुत से शो किये हैं आप उनके साथ कैसे जुड़ीं ?
गाने के साथ साथ मैं अपनी पढ़ाई भी बहुत अच्छी तरह कर रही थी। मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा था। अपनी पढ़ाई पूरी कर के मैने पटनी कंप्यूटर में सॉफ्टवेर इंजीनियर की नौकरी कर ली। इसी दौरान मै अमेरिका आयी करीब तीन साल नौकरी कर के मै भारत वापस चली गयी। काम के साथ साथ संगीत भी चल रहा था। मैं एक जगह गाना गा रही थी। उसी समय सोनू निगम जी के एक साजिंदे ने मुझे सोनू निगम जी से मिलवाया। इसके बाद मैने सोनू जी के साथ टूर किया। इस दौरान मैने बहुत कुछ सीखा। दौरे के अंत में सोनू जी ने मुझसे पूछा “क्या तुम मेरे साथ मेरे सारे टुअर में गाओगी”। उनके मैनेजर ने कहा कि तुमको कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा। मैने कहा नहीं मैं हर शो में तो नहीं आ सकती केवल सप्ताहांत में ही मैं आपके साथ गाऊँगी। मैनेजर ने कहा नहीं ऐसे नहीं होता है। कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ता है। तब सोनू जी ने कहा कि” जब मैं पुणे या मुम्बई में शो करूँगा तो तुमको संपर्क करूँगा”। और ऐसा हुआ भी। मैने उनके साथ दो साल तक “आइडिया रॉक्स इंडिया “टूअर किया था।

 

 

आपने वायस ऑफ़ इंडिया में भाग कैसे लिया?
२००७ में वायस ऑफ़ इंडिया हुआ। मेरे साथ काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि वह ऑडिशन देगा। उसने ही मुझको कहा तुम क्यों नहीं देती ओडिशन। तो मैंने भी ऑडिशन दिया। करीब १०-१२ राउंड के बाद हमको पता चला कि यह ऑडिशन चैनल स्टार प्लस के लिए था।

उस समय सारे प्रतिभागी एक जगह ही रहते थे बाहर क्या चल रहा है कुछ पता नहीं होता था। १०- २० राउंड के बाद टीवी पर प्रसारित होने वाले एपिसोर्ड की शूटिंग हुई थी। उनमे मैने उषा उत्थुप जी का गाना गाया था । हम सरे प्रतिभागी एक बंगले में रहते थे। सभी के माता-पिता शो पर बैनर लेकर आते थे। पर मेरे माता पिता कभी भी नहीं आये। मेरे माता पिता ने मेरे लिए कभी भी वोट नहीं किया। मैं अपने माता पिता को कहती भी थी कि आप लोग मेरे लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। फिर भी मैं प्रथम पाँच में स्थान बना पायी।

मुझे सर दर्द होता था क्योंकि एक दिन में दो-एपिसोड शूट होते थे। वह मेरे लिए बहुत कठिन हो रहा था। एक समय ऐसा भी आया कि मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी कि मुझे आउट कर दो। जब मैं आउट हुयी तो संजय लीला भंसाली जी जज थे उन्होंने कहा कि वाइल्डकार्ड से आना है क्या, मैने कहा नहीं मुझे नहीं आना है। तो वह बोले क्यों मैने कहा मैं बहुत थक गयी हूँ। जब मैं बाहर आयी तो पता चला कि कितने सारे मेरे प्रशंशक हैं।

फिल्मों के लिए आपको ब्रेक कब मिला ?
मैं शो करती थी फिर धीरे धीरे मैने स्टूडियो में जाना शुरू किया। अपने संगीतकारों से मुझको पता चला कि कौन सा संगीतकार कहाँ रहता है। फिर मैने टेप बनाना शुरू किया लोगों को देना शुरू किया पर कोई सुनता ही नहीं था। सचिन जिगर जी के साथ मैने कॉलेज में काम किया था. सचिन संघवी मेरी सहेली के भाई थे। उनके लिए मैने कुछ रिकॉर्ड किया। ऐसे ही कुछ और रिकॉर्डिंग भी किया पता नहीं कैसे कब फिल्म ” खिलाड़िओं का खिलाड़ी “में रेखा जी और अक्षय कुमार जी पर फिल्माया गया था। उस गाने को सुनिधी चौहान और मैने गया था। इसके बाद विक्ट्री फिल्म के लिए मैने “मजा आ गया गाने में एक हिस्सा गया। २००८ -२००९ में मैं रिकॉर्डिंग के लिए जाती थी बिना यह जाने कि किस फिल्म के लिए है या किसपर फिल्माया जाने वाला है गाना गा कर चली आती थी। क्योंकि लोग पहले रिकॉर्ड कर लेते हैं ,फिर फिल्म में लेते हैं। मैंने कुछ गीत मीका सिंह के लिए गाए थे और उस गाने को एक पंजाबी निर्देशक जयदेव जी ने सुना, उनको मेरी आवाज बहुत पसंद आयी। तब मैने उनके साथ काम करना शुरू किया और करीब दो सालों तक उनके साथ काम किया। जब मैं जयदेव जी के साथ काम कर रही थी तो मुझको पता होता था कि यह फिल्म है और इनके लिए मैं गाना गा रही हूँ। हमारे शो में ललित पंडित जी भी थे। उनके साथ भी मैने कुछ गाने गाये हैं। एक दो बार ऐसा हुआ है कि मेरी आवाज में गाना था ,पर बाद में श्रेया और सुनिधि ने उसी गाने को गाया क्योंकि प्रोड्यूसर को उनको आवाज चाहिए थी। इस तरह के गाने को स्क्रैच गाना कहते हैं। मैने कुछ स्क्रैच गाने गाये हैं।

क्या आपको स्क्रैच गाने का भुगतान किया जाता है ?
नहीं, हमको इन गानों का कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता है। अरिजित सिंह ने १५ से १८ सालों तक स्क्रैच गाने गाये हैं। मुझे बहुत बुरा लगता था कि पूरे दिन मेहनत की पर पता भी नहीं होता था कि आपका गाना स्तेमाल होगा भी या नहीं ?

फिल्म “लव एक्सप्रेस” में आपने गाने गाये हैं, इसके बारे में कुछ बताईये।

सुभाष घई का स्कूल है जिसका नाम है विसलिंग वुड। यहाँ फिल्मों से जुड़ी कई सारी बातें सिखाई जाती हैं। उनका एक प्रॉजेक्ट था जिसमे कि सारा काम उनके विद्यार्थी ही करेंगे। केवल एक ही चीज ऐसी थी जिसमे सुभाष जी आएंगे और सहायता करेंगे वह था संगीत। वहाँ मैं गयी और उनके साथ काम करना शुरू किया। मैं उस टीम में सबसे छोटी थी। और जो भी विचार मैं सुभाष जी को बताती थी उनको बहुत अच्छा लगता था। उन्होंने मुझसे फिल्म “लव एक्सप्रेस के सारे गाने गवाये थे । उसी समय सुखविंदर सिंह जो की सुभाष घई जी के बहुत अच्छे मित्र थे उन्होंने मेरी आवाज सुनी। उन्होंने कहा की दक्षिण भारत की हो कर पंजाबी इतना अच्छा गा रही है तो क्या मैं आपका दक्षिण भारतीय गाना सुन सकता हूँ। मैने उनको थोड़ा गा कर सुनाया। उनको अच्छा लगा और मैने उनके साथ ‘रक्त चरित्र ‘में गाया। पर उस गाने में मेरा नाम नहीं है।

ऐसा क्यों हुआ ?
शायद सुखविंदर सिंह जी जिनके साथ मैने यह गाना गया था मेरा नाम डालना भूल गए। जबकि मेरी आवाज तमिल तेलगु हिंदी सभी भाषाओँ प्रयोग की गयी। “दिल तो बच्चा है जी” फिल्म में सोनू निगम जी का गाना है तेरे बिन न देखूँ सुबह ‘ उसमे एक अंग्रेजी पंक्ति है जो पूरे गाने में चली है, वह मैने गायी है पर उसमे भी मेरा नाम नहीं है।

आपने तमिल फिल्मों में भी गाया है ।
जी हाँ मैने शंकर महादेवन जी के साथ एक तेलगु फिल्म ‘शिवा मानसुलो शक्ति में गाया है। शंकर जी के साथ मैने शो भी किये हैं।

आपने यहाँ अमेरिका में शो किये है भारत में भी शो किये हैं। दोनों जगह शो करने में क्या अन्तर है?
भारत में श्रोता बहुत ही अलग है वहाँ कॉर्पोरेट शो में लोग थोड़ा तड़क भड़क पसंद करते हैं। पर यहाँ लोग शास्त्रीय संगीत या मध्यम गति के गाने बहुत शौक से सुनते हैं।

आपने फिल्म आई एम सिंह में संगीत दिया यह अवसर आपको कैसे मिला ?
मैं अपना खुद का संगीत बना रही हूँ। गाने लिखती हूँ उनको राग भी देती हूँ। एक बार अपना बनाया गाना मैने एक शो में गाया था तो निर्देशक पुनीत वहाँ बैठे थे उन्होंने कहा क्या कुछ ऐसा ही गाना तुम मेरी फिल्म के लिए बना सकती हो? मैने कहा क्यों नहीं जरूर बना सकती हूँ। मैने उनके लिए काम किया और गाना बनाया। इसमें अच्छी बात यह हुयी कि सुखविन्दर सिंह ,और दलेर मेहन्दी जी ने मेरे लिए गया। फिल्म का नाम था ‘ आई एम सिंह’ l मैने फिल्म ‘कुछ करिये ‘ में good thought never die कर के एक गाना है जिसको मैने लिखा था उसका संगीत भी दिया था और उसको मैने और डोनमिक ने गाया था।

जैसा की आपने अभी कहा कि आप गाने भी लिखती हैं, क्या आप केवल अंग्रेजी गाने लिखती हैं?
मैं अंग्रेजी में ही लिखती हूँ। हिन्दी में उतना अच्छा लिख नहीं पाती हूँ।

आप पहले धुन बना के गीत लिखती हैं कि गीत लिख कर धुन बनाती हैं ?
कभी कभी मैं पहले लिखती हूँ कविता की तरह पर कभी कभी क्लब संगीत चल रहा हो, ग्रूव संगीत चल रहा हो तो अपने आप संगीत आ जाता है।

आपने अलग अलग भाषाओँ में गाया है। जबकी आपकी मातृभाषा तमिल है। अन्य भाषाओँ का इतना शुद्ध उच्चारण आप कैसे कर लेती हैं?

मेरे अन्दर एक बात है यदि मैं ज्यादा दिन बंगालियों के साथ रह लूँ तो मेरी हिंदी भी बंगाली सी लगने लगती है। मैं जिस भी समूह मैं हूँ उसका उच्चारण सीख जाती हूँ उनका बोलने का अंदाज़ सीख जाती हूँ। कभी कभी ये समस्या भी बन जाती है। घर में सब कहते हैं तुम तो अभी बंगालियों की तरह बात कर रही हो, तुम तो अभी पंजाबियों की तरह बात कर रही हो।

आपको अभी तक सबसे अच्छी प्रशंसा क्या मिली है?
सभी कहते हैं कि मैं श्रोताओं से बहुत अच्छी तरह जुड़ जाती हूँ। मेरी गायिकी में बहुत विभिन्नता है। अनिल कपूर ने एक बार शो कहा था कि तुम बहुत अच्छा गाती हो तुम्हारा भविष्य बहुत उज्जवल है।

आपको हृदय नाथ मंगेशकर, पंजाबी इंटरनेशनल फिल्म अकैडमी अवार्ड का सबसे अच्छी पार्श्व गायिका का पुरस्कार मिला हैं। उनको पाने का अनुभव कैसा रहा ?
पुरस्कार पाना अपने आप में एक सुखद अनुभूति होती है। मेरे लिरे बहुत ही आश्चर्य की बात थी पर बहुत ही आनन्द आया। सबसे अच्छी पार्श्व गायिका का पुरस्कार लेने मैं टोरेंटो कनाडा गयी थी, वहाँ सभी का स्नेह देख कर बहुत अच्छा लगा था।

आपकी भविष्य की योजनाएँ क्या हैॆ ?
अभी तो मैं अपना संगीत बना रही हूँ। भारत से कुछ ऑफर है देखती हूँ क्या कर सकती हूँ?

हिन्दी मीडिया पढ़ने वालों को आप क्या कहना चाहेंगी ?
मैं तो यही कहना चाहुूंगी कि बॉलीवुड के अलावा भी संगीत सुने और गैर फ़िल्मी संगीत की ओर भी अपना ध्यान आकर्षित करें।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

रचना श्रीवास्तव अमरीका में रहती हैं और वहाँ रह रहे भारतीय लोगोॆं की गतिविधियों पर नियमित रूप से लिखती हैं।

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