Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeखेल की दुनियामुझे खारिज कर दिया गया था फिर भी मैने हिम्मत नहीं हारीः...

मुझे खारिज कर दिया गया था फिर भी मैने हिम्मत नहीं हारीः करुण नायर

कुछ पारियां क्रिकेट में इतनी शानदार होती हैं कि इतिहास रच देती हैं। साल 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ करुण नायर की टेस्ट डेब्यू पारी ऐसी ही एक पारी थी। सिर्फ तीन पारियों में नाबाद 303 रनों की पारी खेलकर, वे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे तेज तिहरा शतक बनाने वाले बल्लेबाज़ बन गए थे। वह मैच भारत ने एक पारी से जीती थी और नायर ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुने गए थे।

लेकिन जब हम किसी के करिअर की हाइलाइट्स को देखते हैं तो उसके पहले और बाद में होने वाली घटनाओं के बारे में अक्सर हमें कुछ खास पता नहीं चल पाता। नायर याद करते हुए बताते हैं, “मुझे याद है, मेरे माता–पिता मैच के दौरान स्टेडियम में थे। जब मैंने अपना तिहरा शतक बनाया, मीडिया ने उन्हें लोगों से घिरा पाया। मेरी माँ को इस तरह के प्रेशर की बिल्कुल आदत नहीं थी, सो वे किसी तरह लोगों की भीड़ से बाहर निकलीं। लेकिन बाद में जब मैं अपने माता– पिता से मिला तो वे खुशी से नाच रहे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैंने इतनी शानदार शुरुआत की है।”

इसके बाद कोई भी यही सोचेगा कि इस तरह की प्रतिभा के कारण नायर कुछ दिनों तक भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा रहेंगे। लेकिन भारतीय क्रिकेट जैसे प्रतिस्पर्धी खेल में, ऐसा नहीं होना था।

नायर को जल्द ही पता चल गया कि अंतिम टेस्ट 11 में उन्हें नहीं रखा गया है। यहां तक की वे भारतीय टीम के साथ इंग्लैंड दौरे पर भी गए लेकिन उन्हें एक मैच भी खेलने का मौका नहीं मिला।

नायर बताते हैं, “टूअर के दौरान मैंने बहुत ज्यादा नहीं बोला। मुझे याद है मेरे पिता जी मुझे लगातार फोन करते और पूछते कि मैं क्यों नहीं खेल रहा हूँ और मेरे पास उनके इस सवाल का कोई जवाब नहीं होता। जब टूअर खत्म हुआ तो मैंने अकेले में राहुल द्रविड़ से बात की। बीते वर्षों में, हम बहुत करीब आ गए थे और वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें मैं खुले मन से सुनता हूं और यकीन करता हूँ कि वे मुझे सही सलाह देंगे।”

लेकिन नायर अपनी असफलताओं के बारे में क्या कहना चाहेंगे? “मेरा मानना है कि जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें भूल कर आपको आगे बढ़ना चाहिए। बेशक, वह कुछ समय तक आपके साथ रहती है लेकिन जब तक आप अतीत को भूलेंगे नहीं, उससे पूरी तरह से बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक आप कभी भी आगे नहीं बढ़ सकेंगे। इसलिए इस सत्र के लिए मेरा लक्ष्य बहुत ही साधारण सा है– मैं पूरे लगन के साथ रणजी ट्रॉफी में खेलना चाहता हूँ, बिल्कुल वैसे जैसा कि यह फिर से मेरा डेब्लयू सत्र हो।”

हालांकि हम सब सफलता की सराहना करते हैं लेकिन हम में से ज्यादातर लोग असफलता के बाद फिर से उठने और बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत करने का मायने नहीं समझ पाते। नायर के क्रिकेट करिअर के उतार– चढ़ाव के बारे में अधिक जानने के लिए स्पाइसी पिच का लेटेस्ट एपिसोड देखें। यह एपिसोड 13 जून, शनिवार से क्रिकबज़ की वेबसाइट और एप पर उपलब्ध है।

लिंक: Karun Nair Episode

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार