केरल का नाम सुनते ही हमारे दिल में विश्व में प्रसिद्ध बैकवाटर में घूमने की इच्छा जाग्रत होने लगती हैं। यहाँ के समुद्री तट के साथ-साथ झील, नहरे, और लैगून आदि के आकर्षक नज़ारे हैं। केरल यात्रा पर हो और बोट में बैठ कर बैकवाटर में घूमने का मज़ा नहीं लिया तो क्या किया ! बैकवाटर में हाउस बोट में घुमते हुए केले के पत्ते पर भोजन करना और नारियल पानी पीना और उसकी मलाई को खुरच कर खाना वाकई दिलचस्प हैं। बैकवाटर में घूमना एक सपने के सच होने जैसा महसूस होता हैं। हाउसबोट क्रूज़ पर जाना और दिल खोलकर मस्ती करना केरला की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर खींचता हैं। मीठे पानी का सबसे प्रमुख स्रोत बैकवाटर हैं जो कि समुद्री वनस्पति और जीवों का एक विशाल और आकर्षक स्थान बन गया हैं।
केरल में हाउसबोट्स, डोंगी नावें और एसडब्ल्यूटीडी द्वारा सार्वजनिक घाट आदि हैं। हाउसबोट कासरगोड, कोट्टायम, अलाप्पुझा, कोल्लम, त्रिशूर और एर्नाकुलम में उपलब्ध हैं। हाउसबोट लगभग 4-5 पर्यटकों की मेजबानी कर सकती है। इसके अलावा इनमें लगने वाला शुल्क मौसम और सीजन के अनुसार कम-ज्यादा होता रहता हैं। लेकिन औसत शुल्क लगभग 6000 से 45000 के मध्य होता है।
कैनो बोट्स या केट्टुवलम के माध्यम से आप गांव की यात्रा पर जा सकते हैं। डोंगी में 5-6 लोग सवार हो सकते हैं और 3-4 घंटे की धीमी यात्रा कर सकते हैं। डोंगी का किराया लगभग 400-1000 रूपए प्रति व्यक्ति होता है। केरल राज्य जल परिवहन विभाग द्वारा नाव घाट और(नाव जेट्टी) से नियमित अंतराल पर नौकाएँ चलाई जाती हैं। इनका किराया भी काफी कम होता है।
खूबसूरत अलेप्पी -आलप्पुझा
केरल के अलेप्पी और इससे जुड़े बैकवाटर सर्वाधिक चर्चित हैं। बैकवाटर झीलों की भूलभुलैया और मीठे पानी की नदियों के इस शहर अलेप्पी को “पूरब का वेनिस” भी कहा जाता है। अलेप्पी भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इसका नाम आलप्पुझा भी है जो केरल का सबसे पुराना शहर है। इस शहर में जलमार्ग के कई गलियारे हैं जो वास्तव में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में मदद करते हैं। विवाह के बाद नवयुगल का सपना होता है किसी शांत, सुंदर, रोमांटिक जगह हमीमून मनाएं। ऐसे युगल अपने सपनों को पूरा कर, यादगार बनाने के लिए चुने नई जगह केरल के अलेप्पी शहर को, और बैकवाटर में पानी के बीच मनाएं अपना हनीमून !
बैकवाटर में नारियल के झुके और केले के पेड़ों के बीच बहते पानी से सैलानियों का रोमांच बढ़ जाता है। पास से जब कोई हाउसबोट निकलती तो उसमें बैठे देशी-विदेशी सैलानी उत्साह से हाथ हिला कर अभिवादन करते हैं तो खुशी का पारावार देखते ही बनता है। किसी-किसी हाउसबोट के पहले तल पर डांस पार्टी होती हुई नज़र आती है। समुद्र की उठती लहरों के कौतुक से कम नहीं होती शांत और गहरे पानी की सुंदरता। दिनभर बोट से बैकवाटर की सैर करते हुए ग्रामीण जनजीवन को नजदीक से देखना, छोटी-छोटी नोकाओं में बैठ कर जाल बिछा कर मछली पकड़ते पुरुष एवं आयुर्वेदिक मसाज के लिए आमंत्रण देते पार्लर,जल के जंतुओं के साथ प्रवासी पक्षियों को देखना बड़ा भला लगता हैं। बैकवाटर में घूमने के लिए कई श्रेणियों की बोट और हॉउस बोट किराए पर उपलब्ध है।
आप अपनी इच्छानुसार कितने भी समय के लिए बोट बुक करा सकते हैं। यह 3 रात और 2 दिन में आपको बैकवाटर की रोमांचकारी यात्रा का भरपूर लुत्फ दिलाएगा। हाउस बोट पर पूर्ण आतिथ्य के साथ लजीज नाश्ता, दोपहर और रात्रि का भोजन एवं शाम की चाय आदि की सुंदर व्यवस्था होती हैं। पानी पर तैरते घर में यूं खाने का मज़ा निश्चित ही बड़ा रोमांचकारी लगता है।आप मनपसंद जगह बोट रुकवा कर प्रकृति का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।डूबते सूरज की सुनहरी किरणों में चमकता समुद्र का जल एक यादगार शाम बन जाती है।
वेम्बनाड
विख्यात वेम्बनाड खूबसूरत झील एक प्रमुख बैकवाटर स्थल बन गया है। कोट्टयम कीअनेक नदियां और नहरें इसमें आकर गिरती हैं। पिकनिक के लिए यह खूबसूरत स्थल है। इस इलाके में बोटिंग, मछली पकड़ने और दृश्य-दर्शन के अनेक बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हैं। कुमरकम टूरिस्ट ग्राम में कई हाउस बोटिंग और हॉलिडे पैकेज उपलब्ध हैं।
कुमरकम गांव वेम्बनाड झील में छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है और कुट्टनाड इलाके का एक भाग है। यहाँ का पक्षी अभ्यारण्य जो लगभग 14 एकड़ में फैला हुआ है, प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा जगह है और पक्षी विज्ञानियों के लिए तो स्वर्ग की तरह है। मंत्रमुग्ध करने वाला बैकवाटर स्थल कुमरकम मेंं रीट्रीट जो कभी पुराना बंगला हुआ करता था और अब एक शानदार रिसोर्ट है, बोटिंग और फिशिंग की सुविधा उपलब्ध करता है। केरल पर्यटन विकास निगम का वाटरस्केप, जो बैकवाटर रिसोर्ट है, में लकड़ी के लट्ठों पर बना स्वतंत्र कॉटेज है, जो नारियल के खांचों के बीच होता है और यहाँ से बैकवाटर के खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं। हालीडे पैकेज में हाउसबोट और पारंपरिक केट्टुवल्लम (चावल के नाव) शानदार अनुभव है। ओणम पर यहां सर्प नौका दौड़ सैलानियों को रोमांचित कर देते हैं।
बैकवाटर्स की दृष्टि से मनरो आइलैंड एक छिपा हुआ मोती है, जो 8 द्वीपों से बना है। हर द्वीप छोटे-छोटे पानी की धारा तथा झीलों से अलग होता है। मनरो आइलैंड कोलक्म से लगभग 27 किमी दूर स्थित है। इस स्थान का नाम त्रावणकोर रियासत के पूर्व रेसिडेंट कर्नल जॉन मनरो के सम्मान में रखा गया था। कहा जाता है कि उसने कई नहरें खोदकर कई बैकवाटर क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ा था। इस द्वीप के कुछ आकर्षक स्थानों में संकरे जलमार्ग, कैनाल क्रूज तथा प्रसिद्ध कल्लड़ा बोट रेस शामिल हैं। यह बोट रेस ओणम के 10 दिन के त्योहार के अवसर पर आयोजित किया जाता है। आधुनिक दौर की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी से दूर यह एक अनूठा और शांतिदायक माहौल पेश करता है। यहां बैकवाटर में सुबह 9 बजे और दोपहर 2 बजे चलने वाले क्रूज से भी आनन्द लिया जा सकता है।
आलप्पुष़ा कैनाल
देशी नौका लें या विशाल हाउसबोट, वेम्बनाड झील से जुड़ा आलप्पुष़ा के विशाल कैनाल नेटवर्क आपको हर मोड़ पर रोमांचित कर देगा। जब-तब अचानक से कोई किंगफिशर (रामचिरैया) चिड़िया पानी में गोता लगाती है और चोंच में मछली दबाकर उड़ जाती है, जबकि पास के तट पर स्थानीय लोग मछली पकड़ते हुए देखे जा सकते हैं। बच्चे नाव से स्कूल जा रहे होते हैं और केट्टुवल्लम (चावल के बराज) देखने वालों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। दूर-दूर तक फैले धान के खेत और नारियल के पेड़ आपका मन मोह लेंगे। तट के किनारे बसे हुए स्थानीय कुटीरों में उपलब्ध व्यंजनों खास कुदरती अल्कोहल पेय,टैपिओका और फिश करी आदि का लुत्फ उठा सकते हैं।
कुंबलंगी इंटीग्रेटेड टूरिज्म विलेज
कुंबलंगी के छोटे से द्वीप को एक मॉडल फिशिंग ग्राम और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का एक अनोखा प्रयास किया गया है। भारत में यह अपने आपमें पहला प्रयास है और यह कोच्चि में स्थित है। इसे अनेक प्राकृतिक उपहारों का वरदान हासिल है और जो लोग यहां आते हैं उन्हें देखने को बहुत सी अनोखी चीजें मिलती है।
कुंबलंगी चारों तरफ से बैकवाटर्स से घिरा है। इस द्वीप पर चाइनीज फिशिंग नेट की बहुतायत में रहती हैं और इस गांव के पास समृद्ध जलीय जीवन है। भूमि और जल को मैंग्रोव के जंगल अलग करते हैं और ये मैंग्रोव प्रॉन (झींगा मछली), केंकड़ा, सीपी और छोटी मछलियों के लिए उपयुक्त प्रजनन स्थल हैं। समीप ही कलाग्राम कलाकारों का गांव है। यहां मछली पकड़ने के उपकरण और हस्तशिल्प की वस्तुएं प्रदर्शित की जाती हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के बीच बेट-फिशिंग (चारा डालकर मछली पकड़ना) बेहद लोकप्रिय है। गांव के अनेक घर होमस्टे हैं और पर्यटक सीधे होमस्टे ऑपरेटर्स के जरिए अपने ठहरने की बुकिंग करा सकते हैं।
कुट्टनाड
कुट्टनाड, केरल के चावल का कटोरा आलप्पुष़ा जिले के बैकवाटर्स के बीच स्थित है। धान (चावल) की समृद्ध फसलों के कारण इसका यह नाम पड़ा। जिले के आंतरिक हिस्से में बसा हुआ यह इलाका एक विशाल पुनर्निर्मित (रीक्लेम्ड) भूमि है जिसे तटबंध (डाइक्स) द्वारा जल से अलग किया गया है और पानी की ऊंचाई जितनी दिखती उससे कहीं अधिक है।
देहात का नजारा तो ऐसा है कि यहां से होकर जो भी हाउसबोट में गुजरते हैं सबको मंत्रमुग्ध कर देता है। माना जाता है यह दुनिया में शायद इकलौती जगह है जहां समुद्र तल से 2 मी. की गहराई पर खेती की जाती है। इस इलाके में 4 बड़ी नदियों पम्पा, मीनच्चिल, अच्चंकोविल और मणिमला का जल प्रवाह होता है। कुट्टनाड में यहां-वहां से होकर गुजरने वाली नहरें ऊंचे नारियल वृक्षों से घिरी हैं जो हवाओं में झूमते रहते हैं। यहां पारंपरिक देशी ग्रामीण जीवनशैली की झलक देखने को मिलती हैं। कुट्टनाड को आप नौका या हाउसबोट से घूम कर सकते हैं। यहां के दृश्य, शीतल पवन और स्थानीय लोगों की बस्तियां मन से कभी न मिटने वाले अनुभव प्रदान करते हैं।
कव्वायी कायल
कव्वायी कायल केरल के सबसे खूबसूरत बैकवाटर स्थल में गिना जाता है। यह अल्प ज्ञात स्थल पांच नदियों- कव्वायी नदी और इसकी सहायिका नदियों कांकोल, वण्णत्तिचाल, कुप्पित्तोड़ और कुनियन नदियों का परिणाम है। कव्वायी छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है जो एक पुल द्वारा कण्णूर के पय्यन्नूर से जुड़ा है। इसे कुदरत ने अनेक खूबसूरत उपहारों से सजा रखा है और यह उत्तरी केरल के सबसे अनोखे स्थलों में से एक है। ये बैकवाटर्स उत्तर केरल के सबसे बड़े वेटलैंड का निर्माण करते हैं, जिसका क्षेत्रफल लगभग 37 वर्ग किमी है। नौका विहार करते हुए आप गांव के आम लोगों को अपनी रोजमर्रा के काम निबटाते हुए देख सकते हैं। आप यहां कुछ दुर्लभ किस्मों
की वनस्पतियों और जीवजंतुओं को भी देख सकते हैं। नौका विहार करते हुए आप सभी दुरूह द्वीपों तक जा सकते हैं। आप यहां इस इलाके के लजीज सी फुड के भी मजे ले सकते हैं। इस स्थान पर आकर आप सहज ही शांति और सुकून का अनंद लेते हैं। मंद पवन आपकी आत्मा को अंदर तक शांति देता है।
पातिरामणल
बैकवाटर के मध्य एक छोटा सा द्वीप पातिरामणल पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग, सैकड़ों दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का सुरक्षित प्रवास क्षेत्र है। यह मुहम्मा बोट जेटी से 1.5 किमी की दूरी पर और आलप्पुष़ा से लगभग 13 किमी की दूरी पर है। बैकवाटर्स में बसा यह छोटा सा द्वीप सैकड़ों दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का सुरक्षित प्रवास क्षेत्र है। आलप्पुष़ा से यहां आने में मोटरबोट से 1.5 घंटा और स्पीड बोट से 30 मिनट लगते हैं। आलप्पुष़ा से कोच्चि तक फैले वेम्बनाड झील और कायमकुलम झील से घिरा पातिरामणल तक केवल नाव के जरिए पहुंचा जा सकता है। हाउसबोट यात्रा के बीच में यह एक आदर्श पिट स्टॉप है। पातिरामणल नाम का अर्थ है ‘रात की रेत’। एक अनुमान के मुताबिक यहां 91 प्रजातियों के स्थानीय पक्षी और 50 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं। विशेष रूप सेपिनटेल डक, कॉमन टील, नाइट हेरन, कॉरमोरेंट, डार्टर, इंडियन शैग, पर्पल हेरन, कैटल इग्रेट, इंडियन पॉन्ड हेरन, लिटल इग्रेट, ब्रॉन्ज-विंग्ड जकाना, स्टॉर्क-बिल्ड किंगफिशर, व्हिसलिंग डक, कॉटन पिग्मी-गूज, लिट्ल कॉरमोरेंट और व्हिस्कर्ड टर्न पक्षी देखने को मिलते हैं।
कडम्ब्रयार
कडम्ब्रयार बोटिंग सेंटर एक आदर्श केरल गांव का एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है जो अब एक ईकोटूरिज्म गांव है। एरणाकुलम जिले के किझक्कम्बलम ग्राम पंचायत में स्थित इस सेंटर में अनेक बोटिंग विकल्प उपलब्ध हैं और साथ ही अन्य अनेक गतिविधियां जो यहां पर्यटकों को लुभाती हैं। बहुत कुछ वंडरला एम्यूजमेंट पार्क के समान कडम्ब्रयार चमकीले पानी, हर-भरे मैदान और लहराते नारियल वृक्षों का मिश्रण है। शांत और सुकूनदायी अनुभव के इच्छुक पर्यटकों को यहां का शांत वातावरण और पानी की सुखद स्वर लहरियां भरपूर आनन्द प्रदान करता है।
केरल के बैकवाटर की रोमानी यात्रा का रोमांच आप को हमेशा याद रहेगा, और याद रहेगा वो सब कुछ जिसे आपने देखा,जाना,समझा,महसूस किया।कुछ भी नहीं भूल पाएंगे आप। चिरस्मरणीय केरल के बैकवाटर की यात्रा।
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लेखक एवं पत्रकार
1-F-18, आवासन मंडल कॉलोनी,कुन्हाड़ी,
कोटा-राजस्थान
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