मुंबई। प्रो. आर. वैद्यनाथन आर्थिक मुद्दों पर अपने बेबाक बयानों, गंभीर चिंतन और राष्ट्रवादी सोच के लिए जाने जाते हैं। मुंबई के भागवत परिवार, स्वदेशी जागरण मंच और विश्व संवाद सेवा द्वारा स्वदेशी मंथन श्रृंखला के अंतर्गत में ‘वैश्विक आर्थिक संकट’ पर प्रोफेसर वैद्यनाथन ने जब बोलना शुरु किया तो तीन घंटे चले उनके गंभीर आर्थिक भाषण को लोगों ने इतनी तन्मयता से सुना कि बार बार तालियाँ बजती रही। उन्होंने अपने वक्तव्य को बोझिल होने से बचाते हुए कोई रोचक प्रसंगों से श्रोताओं को ठहाके लगाने पर भी मजबूर कर दिया।
प्रो. वैद्यनाथन ने कहा कि हजारों सालों से हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था दुनिया की बेहतरीन आर्थिक व सामजिक व्यवस्था रही है वह अर्थशास्त्रियों के फार्मूलों पर नहीं चलती थी बल्कि, उसकी जड़ें हमारी परंपराओं, रीति-रिवाज़ों, मूल्यों और जीवन दर्शन में समाहित थी। आज तो हमारे वार –त्यौहारों पर कहाँ क्या होना चाहिए कैसे होना चाहिए इसका फैसला अदालतें करने लगी है। केरल के गुरूवायुर मंदिर में मौजूद करोड़ों अरबों के खजाने को खोलने और सकी निगरानी पर हर महीने 50 लाख रु. खर्च करने की उन्होंने तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारतीय सामाजिक व धार्मिक मामलों में अदालतों को दखल नहीं देना चाहिए।
प्रो. वैद्यनाथन ने कहा कि हजारों सालों से कला, संस्कृति और कलाकारों से अपनी पहचान बनाकर रखने वाले देश में कोई महत्वपूर्ण स्थान या स्मारक किसी कलाकार,संगीतकार के नाम पर नहीं है। मैं हैदराबाद से राजीव गाँधी एअरपोर्ट से उड़ान भरता हूँ और दिल्ली में इंदिरा गाँधी एअरपोर्ट पर उतरता हूँ। उन्होंने कहा कि आज यूरोपीय और पश्चिमी देशों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपने परिवारों को कैसे बचाएँ, दूसरी ओर हमारा भारतीय समाज हर मामले में पश्चिम का अंधानुकरण कर रहा है। अमरीका में बगैर शादी के 15-16 साल की बच्चियाँ माँ बन रही है वे अपने बच्चों को लेकर स्कूलों में पढ़ने जाती है। ऐसी बातों की कोई खबर नहीं आती, लेकिन हमारे यहाँ राजस्थान में कहीं बाल विवाह होता है तो मीडिया की सुर्खियाँ बन जाती है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में परिवार नाम की संस्था लगभग खत्म हो चुकी है। अगर परिवार में चार सदस्य हैं तो पत्नी पहले किसी और की पत्नी थी, उसके साथ अपनी बेटी या बेटा है और पति के साथ उसका कोई बेटा या बेटी है। उन्होंने कहा कि हमारे देशमें भी सरकारी नारे हम दो हमारे दो ने परिवार की धारणा को बहुत नुक्सान पहुँचाया, क्योंकि इसमें से पति-पत्नी और बच्चे के बीच से माँ-बाप और सास-ससुर गायब हो गए, जबकि इनके बगैर परिवार का कोई मतलब नहीं।
श्री वैद्यनाथन ने कहा कि हम न्यूक्लीअर फैमिली से प्रोटान फैमिली, और आखिरकार न्यूट्रान फैमिली तक पहुँच जाएंगे यानी एक अकेले आदमी का परिवार। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में अब बहस ये चल रही है कि परिवार का मतलब क्या? दो आदमी एक साथ रहे,दो औरते एक साथ रहे या एक आदमी और एक औरत एक साथ रहे, किसको परिवार कहें?
उन्होंने कहा कि आज कई देश जनसंख्या की कमी के संकट से गुज़र रहे हैं। जापान में सैकड़ों एकड़ के पार्क में कोई अकेला बुज़ुर्ग बैठा दिखता है जबकि भारत में आज भी किसी छोटे से पार्क में बुज़ुर्ग अपने नाती-पोतों के साथ या अपने किसी बुज़ुर्ग साथी के साथ दिखाई देता है।
काले धन पर रोचक तथ्य देते हुए श्री वैद्यनाथन ने कहा कि हमारे देश की सरकार मुफ्त में कुछ नहीं लेती। जब जर्मनी ने स्विस बैंक से काले धन वाले भारतीयों की सूची हासिल कर ली तो हमारी सरकार ने जर्मनी से वह सूची इसलिए नहीं ली कि मुफ्त में मिल ही थी। और ये बहाना बनाया कि हमारा जर्मनी के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है, जबकि काले धन वालों की सूची जर्मनी के बैंक की नहीं स्विस बैंक की थी और इसके लिए किसी समझौते की कोई ज़रुरत ही नहीं थी।
श्री वैद्यानाथन ने बताया कि सरकारें फालतू के काम के लिए अध्ययन दल और शोध टीमें बनाकर समय और पैसै खर्च करती है। पूरी दुनिया में मौजूद सोने का एक तिहाई हिस्सा भारत में है। भारत में महिलाओं के पास कितना सोना है ये बात तो उनके पतियों तक को मालूम नहीं होती।
श्री वैद्यनाथन ने कहा कि महिला के गले में मंगल सूत्र आर्थिक आज़ादी का प्रतीक है, ये मंगल सूत्र इसलिए होता है कि अगर परिवार पर कभी कोई गंभीर आर्थिक संकट आ जाए तो इसे बेचकर या गिरवी रखकर उस संकट से निपटा जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार हर चीज के लिए कमीशन बना देती है।
अपने वक्तव्य के समापन पर उन्होंने कहा कि जिस देश में वकील, डॉक्टर और चार्टर्ड एकाउंटेट सफल होने लगें तो मान कर चलना चाहिए कि वो देश और वो समाज खोखला होने जा रहा है। किसी देश के विकास का मानदंड ये होना चाहिए कि उस देश में कितने कलाकार, संगीतकार कवि, शिक्षक आदि बढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम के अंत मेंप्रो. वैद्यनाथन ने श्रोताओं के की सवालों के जवाब भी दिए।
कार्यक्रम का आयोजन मुंबई के कांदिवली के ठाकुर विलेज में स्थित ठाकुर कॉलेज में हुआ। इस अवसर पर श्री वीरेंद्र याज्ञिक, सुरेंद्र विकल, प्रो. शिंदे, डॉ. ऋचा जैन, मधु नायर, प्रो. सुरेश पाठक, प्रो. लीला गड़करी आदि उपस्थित थे। श्री पीयूष सरैया ने आभार व्यक्त किया।