नई दिल्ली। कार सुरक्षा के प्रति उपभोक्ताओं को शिक्षित करने और इसे सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ताओं के हित में काम करने वाली स्वैच्छिक संगठन कंज्यूमर वाॅयस ने तेजी से बढ़ रहे इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अभियान आयोजित किया है। पिछले एक महीने से यह संगठन कुछ प्रमुख उपभोक्ता ग्रुप्स के साथ काम कर रहा है ताकि इस मुद्दे पर जागरुकता लाई जाए जिससे जमीनी स्तर पर बदलाव आएं और लोगों में कार खरीदने के तरीकों में जागरुकता लाने में जो अंतर है वह दूर हो सके। अखिल भारत स्तर पर यह अभियान 15 राज्यों में शुरू किया गया है जिनमें जम्मू-कश्मीर से हिमाचल प्रदेश और असम से ओडीशा शामिल हैं और यह 5 हजार से अधिक उपभोक्ताओं तक पहुंच चुका है।
यह उपभोक्ता सशक्तिकरण कार्यक्रम फिल्म और फोटो – सीरीज के माध्यम से शुरू किए गए हैं, जिसमें उन छह दुर्घटना पीड़ितों की दुर्दशा दिखाई गई है जिन्होंने वाहन सुरक्षा की वजह से अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है। यह चर्चा एक कार्यशाला के माध्यम से हुई जिसमें सभी 15 राज्यों में विस्तृत प्रेजेंटेशन और विशेषज्ञों से बातचीत शामिल है।
सड़क यातायात दुर्घटनाओं के चिंताजनक आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए आशिम सान्याल, सीओओ, कंज्यूमर वाॅयस ने कहा, ‘भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ वर्ष 2015 में 146, 133 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई जो कि औसत 1374 दुर्घटनाएं प्रतिदिन निकलती हैं। लापरवाह ड्राइविंग के अलावा सड़क सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा सड़क पर सुरक्षित वाहन भी है। चिंताजनक बात यह है कि विश्व की चैथी सबसे बड़ी आटोमोबाइल मार्केट होने के बाद भी भारत में बिकने वाली 60 प्रतिशत कारें बुनियादी सुरक्षा सुविधाओं जैसे एयरबैग व एबीएस से युक्त नहीं हैं जो कि दुर्घटना होने पर कार में मौजूद लोगों की जान बचा सकते हैं।’
सान्याल ने आगे सुरक्षित कारों के मुद्दे पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जीएनसीएपी परिणामों में पांच लोकप्रिय भारतीय कारों को शून्य स्टार रेटिंग मिली थी। शून्य-रेटेड कारों की भारत में बिक्री और खरीद चिंता का विषय है और इसे नजर अंदाज किया जा रहा है।
कई विकसित राष्ट्रों में मजबूत सरकारी कानून हैं जहां बुनियादी सुरक्षा मानकों को पूरा न करने वाली कारों पर रोक है। लेकिन, भारतीय बाजार में यह कारें आसानी से अपना रास्ता तलाश लेती हैं। भारत में लोकप्रिय कारों के बेस मॉडल टकराव की घटना होने पर निश्चित मौत का जाल हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2008 में भारत न्यू व्हीकल असेसमेंट प्रोग्राम (बीएनवीएसएपी) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य टेस्ट सुविधाओं का परीक्षण, जरूरी बुनियादी सुरक्षा सुविधाओं को बताना और कार में सवार व्यक्ति की सुरक्षा का विनियमन करना है। यह अक्तूबर, 2017 से स्वैच्छिक होगा और अक्तूबर, 2020 से अनिवार्य होगा।
कंज्यूमर वाॅयस का यह प्रयास कंज्यूमर ग्रुप फेडरेशन कंज्यूमर्स इंटरनेशनल की ओर से वैश्विक स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है जिसने भारत में गुजरात और तमिलनाडु और ब्राजील जैसे बाकी के विकसित देशों में प्रयासों का नेतृत्व किया है।
कंज्यूमर वाॅयस के बारे में
वॉलेंटरी आर्गेनाइजेशन इन इंटरेस्ट ऑफ कंज्यूमर एजुकेशन (वाॅयस) भारतीय उपभोक्ता जागरुकता और शिक्षा संगठन है जो कि भारत में 25 राज्यों में पिछले 33 सालों से काम कर रहा है। यह संगठन कंज्यूमर एडवोकेसी के साथ ही उपभोक्ताओं के हित के लिए उत्पादों के साइंटेफिक टेस्ट करता है। सरकार से मिलने वाले अनुदान से व्यॉस विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के विभिन्न प्रोजेक्टों पर काम करता है। यह संगठन उपभोक्ता सशक्तिकरण के लिए मासिक प्रिंट और ऑनलाइन मैगजीन ‘कन्ज्यूमर वाॅयस’ भी निकालता है। वाॅयस भारतीय समाज के वंचित वर्गों के साथ वित्तीय साक्षरता, इंटरनेट सुरक्षा, सड़क सुरक्षा, तंबाकू नियंत्रण और फूड फोर्टिफिकेशन जैसे सशक्तिरण विषयों पर पर भी काम करता है।
आशिम सान्याल के बारे में
आशिम सान्याल पिछले नौ सालों से कंज्यूमर वाॅयस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) और सचिव हैं और वह इस स्वयं सेवी संगठन की रणनीतिक सफलता और समग्र संचालन के लिए जिम्मेदार हैं। वाॅयस को हेड करने से पहले वह विभिन्न नामी वैश्विक और भारतीय कंपनियों में वरिष्ठ एक्जीक्यूटिव की भूिमका में रहे। वह कंज्यूमर्स इंटरनेशनल और इंटरनेशनल कंज्यूमर रिसर्च टेस्टिंग के फुल मेंबर हैं। साथ ही वह आईएसओ, सीओपीओएलसीओ, डब्लूएचओ, सीओडीईएक्स, यूएनआईडीओ, क्लाइमेट वक्र्स फाउंडेशन, इको एशिया, सीएलएएसपी, आरईईपी, जीआरएसपी, टीएफके, यूएनडीपी आदि से सुड़े हैं। निजी तौर पर वह कंज्यूमर अफेयर्स, फूड, हेल्थ, फूड प्रासेसिंग, कारपोरेट अफेयर्स, डीओटी, एचआरडी मंत्रालयों के साथ काम करते हैं। इसके अलावा वह बीआईएस, बीईई, क्यूसीआई, एसटीक्यूसी आदि मानकीकरण निकायों में व्यॉस का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही वह एफएसएसएआई, टीआरएआई, एसईबीआई, आरबीआई, आईआरडीए और एईआरए जैसी नियामक निकायों में भी कंज्यूमर व्यॉस का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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