इन दिनों टीवी पर अलग-अलग विषय पर बोलने वाले विशेषज्ञों की भारी मांग है। हर चैनल को हर विषय पर बोलने के लिए कुछ ऐसे लोग चाहिए जो उस विषय को छोड़कर किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोल सके और इतना बोले कि दूसरे को बोलने का मौका ही नहीं दे। अगर गल्ती से कोई दूसरा बोल दे तो कुछ भी उल्टा पुल्टा बोलकर उसकी ऐसा मिट्टी पलीद करे कि अगली बार बोलने की हिम्मत ही नहीं करे।
ये सब देखकर मुझे लगा कि मैं एक सप्लाई जेंसी ही शुरु कर दूँ ताकि टीवी पर बोलने वालों का जो संकट है वह दूर हो जाए। इससे टीवी की टीआरपी भी चलती रहेगी और मेरी एजेंसी भी।
जैसे फिल्मों में और टीवी चैनलों में काम करने वाले जूनियर आर्टिस्ट सप्लाय करने वाली एजेंसी होती है जो दृश्य की माँग के हिसाब से जूनियर आर्टिस्ट सप्लाई कर देती है। गरीब लोगों की भीड़ चाहिए तो गरीब दिखने वाले, ककॉलेज के छात्र चाहिए तो हुड़दंगी युवा यानी जैसी डिमांड वैसी सप्लाई।
जैसे शुरु शुरु में फिल्मों में काम करना घटिया काम माना जाता था और इज्जतदार लोग फिल्मों में आना नहीं चाहते थे, वैसा ही कुछ अनुभव मुझे टीवी के लिए विशेषज्ञ सप्लाई करने के लिए लोगों को राजी करने के दौरान हुआ।
मैने एक पढ़े लिखे विद्वान और विशेषज्ञ की तरह दिखने वाले एक सज्जन से कहा कि मैं आपको टीवी पर बोलते देखना चाहता हूँ, लेकिन उन्होंने बड़ी हिकारत से मुझे देखा और थूक दिया, मैं समझा उन्हें मेरी बात का बुरा लगा; मुँह में लबालब भरा गुटका थूकने के बाद उन्होंने अफसोस जताया कि वे गुटखा मुँह में भरा होने के कारण बोल नहीं पा रहे थे, मैने राहत की साँस ली, कि उनके थूकने का मेरे अपमान से दूर-दूर का रिश्ता नहीं है, उन्होंने मेरे सम्मान में थूका है। इससे यह भी सिध्द होता है कि कोई व्यक्ति किसी के सम्मान में थूक भी सकता है। मैं उनके थूककर सम्मान किए जाने से बहुत गदगद् था।
मैने कहा तो आप राजी हैं आप टीवी पर बहस में भाग लेंगे। मुझे लगा ये राजी नहीं होंगे, फिर रुककर बोले किस सब्जेक्ट पर बोलना होगा और क्या बोलना होगा। मैने कहा, इसमें सब्जेक्ट और विशेषज्ञता जैसी कोई योग्यता नहीं चाहिए आप तो बस हाँ कह दीजिये, उनको आश्चर्य हुआ, बोले ऐसे कैसे बोलेंगे। मुझे उनके इस (अ)ज्ञान पर बहुत खुशी हुई और अपना ही एक घटिया शेर याद आ गया -आदमी जानता कुछ नहीं, वाकई विद्वान होगा।
‘’लेकिन बोलना क्या होगा’’- उन्होंने पूछा, मैने कहा ‘’आप नाटो, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, मार्क्सवाद, फासीवाद, लेबनान संकट, बाढ़, ओलंपिक, मिस्त्र से लेकर दुनिया के किसी भी विषय पर बोल सकते हैं। हमारे चैनलों को रोज, हर घंटे, एक नया विषय चाहिए। लेकिन विषय इतना महत्वपूर्ण नहीं, बस उस विषय को टीआरपी में बदलने वाले घाघ लोग चाहिए।
उन्होंने फिर नई शंका पैदा की फिर भी विषय तो होगा ही मैने कहा हाँ क्यों नहीं विषय तो होगा ही बगैर विषय के टीवी कैसे चलेंगे। उनको मैने समझाया, जैसे आपको क्रिकेट पर बोलना है तो जरुरी नहीं कि आपको क्रिकेट के बारे में बहुत ज्यादा ज्ञान हो, चैनल वालों के पास एक दो विशेषज्ञ पहले से होते हैं जो इस विषय में इतना जानते हैं जितना क्रिकेट खेलने वाले भी नहीं जानते हैं। आपको तो बस ये करना है कि जैसे ही उनका विशेषज्ञ कोई अकल की समझदारी की या आपको लगे कि काम की बात करके अपना सिक्का जमा रहा है आप बीच में बोल दें आपने कभी क्रिकेट खेला है, बचपन में गिल्ली डंडा भी नहीं खेला होगा। बस अब बाकी काम उनका वो विशेषज्ञ कर लेगा वो पूरी ताकत आपको देश को ये समझाने में लगा देगा कि उसने क्रिकेट खेला है, उन लोगों के नाम भी बताएगा जिनके साथ स्कूल में,अपने मोहल्ले में क्रिकेट खेला है मगर आपको तो एक ही रट लगानी है कि उसको क्रिकेट के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। इस तरह बहस क्रिकेट के मैदान से हटकर मोहल्ले के क्रिकेट पर आ जाएगी और आप इस बहस के विशेषज्ञ के रूप में उस विशेषज्ञ की ऐसी ऐसी तैसी कर देंगे कि वो टीवी पर अपना सारा क्रिकेट ज्ञान भूल जाएगा।
इसमें एक बात ध्यान रखना का टीवी का ऐंकर या एंकरी बार बार आपको टोकने की कोशिश करेंगे मगर आप रुकना मत बस बोलते जाना, क्योंकि ऐंकर तो आपको इसलिए टोंकने की कोशिश करेगा ताकि आप और ज्यादा बोलें।
लेकिन उन्होंने एक वाजिब प्रश्न उठाया, अगर दूसरे ने ऐसी कोई बात बोल दी जो हमको भी सही लगी तो ? तो मेन कहा वेरी सिंपल, आप उसकी बात नहीं सुनने का नाटक करना और यही कहना कि आप तक उसकी आवाज़ ही नहीं पहुँच रही है। देश के कई घाघ विशेषज्ञ इस नुस्खे को कई बार जमा चुके हैं और बहुत सफल रहे हैं। लेकिन हम झूठ बोलेंगे तो पकड़ा जाएंगे उनका टेक्निशियन कह देगा कि मशीनें, हैडफोन कैबल सब बराबर है। मैने उन्हें समझाया, अभी ऐसा युग नहीं आया है कि मशीनें खुद आपका झूठ पकड़कर कह दे कि आप झूठ बोल रहे हैं। आपका झूठ आपके अलावा कोई नहीं पकड़ सकता और टीवी पर आने के लिए तो लोग आत्मा तक बेच देते हैं आप झूठ नहीं बोल सकते वो भी दो कौड़ी के क्रिकेट के लिए।
इसके बाद मैने करंट विषयों के लिए विशेषज्ञ की तलाश शुरु की। करंट शब्द का सही अर्थ मुझे टीवी की बहस देखने के बाद ही समझ में आया, कि करंट यानी ताज़ा ही नहीं होता बल्कि आग उगलने वाला या झटका देने वाला भी होता है। अंग्रेजों ने कितनी दूरदृष्टि से अपनी भाषा को समर्थ किया है ये देखकर मेरा मन अंग्रेजों को सम्मान में झुक गया।
मैं एक दूसरे सज्जन के पास गया, मैने पूछा आप टीवी पर विशेषज्ञ बनेंगे, उन्होंने मेरी और देखा और बोला मैने तो आपको कभी टीवी पर नहीं देखा मैं तो सुबह से शाम तक हर चैनल बार बार देखता हूँ मैं तो किसी चैनल पर किसी भी विशेषज्ञ को देखकर ये तक बता सकता हूँ कि थोड़ी देर बाद ये बंदा किस चैनल पर जाएगा और किस विषय पर बोलेगा। उनकी ज्ञानवाणी सुनकर मेरी बाँछे खिल गई, मैने कहा आप क्यों नहीं टीवी पर आते, मैं एक सप्लाई एजेंसी खोल रहा हूँ जिसमें आप जैसे प्रतिभावान लोगों को मौका मिल सके। तो उन्होंने मेरी मूर्खता पर तरस खाते हुए कहा, ऐसे तो आप ढंग के चार आदमी भी इकठ्ठे नहीं कर पाएंगे। इसका सबसे बढ़िया तरीका है अखबार में विज्ञापन दे दो, इसके बाद गंभीर गहन और तमाम मूर्खतापूर्ण विचार विमर्श के बाद अखबार के लिए ये मजमून तैयार किया गया।
चाहिए विशेषज्ञ जो टीवी पर किसी भी विषय पर बोल सकें
योग्यता- बलात्कार से लेकर, कार एक्सीडेंट, लव जेहाद, महिलाओँ से छेडछाड़, स्कूल में बच्चों की पिटाई, प्रधान मंत्री केकिसी भी ताज़ा बयान, पूर्व प्रधान मंत्री की चुप्पी, गली के कुत्ते के किसी पर भौंकने, या काट खाने, किसी पति द्वारा अपनी ही पत्नी को घर से निकाल देने, ससुराल में बहू को जलाए जाने, देश की विदेश नीति, आर्थिक सूचकांक, महंगाई, सब्जी के भाव, आलू की आवक, प्याज की जावक, रेल दुर्घटना, मंत्री के बेटे की प्रेम कहानी, स्टिंग ऑप्रेशन, सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल, मिडडे मील, क्रिकेट, राट्रमंडल खेल, ओलंपिक खेल, यानी ऐसे तमाम राष्ट्रीय विषयों पर बगैर किसी जानकारी या विशेषज्ञता के बोलने वाले लोग चाहिए।
विशेषः आपकी योग्यता इसी से परखी जाएगी कि आप को उस विषय का कितना कम ज्ञान है मगर आप उस विषय पर ज्यादा ज्ञान रखने वाले दूसरे विशेषज्ञ को चुप करा सकते हैं कि नहीं।
बहस में गाली-गलौज की छूट नहीं रहेगी मगर आप मन मन में ऐसी गालियाँ दे सकते हैं जिसे टीवी के सुधी दर्शक आपके हाव-भाव से समझ सकें और उनका मजा ले सकें।
अगर आप किसी की बात का जवाब नहीं दे पा रहे हैं तो आप सीधा बहना बना सकते हैं कि आको कुछ सुनाई ही नहीं पड़ रह है। इसके बाद टीवी की पूरी टीम या एंकर शीर्षासन भी कर ले कि पूरा सिस्टम सही काम कर रहा है आप यही रट लगाएं कि आपको कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है।
जब भी आप किसी बिषय पर बहस में भाग लें से अंतर्राष्ट्रीय टच देने की कोशिश करें जैसे अगर जम्मू कश्मीर पर बहस हो रही है तो आप हैती या होनालुलू में किसी जमाने में पैदा हुई ऐसी ही किसी समस्या का उल्लेख कर दें, अगर इस पर आपसे कोई ज्यादा जानकारी माँगे तो कहें कि इतिहास की किताब पढ़कर बहस में आया करो। आप चाहें तो विएतनाम चीन या जापान या अमरीका या इरान ईराक के आपसी रिश्तों के बारे में उल्टी सीधी जानकारी देकर बहस को रोचक और गंभीर बना सकते हैं।
बलात्कार के मामले में बहस करें तो अपने पुराने साथियों का गर्व से उल्लेख करें जो बलात्कार के आरोप के बाद भी छूट गए हैं और एमएलए, एमपी और मंत्री तक बने हैं।