रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे की वर्तमान समस्याओं के लिए लम्बे समय से इस पर ध्यान नहीं दिये जाने का ऐतिहासिक कारण जिम्मेदार है तथा सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ इनका समाधान निकालने की पहल कर रही है क्योंकि हम इस बोझ को आने वाली पीढ़ी पर नहीं डालना चाहते हैं. रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे को आधुनिक, सक्षम और बेहतर बनाने के लिए सुधार का कार्य जारी है और हम सुस्पष्ट रोडमैप के आधार पर काम कर रहे हैं, ताकि रेलवे को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सके. इसके परिणाम सामने आ रहे हैं लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा.
वर्ष 2017-18 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रभु ने कहा कि हम रेल में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं जो इतने सालों से नहीं की गई. इस संदर्भ में हम समयबद्ध तरीके से परियोजनाओं का कार्य आगे बढ़ाने, सुरक्षा मानदंडों को पूरा करने, सभी मानवरहित रेल फाटकों को समाप्त करने, रेलवे की समयबद्धता का अनुपालन सुनिश्चित करने, ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने तथा रेलवे में निवेश को बढ़ाने जैसी पहलों को तत्परता से आगे बढ़ा रहे हैं.
रेल मंत्री ने कहा कि हमने रेलवे से शून्य कचरा उत्सर्जन सुनिश्चित करने पर जोर दिया है और इसे 2019 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा है. पांच वर्षों में ब्रॉड गेज कनेक्टिविटी को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत में सड़क परिवहन की तुलना में रेलवे के निवेश में लगातार गिरावट दर्ज की गई और चीन से तुलना करें तब चीन ने हमसे दो गुणा से भी अधिक निवेश बढ़ाया. प्रभु ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए हमारी सरकार ने पांच वर्षों में 8.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य बनया और पिछले ढाई वर्षों में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की ओर बढ़ रहे हैं. आने वाले समय में इसका परिणाम दिखने लगेगा.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने रेलवे की अनुदान मांगों को मंजूरी दे दी. सुरेश प्रभु ने कहा कि हमने सबसे अधिक जोर रेल पटरियों के दोहरीकरण और तिहरीकरण पर दिया और इस साल हम 2800 किलोमीटर के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से आज तक 15 हजार किलोमीटर रेल ट्रैक के दोहरीकरण एवं तिहरीकरण का कार्य किया गया. जबकि 2015 के बाद से आज तक हम 12700 किलोमीटर ट्रैक के दोहरीकरण एवं तिहरीकरण की दिशा में आगे बढ़े हैं.
सुरेश प्रभु ने कहा कि विद्युतीकरण की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़े हैं और 2016-17 में 2000 किलोमीटर तथा 2017-18 में 4000 किलोमीटर रेल ट्रैक का दोहरीकरण कार्य आगे बढ़ाया गया है. आने वाले 5 वर्षों में अब तक हुए विद्युतीकरण का दोगुणा कार्य करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही ब्रॉड गेज कनेक्टिविटी को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में हमने 8 ब्रॉड गेज कनेक्टिविटी लाइनों को पूरा किया है.
उन्होंने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को प्रतिबद्धता से पूरा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये रखा है. प्रभु ने कहा कि रेलवे के संसाधान लगातार कम हो रहे हैं क्योंकि इस विषय पर उपयुक्त एवं संगत तरीके से निर्णय नहीं हुए. समस्या का मूल कारण यह है कि जहां निवेश करना चाहिए था, वहां निवेश नहीं किया गया. रेल मंत्री ने कहा कि ऐसी एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए कि माल परिचालकों और यात्रियों के हितों को सुनिश्चित किया जा सके और रेलवे के हित भी सुरक्षित रहें. माल ढुलाई तय करते समय कार्य क्षमता को मापदंड बनाया जाना चाहिए. हम इस दिशा में पहल कर रहे हैं.
माल ढुलाई से रेलवे को होने वाली आय का जिक्र करते हुए सुरेश प्रभु ने कहा कि यह सही है कि माल ढुलाई समस्या के रूप में सामने आई है. रेलवे को मुख्य रूप से 10 जींसों की ढुलाई से आय होती है जिसमें कोयला का हिस्सा 50 प्रतिशत है. बिजली संयंत्रों को नजदीक के खान से कोल लिंकेज देने के राष्ट्रहित में उठाये गए कदम से थोड़ा नुकसान हुआ है लेकिन हमने नीतिगत एवं अन्य पहल के जरिये इसमें सुधार दर्ज किया है.
रेल मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय ने रेल के ऊर्जा खर्च को कम करने की पहल की है और हमने 10 वर्षों में इसे 41 हजार करोड़ रुपये कम करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि हमने रेल की आय को बढ़ाने की दिशा में कई पहल की हैं जो यात्री और माल भाड़े से होने वाली आय के अतिरिक्त हैं. इसके साथ ही रेल भूमि के उपयोग की भी पहल की गई है. रेलवे सुरक्षा का जिक्र करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि बजट में इस उद्देश्य के लिए एक लाख करोड़ रुपये की रेल सुरक्षा निधि का प्रस्ताव किया गया है.
हाल की कुछ रेल दुर्घाटनाओं का जिक्र करते हुए प्रभु ने कहा कि इनमें से कई मामले तोड़फोड़ के प्रयास से जुड़े हैं और एनआईए मामले की जांच कर रही है. जांच चल रही है और जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्हें सख्त सजा दिया जाना सुनिश्चित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा समेत विभिन्न राज्यों के लिए आवंटन में काफी वृद्धि की गई है. उन्होंने कहा कि ट्रैक के नवीनीकरण के लिए इस साल 10 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं और हमने यह तय किया है कि गैर इलेक्ट्रिक कोचों का निर्माण बंद कर दिया जायेगा. इसके लिए विदेशों से सहयोग ले रहे हैं.