मार्शल आईलैंड्स। यह 70 हजार वाली आबादी के उस देश का नाम है, जिसने भारत को इंटरनैशनल कोर्ट में घसीटा हुआ है। प्रशांत महासागर में बसे इस द्वीप ने पिछले साल ही भारत पर परमाणु हथियारों की दौड़ में हिस्सा लेने पर केस किया था। भारत की ओर से अभी तक इसका जवाब नहीं दिया गया है।
इस देश ने भारत पर परमाणु निरस्त्रीकरण पर अमल नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस भारत को 'इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस' में घसीटा और मामले की सुनवाई शुरू करने की अपील की थी।
इस छोटे से द्वीप ने दूसरे विश्व युद्ध की भीषण विभीषिका झेली थी। बाद में अमेरिका ने इसके कुछ द्वीपों पर अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण भी किया था। इसके बाद तो इस देश का निक-नेम 'पसिफिक प्रूविंग ग्राउंड' ही पड़ गया था।
इसके बाद, पिछली सदी में अमेरिका ने मार्शल आईलैंड्स पर पड़े परमाणु परीक्षणों के दुष्प्रभावों के लिए 70 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया। इस देश का साफ तौर पर मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु दौड़ दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। इन दोनों देशों ने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
पिछले महीने इंटरनैशनल कोर्ट ने भारत की अपील स्वीकार कर इसे 16 सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया था। पिछले साल 16 जून को इंटरनैशनल कोर्ट ने भारत को 16 दिसंबर 2014 तक का समय दिया था। इसे फिर से बढ़ाकर 16 सितंबर तक कर दिया गया है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) 45 साल पहले लागू की गई थी। इंटरनैशनल कोर्ट ने 8 जुलाई 1996 को कहा था, 'यह सबका कर्तव्य है कि वार्ताओं के जरिए सभी तरह के परमाणु अप्रसार के नतीजे की ओर बढ़ा जाए। इस पर कढ़ाई और प्रभावी रूप से अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण हो।'
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से