केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि राष्ट्र के विकास में बस अर्थव्यवस्था के बिंदु ही नहीं हैं, बल्कि समाज और उसकी संस्कृति का समग्र विकास शामिल होना चाहिए। प्रभु ने ‘व्हाट विल लीपफ्रोग इंडिया – इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ नामक पुस्तक जारी करने के पश्चात् अपने संबोधन में कहा, ‘हमें बस अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं बल्कि समाज के रूप में, राज्य के रूप में नहीं बल्कि देश के रूप में विकास करना चाहिए। यदि हम ऐसा चाहते हैं तो हमें व्यापक फलक और समाज के कई अन्य मुद्दों पर देखना होगा तेजी से प्रगति करता समाज अपनी संस्कृति की प्रगति को दर्शाता है।’
इस पुस्तक में पूर्व राजदूत सुरेंद्र कुमार, विश्वविख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह, सांसद शशि थरूर, मीनाक्षी लेखी, प्रो. मेघनाद देसाई जैसी कई जानी मानी हस्तियों के 24 आलेख हैं। इन आलेखों में भारत की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था, उसके भविष्य, अन्य देशों से आगे निकलने की ताकत आदि बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है।
प्रभु ने कहा, ‘यह पुस्तक बस जीडीपी और अन्य पारंपरिक मापदंडों के हिसाब से विकास की बात नहीं करती है जिसके आधार पर हम समाज की प्रगति का वाकई में मूल्यांकन करते हैं, बल्कि यह पुस्तक उससे आगे जाकर कला, संस्कृति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पर्याव्रण जैसी अन्य चीजों का भी जिक्र करती है।’