स्टेशनों पर लगे टीवी पैनलों पर भी सूचनाओं में नियमानुसार भाषा क्रम स्थानीय भाषा, हिन्दी और बाद में अंग्रेजी होना चाहिए न कि अंग्रेजी, स्थानीय भाषा और अंत में हिन्दी। कागज रहित टिकट भी त्रिभाषा में होना चाहिए, जो कि वर्तमान में सिर्फ अंग्रेजी में है। प्लेटफार्म टिकट पर स्टेशन का नाम हिन्दी में होना चाहिए और “वैलिड फॉर टू आवर्स” valid for 2 hours के पहले “दो घंटे के लिए वैध” छपना चाहिए। मासिक रेलवे पास पूरी तरह द्विभाषी छपना चाहिए।
भारतीय रेल की हिन्दी/ स्थानीय भाषा की घोषणा में भी अंग्रेजी घुस रही है।
ध्यान से सुनें
हिन्दी में गाड़ी संख्या वन वन जीरो सेविन टू आज प्लेटफार्म नंबर वन पर आ रही है
मतलब अब आपको गाड़ी संख्या और प्लेटफार्म क्रमांक भी अंग्रेजी गिनती में ही सुनाई देगा। अभी यह व्यवस्था शायद महानगरों तक की गई है हो सकता रेलवे अधिकारी इस बात को समझ चुके हैं कि हिन्दी में गाड़ी संख्या यात्री समझ नहीं सकते हैं इसलिए गाड़ी संख्या अंग्रेजी में ही बोली जानी चाहिए।
पर फिर हिन्दी घोषणा भी बंद कर के केवल अंग्रेजी घोषणा ही रहनी चाहिए, जो लोग हिन्दी में बोली गाड़ी संख्या नहीं समझ पा रहे हैं तो वे हिन्दी में की गई घोषणा भला कैसे समझेंगे? यह पिछले दो तीन सालों से चल रहा है निर्णय किसने लिया समझ से परे है। शायद रेलवे के अधिकारी रेलवे की त्रिभाषा नीति से नाखुश हैं इसलिए मिलावट करने लगे हैं रेलवे की हिन्दी, स्थानीय भाषा में की जा रही घोषणा में गाड़ी संख्या भी हिन्दी, स्थानीय भाषा में की जानी चाहिए।
उपनगरीय ट्रेन टिकट पर स्टेशनों के नाम के अलावा सबकुछ अंग्रेजी में छपता है, उसे भी स्थानीय भाषा और हिन्दी में छापना चाहिए, खासकर please commence your journey within one hour के बदले “अपनी यात्रा एक घंटे के भीतर शुरू करें” मुद्रित होना चाहिए।