4 वर्ष की आयु में देश के पहले बॉडी बिल्डर्स में से एक मनोहर आइच का रविवार को निधन हो गया था।
रविवार की सुबह कोलकाता समेत पूरे भारत के खेल-प्रेमियों के लिए एक दुखद खबर लेकर आई। स्वतंत्र भारत के पहले मि. यूनिवर्स चुने जाने वाले मनोहर आइच का दम दम स्थित आवास पर निधन हो गया। 17 मार्च को ही जीवन के 104 वर्ष पूरे करने वाले आइच ने 1952 में मि. यूनिवर्स का खिताब जीता था। आइच के बेटे मनोज ने बताया, “वह पिछले 15-15 दिनों से तरल पदार्थ ले रहे थे। उन्हें उम्र के साथ आने वाली तकलीफों ने परेशान किया।”
आइच अपने पीछे दो बेटे और दो बेटियां छोड़ गए हैं। मनोहर के 100वें जन्मदिन पर इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे मुलाकात की थी। तब आइच ने अपने सफर के बारे में बताया था। उन्होंने बताया, “वह 1942 का समय था और भारत छोड़ो आंदोलन गति पकड़ चुका था। मैं रॉयल इंडियन एयर फोर्स में बतौर फिजिकल इंस्ट्रक्टर काम कर रहा था। वहां जब एक अंग्रेज अफसर ने जब पूछताछ के दौरान भारतीयों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की तो मैंने उसे थप्पड़ जड़ दिया। 104 साल के पॉकेट हर्कयुलस 4 फीट 11 इंच के मनोहर 1952 में बने थे मि. यूनिवर्स मुझे कोर्ट-मार्शल के बाद जेल भेज दिया गया लेकिन वह मेरे लिए अच्छा ही हुआ। जेलर बहुत अच्छे थे और उन्होंने मुझे जेल में भी ट्रेनिंग जारी रखने की इजाजत दी। फिर, मुझे अलीपुर प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया गया लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो मुझे रिहा कर दिया गया। मैंने कोलकाता में बसने का फैसला किया।”
जोगेश्वर पाल का अखाड़ा मनोहर का नया ठिकाना बना, जहां वो रोज सियालदाह स्टेशन पर नारियल बेचने जाने से पहले आते थे। 1951 में जब मि. यूनिवर्स प्रतियोगिता करीब थी, आइच ने इंग्लैण्ड तब का सफर तय करने के लिए पैसा जुटाने हेतु निजी बॉडी बिल्डिंग शो करने शुरू कर दिए। मनोहर के मुताबिक, “मैं 1951 में असफल रहा, लेकिन मैंने लंदन में ही रहने का फैसला किया क्योंकि मैं अगली बार जीतने के लिए संकल्पित था। मुझे ब्रिटिश रेल में नौकरी मिल गई जिससे मुझे अपना सपना पूरा करने में मदद मिली। मैं 1952 की प्रतियोगिता जीतकर ही घर लौटा।” Read more: मोहम्मद अली की बेटी ने बताया-शरीर के शांत पड़ने के बाद भी 30 मिनट तक धड़कता रहा दिल यह मनोहर के सफर की शुरुआत थी। 4 फीट 11 इंच के कद के साथ बॉडी-बिल्डिंग करने वाले मनोहर को ‘पॉकेट हरक्यूलिस’ कहकर बुलाया जाने लगा। वह तीन बार बार एशियन बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप जीतने में भी कामयाब रहे। आइच के कुछ समय के लिए राजनीति में भी हाथ आजमाया, जब बीजेपी 1997 के आम चुनावों में उनके पास आई। वे चुनाव हार गए। चार साल बाद, मनोहर ने अपनी पत्नी ज्योतिका को खो दिया। मनोहर की विरासत अब उनके शिष्य संभालते हैं। जिनमें आठ बार राष्ट्रीय बॉडीबिल्डिंग चैपियन रहे सत्य पॉल और पूर्व मि. यूनिवर्स प्रेमचंद डोगरा और सैकड़ों अन्य नाम शामिल हैं जो अपने उस्ताद के नक्शे कदम पर चलने के लिए बिष्णु मनोहर आइच के फिटनेस सेंटर और मल्टीजिम पहुंचे थे।
साभार- इंडियन एक्सप्रेस से