जल नैतिकता, न्याय द्वारा विश्व शांति में आज दुनिया के 39 देशों के प्रतिनिधियों ने तरुण भारत संघ भीकमपुरा पहुंचकर कहा कि पानी और दुनिया एक है, हमें अपने जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए पर्यावरणीय प्रभाव को अध्ययन में शामिल करने की जरूरत है।
पर्यावरणाीय लेखा-जोखा ऑफिसर 39 देशों के उच्च अधिकारियों नें तरूण भारत संघ के कामों को देखा।इन कामों को देखकर जल पुरूष राजेन्द्र सिंह जी से ऑडिट संबंधित पारदर्शी तंत्र बनाने के लिए बहुत सारे गुर सीखे। सबसे पहले अफ़ग़ानिस्तान के गुलाम दाऊद शेख ने पूछा कि धरती के अंदर और धरती के ऊपर के जल प्रबंधन को कैसे जोड सकते है और उसके सरकारी लेखे-जोखे के पारदर्शी तंत्र का विकास कैसे किया जाए।इस पर जल पुरूष जी नें कहा कि दुनियां कि लोकतांत्रिक सरकारों के पास भूजल सर्वेक्षण के बहुत सारे पारदर्शी सर्वेक्षण मौजूद है।उन जानकारीओं के आधार पर सिचाई में वाष्पीकरण कम करने की विधि को सिंचन में सरकारी परियोजनाओं में प्रभाव मूल्याकन में शामिल करना चाहिए।जब भी यह सवाल ऑडिटर अधिकारीओं सें पुछना शुरू करेगें तों इंजीनियर अधिकारीओं और ठेकेदारों को इस सवालों के जबाबदेही से गुजरना होगा।इसलिए इसे शामिल करना आवश्यक है। अर्जिंटीना के एवार्डो क्यूजो एलियाजमरियन नें यह जानना चाहा कि जल संरचनाओं में प्राकृतिक पुनः भरण कैसे हो और इसका मापन करने वाले मान बिन्दु कैसे तय किये जाए।इस सवाल का जबाब देते हुए जल पुरूष जी नें कहा कि यह बहुत ही सरल है हम जल संरचना के नीचे कि जल शोषण करने वाली तकनीक को उसकी मात्रा और भूजल के बढते जलस्तर को देखे और नापे। उससे जलउपलब्धता के संबंध को जोडकर समाधान खोजे।
बोत्सवाना के गिंदोक गोटिंगवे ने परिस्थितिकी को जानने की कोशिश की, बुलगारिया कि शिरिन फरहाद ने पुछा कि हम भारत के इस प्रयोग को अपने देश में कैसे अपना सकतें है? यह सवाल मिस्त्र, इथियोपिया,जाॅर्जिया,गुयाना, लातविया,माॅरीशस,मोरक्को,म्यांमार,श्रीलंका,ताजिकस्तान, और तंजानिया के अधिकतर अधिकारीओं नें जानना चाहा कि आप अपनें काम का कैसे पर्यावरण प्रभाव का अध्यन करतें है।इस पर जल पुरूष जी नें कहा कि हमारा अध्ययन आंकडो के आधार पर नही होता। धरती पर उसका जो प्रभाव है वह हमें दिखता है जैसे बढ़ती हुई पैदावार अन्न व दूध ,चारा और ईधन और शहरों से वापस आए अपने गांव में लोगों के द्वारा खेती में लगना यह प्रत्यक्ष प्रभाव गणनाओं के द्वारा हम जानते हैं। काम शुरु करने से पहले की फोटो पॉइंट मॉनिटंिरंग तथा बढ़ती वनस्पतियों और जैव विविधता से यह प्रभाव प्रत्यक्ष ही हमें समझ में आ जाता है। इसको हम अपने दस्तावेजों में शामिल कर लेते हैं फिलों नाम का दस्तावेज सबको एक-एक कॉफी दिया गया। इस दस्तावेज को देखने के बाद जल पुरुष जी नें धन्यवाद दिया ।
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कॉमनवेल्थ डोमिनिका के मार्लोन रोमैन तथा चिली की क्लाउडिया सैंडोवाल, इंडिया के विजय कुमार झा,स्लोवक गणराज्य के पीटर पेटको, श्रीलंका शलिका संजीवनी ने गोपालपुरा गांव में जो देखा उसके बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी सरकारों को अपने लोगों को विश्वास के साथ इस बात को आगे बढ़ाना चाहिए। त्रिनिदाद और टोबैगो की एल्सपेथ डैड और लिसा जोफ्राब्रहम टर्की की माइन काकीर ने कहा कि यह काम जो हमने देखा इसे बहुत कुछ सीखा और सीख मिली है। हमारे देश में हमारी सरकारे इस तरीके का काम कर रही है। वियतनाम की थु थू हांेंग,जिम्बाब्बे की नमताई ब्राईट चिंबवंदा ने भी कहा कि देश को इस तरह के काम की बहुत जरुरत है हम चाहते हैं कि भारत के जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह जी हमारे देश में आकर हमारे लोगों को ऐसा काम करने हेतु प्रेरित करें। अंत में जल पुरूष जी ने सभी को धन्यवाद देकर ।जल नैतिकता न्याय एवं शांति हेतु शुरू हुई यात्रा में आप सबका शामिल होना मेरे लिए गौरव है।
अंत में सभी ने तरुण भारत संघ में पिछले 36 वर्षों के अनुभव को जानने सुनने का आग्रह किया, जल पुरुष श्री राजेंद्र सिह ने जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और उन्मूलन के प्रभाव दिखाए और समझाए। इन प्रभाव को देखकर पर्यावरणीय लेखा जोखा मूल्यांकन की बहुत सारी विधियों पर प्रकाश डाला सभी अधिकारियों ने सर्वसम्मति से कहा कि आपकी विश्व शांति यात्रा अब जब हमारे देश में आएगी तो हम सरकारी तौर पर उसका स्वागत करेंगे और आपके अनुभव से हमारा देश लाभांवित होगा । हम आपकी इस यात्रा में निजी नैतिक तौर पर आज से शामिल हैं क्योंकि दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध से बचाने का आपका अनुभव और काम सफलता और सिद्धि प्राप्त कर सका है हम आपके इस हलवा को अपने देश में उपयोग करेंगे।भारत सरकार के सूचना तंत्र ने दुनिया के ऑडिट करने वाले अधिकारियों को तरूण भारत संघ में भेजा इसके लिए भारत सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया।