Monday, November 25, 2024
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मूल महाभारत के यथार्थ पर रोचक चर्चा

चित्रनगरी संवाद मंच मुंबई के सृजनसंवाद कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कवि, लेखक और स्क्रीन राइटर डॉ बोधिसत्व ने साबित किया कि वे ज्ञानी और विवेकशील होने के साथ ही एक कुशल वक्ता भी हैं। रविवार 28 मई 2023 को मृणालताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में आयोजित इस कार्यक्रम में आत्म प्रदर्शन और आत्ममुग्धता से बचते हुए उन्होंने जिस आत्मविश्वास और सलीक़े से श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए वह बेमिसाल था। वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से हाल में ही प्रकाशित अपनी किताब ‘महाभारत यथार्थ कथा’ का परिचय देते हुए डॉ बोधिसत्व ने शुरू में ही इस भ्रम का निवारण कर दिया कि घर में महाभारत रखने से गृह कलह नहीं होती।
डॉ बोधिसत्व बताया कि वासुदेव शरण अग्रवाल की पुस्तक ‘भारत सावित्री’ पढ़ने के बाद महाभारत को दुबारा पढ़ने की इच्छा हुई। उनके अनुसार महाभारत एक वृहत ग्रंथ है। इसे पढ़ने के लिए इंसान में धीरज और विवेक चाहिए। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि महाभारत के कई व्याख्याकारों ने मूल कहानी पर परदा डाल दिया।
डॉ बोधिसत्व ने मूल कथा के हवाले से श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान के बारे में कुछ रोचक बातें बताईं।  उन्होंने पांडव के व्यक्तित्व का आकलन मूल महाभारत में वर्णित यथार्थ के साथ किया। उन्होंने बताया कि कई मानवीय कमज़ोरियों वाले उद्दंड कर्ण को कैसे नायक बनाया गया। डॉ बोधिसत्व ने बताया कि उनकी किताब का यह पहला भाग है। महाभारत यथार्थ कथा के अभी दो भाग और प्रकाशित होंगे। डॉ बोधिसत्व से सवाल करने वालों की फ़ेहरिस्त काफ़ी लंबी रही। इनमें शामिल थे- रासबिहारी पांडेय, राजेश ऋतुपर्ण, सुधाकर पांडेय, हरगोविंद विश्वकर्मा, सविता दत्त, नवीन कुमार भास्कर और प्रदीप गुप्ता।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रतिष्ठित लेखक राजशेखर व्यास ने बड़े रोचक तरीके से  बताया कि जनमानस में कैसे सुयोधन को दुर्योधन और सुशासन को दुशासन बनाया गया। व्यास जी के अनुसार महाभारत में वेद, पुराण और उपनिषद सबका निचोड़ शामिल है। यह ज्ञान लोगों तक न पहुंचे इसलिए एक साज़िश के तहत यह दुष्प्रचार किया गया कि महाभारत घर में रखने से लड़ाई झगड़े होते हैं। चर्चा को पूर्णता पर पहुंचाते हुए उन्होंने कहा कि महाभारत में भारत समाया हुआ है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवयित्री शशि पुरवार ने अपनी रचना यात्रा का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि वे गीत, नवगीत, ग़ज़ल, कहानी और उपन्यास लिखती हैं। उनकी चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि शशि पुरवार के गीत नवगीत संग्रह ‘भीड़ का हिस्सा नहीं’ को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने इसी साल संत नामदेव स्वर्ण पदक पुरस्कार से सम्मानित किया। अपने इस संकलन से कुछ चुनिंदा रचनाएं सुना कर शशि पुरवार ने समर्थ रचनाकार होने का परिचय दिया।
कार्यक्रम में कवयित्री आभा बोधिसत्व, लेखक सूर्यांश व्यास, डॉ दमयंती शर्मा, डॉ रोशनी किरण, नरोत्तम शर्मा, देवदत्त देव, ताज मोहम्मद सिद्दीक़ी, संजय गुप्ता, आकाश ठाकुर, गोविंद सिंह राजपूत, मोहन जोशी, सुषमा गुप्ता, सुरभि मिश्र आदि कई रचनाकार मौजूद थे।
साभार https://www.facebook.com/1088842232/ से

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