नवरात्रि और उसके बाद दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक हैं। इस अवसर पर, लोग सांस्कृतिक कार्यकर्मों में शामिल होते हैं, उत्सव के भोजन, नृत्य और मेलों का आनंद लेते हैं। वे अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए नए विचारों का भी स्वागत करते हैं।
इन दौरान, भारत के विभिन्न शहरों के फालुन दाफा अभ्यासियों ने लोगों को इस अद्भुत अभ्यास का परिचय कराया। फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग के नाम से भी जाना जाता है) एक प्राचीन साधना है जिसमें पांच सौम्य व्यायाम सिखाये जाते हैं जिसमें ध्यान अभ्यास भी शामिल है। फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, 114 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं।
मुंबई
मुंबई में, स्थानीय अभ्यासियों ने वाशी, नवी-मुंबई में सिडको प्रदर्शनी क्षेत्र में एक स्टाल बुक किया, जहां एक बड़े दुर्गा पूजा मेले का आयोजन किया गया था। मेले के पहले दिन, फालुन दाफा व्यायामों का मंच पर प्रदर्शन किया गया, जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्थापित किया गया था। उत्सव की हलचल और शोर के बावजूद, हजारों लोगों ने उत्सुकता से व्यायाम प्रदर्शन देखा। चार दिवसीय उत्सव मेले के दौरान, बड़ी संख्या में लोग फालुन दाफा स्टाल पर आये, और कई लोगों ने अभ्यास सीखा। इस अवसर पर, अभ्यासियों ने लोगों को चीन में कम्युनिस्ट शासन द्वारा फालुन दाफा अभ्यासियों पर किए जा रहे क्रूर दमन के बारे में भी बताया।
मैसूर
मैसूर, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और महलों के लिए जाना जाता है, यहाँ का भव्य दशहरा विश्व प्रसिद्ध है। मैसूर पैलेस के बाहर फालुन दाफा अभ्यास का प्रदर्शन किया गया जो एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। कई लोगों ने अभ्यासियों की तस्वीरें खींची और अभ्यास के बारे में पूछताछ की। यहां तक कि वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने भी जानकारी ली और अभ्यास सीखने की इच्छा जताई। शाम को, मैसूर उपभोक्ता प्रदर्शनी में अभ्यास का प्रदर्शन किया गया जिसे हजारों लोगों ने देखा।
नागपुर
नागपुर में, दीक्षा भूमि स्थल पर 63वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के दौरान, एक बड़े स्टाल का आयोजन किया गया जहाँ फालुन दाफा अभ्यास का प्रदर्शन और लोगों को इसके बारे में जानकारी दी गयी। हजारों लोगों ने इस कार्यक्रम को देखा और अनेक लोगों ने अभ्यास सीखने की इच्छा व्यक्त की।
भारत के सभी प्रमुख शहरों में फालुन दाफा का अभ्यास किया जा रहा है। अनेक स्कूलों में इसका नियमित अभ्यास किया जाता है, जिसका सकारात्मक प्रभाव विद्यार्थियों के परीक्षा परणामों, नैतिक गुण और शारीरिक स्वास्थ्य में दिखाई पड़ता है। फालुन दाफा का प्रदर्शन विभिन्न शहरों में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनियों और सार्वजनिक स्थलों में किया जाता है। फालुन दाफा की निशुल्क वर्कशॉप अपने स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में आयोजित कराने के लिए इसके स्वयंसेवकों से संपर्क किया जा सकता है। फालुन दाफा के बारे में और अधिक जानकारी www.falundafa.org पर उपलब्ध है।
संपर्क
Archana Thakeria
FIC Coordinator
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