Saturday, November 23, 2024
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केन्द्रीय सरकार की कैशलेस अर्थव्यवस्था पहल में आईआरसीटीसी का योगदान

· ई-कैटरिंग स्मार्ट फोन एप रेल यात्रियों में काफी लोकप्रिय

· सेल्फ हेल्प ग्रुपों को ई-कैटरिंग एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था में शामिल करने हेतु नाबार्ड के साथ साझेदारी

कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के क्रम में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी ऑनलाइन बाजार कम्पनी इंडियन रेलवे कैटरिडग एंड टूरिज्म कॉरर्पोशन (आईआरसीटीसी) ने तकनीक को बढ़ावा देते हुए अपने परिचालन विशेषतः ई-कैटरिंग तथा पर्यटन खंडों में और अधिक डिजिटलाइजेशन लाने का निर्णय लिया है।

आईआरसीटीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. ए. के. मनोचा ने कहा कि भारत तीव्र गति से कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है तथा हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा उच्च मूल्य की मुद्राओं के अवमूल्यन की पहल के फलस्वरूप इसमें और अधिक तेजी आयेगी। सरकार के महत्त्वपूर्ण ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के साथ कदम मिलाते हुए हमने अपने ज्यादा से ज्यादा परिचालन खंडों को पहले ही डिजिटलाइज्ड कर दिया है। तकनीक के और अधिक उपयोग द्वारा हम हमारे यात्री-मित्रवत मानदंडों को और अधिक तीव्र गति से बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है।

आईआरसीटीसी भारतीय रेल का एक ‘लघु रत्न’ सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है तथा ट्रेन एवं वायुयान टिकट बुकिंग एवं मासिक एवं सत्र टिकटों की बुकिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों के आर्थिक लेनदेन में डिजिटलाइजिंग द्वारा सक्रिय रूप से शामिल है। इसके अतिरिक्त हाल ही में ‘फूड ऑन ट्रैक’ ई-कैटरिंग सेवा की शुरुआत की गई, जिसमें रेल यात्रियों को आईआरसीटीसी के साथ नामित लोकप्रिय खानपान विक्रेताओं की सूची में से अपने पसंद के भोजन चुनने के विकल्प की योजना को काफी सफलता प्राप्त हुई।

इस सेवा की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यात्री अपने खाने के ऑर्डर का भुगतान ऑनलाइन कर सकते हैं एवं इसके लिए उन्हें भारी नकद ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके लिए वे अपने क्रेडिट/डेबिट कार्ड के साथ-साथ मोबिविंक तथा पेटीएम जैसे ई-वॉलेट से भी भुगतान कर सकते हैं। भोजन की ऑनलाइन बुकिंग एन्ड्रॉयड तथा आईओएस आधारित एप्लीकेशन के माध्यम से भी की जा सकती है, जिसे किसी भी स्मार्ट फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है। यात्रा कर रहे यात्रियों को उनके खानपान की रुचि के अनुरूप भोजन प्रदान करने हेतु आईआरसीटीसी द्वारा डोमिनोज़, हल्दीराम, केएफसी तथा सरवना भवन जैसे लोकप्रिय खानपान ब्रांडों के साथ सहभागिता की गई है।

क्षेत्रीय व्यंजन उपलब्ध कराने के क्रम में ‘फूड ऑन ट्रैक’ द्वारा विशेषतः महिलाओं एवं सेल्फ हेल्प ग्रुपों के साथ भी सम्पर्क किये जा रहे हैं। नाबार्ड के सहयोग से आईआरसीटीसी ने कोंकण क्षेत्र में माहेर, माविम तथा लुपिन ह्यूमन रिसर्च फाउंडेशन जैसे सेल्फ हेल्प ग्रुपों से हाथ मिलाया है, जिससे स्वादिष्ट कोंकणी व्यंजन रेल यात्रियों की सीटों तक पहुँचाये जा सकें। आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग पहल के अतिरिक्त इसके सीएसआर पहल द्वारा सावंतवाडी स्टेशन पर एक वॉटर वेंडिंग मशीन लगाई जायेगी।

रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सेल्फ हेल्प ग्रुप न केवल महिलाओं को रोजगार देंगे, बल्कि उन्हें सम्मान एवं गरिमा भी प्रदान करेंगे। आईआरसीटीसी की वेबसाइट के एक्सेस तथा नाबार्ड के सहयोग के माध्यम से सेल्फ हेल्प ग्रुपों द्वारा तैयार किये गये उत्पादों की विस्तृत ई-मार्केटिंग से ग्रामीण आय में काफी इजाफा होगा।

आईआरसीटीसी नाबार्ड के साथ मिलकर सेल्फ हेल्प ग्रुपों को शामिल करने बाराबंकी (उत्तरप्रदेश) में भी एक इसी प्रकार की परियोजना स्थापित करने के बारे में योजना बना रही है। जनवरी 2017 में इसके कार्यान्वित होने की सम्भावना है।

नामित सेल्फ हेल्प ग्रुप ई-कैटरिंग वेबसाइटों पर उनके व्यंजन तक मूल्य प्रदर्शित करेंगे। यात्री सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा खानपान सामग्रियों को चयन कर अपना ऑर्डर दे सकते हैं। इससे सेल्फ हेल्प ग्रुपों के विकास में उल्लेखनीय सहयोग प्राप्त होगा।

डॉ. मनोचा ने कहा कि आईआरसीटीसी द्वारा उठाया गया यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसमें यह अपने ई-कैटरिंग सेवा के माध्यम से ग्रामीण आबादी को कैशलेस लेनदेन प्रणाली से जोड़ेगी, क्योंकि इन ग्रुपों द्वारा दी गई सेवा हेतु उन्हें ऑनलाइन भुगतान होगा, जो सीधे उनके खातों में क्रेडिड होगी। आईआरसीटीसी द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप की इस योजना को कोंकण रेलवे पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है। विशेषतः यह महिलाओं को सशक्त बनायेगी तथा उनके समावेशी विकास को सुनिश्चित करेगी। केन्द्रीय सरकार की डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रति प्रयासों में आईआरसीटीसी द्वारा देश के अधिकाधिक आबादी जो रेलवे को अपनी यात्रा हेतु अधिकतम रूप से इस्तेमाल करते हैं, उनके कैशलेस लेनदेन हेतु सभी प्रकार के प्रयास किये जा रह हैं।

आईआरसीटीसी मॉड्यूल सरलतापूर्वक डाउनलोड किये जा सकते हैं तथा यह उपभोक्ता-मित्रवत होते हैं, जिससे कि यात्री सरलतापूर्वक इसके एप्लीकेशन का उपयोग कर सकें। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आईआरसीटीसी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट है, जिसमें एक माह में 15 से 18 मिलियन तक लेनदेन होते हैं। प्रत्येक माह इसके लगभग 12 मिलियन विजिटर हैं एवं प्रतिदिन औसतन 15000 लोग इससे जुड़ते हैं। सम्पूर्ण देश में इसकी ई-कैटरिंग कुल रेल आरक्षण के 54 प्रतिशत से भी अधिक का स्थान रखती है।

मॉर्गन स्टेन्ले की रिपोर्ट के अनुसार,

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