म.प्र. के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने विक्रमोत्सव 2022 का शुभारम्भ किया
मध्यप्रदेश शासन साधुवाद का पात्र है जिसमें विक्रमादित्य की स्मृति के माध्यम से महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ की स्थापना की है। विक्रम उत्सव एक बहुत इतिहास व संस्कृति को जानने के क्षेत्र में अच्छी शुरुआत है जो लगातार 17 साल से जारी है बहुत ही गर्व की बात है देश के सामाजिक व सांस्कृतिक वर्ग में इस समारोह में अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज की भावी पीढ़ी और युवाओं को राष्ट्र की धरोहर से परिचित कराना बहुत जरूरी है। यह बात महामहिम राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल ने विक्रमोत्सव 2022 का शुभारम्भ करते हुए कही। भारत उत्कर्ष और नवजागरण पर एकाग्र समागम विक्रमोत्सव-2022 का शुभारंभ 25 मार्च 2022 की शाम स्थानीय कालिदास संस्कृत अकादमी में हुआ।
उन्होने कहा कि आज की पीढ़ी के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे स्वतंत्रता अपना योगदान देने वाले लोगों से हम नई पीढ़ी से अपने स्वतंत्रता संग्राम से रूबरू करवाने का प्रयास करें। नई पीढ़ी तक यह बात जरूर पहुंचे कि हमारा आजादी का स्वतंत्रता संघर्ष कैसा था उसको इस बात से रूबरू होना चाहिए। इतिहास नई पीढ़ी के लिए जरूरी है विक्रमादित्य जैसे महान सम्राट राजा उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज की समाज को मजबूत और रक्षा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। विक्रमादित्य जैसे जीवन चरित्र को नई पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। विक्रम की तरह नई पीढ़ी पराक्रमी बने। विक्रमोत्सव हमारी एकता को मजबूत बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल की है। आगे कहा कि महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ का यह प्रयास विश्व भर में जरूर सफल होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय संस्कृति को युवाओं व नई पीढ़ी को परिचित कराने में जरुर सफल होंगे।
इस अवसर पर विधायक श्री पारस जैन ने आयोजन को राष्ट्रीय एकता के लिये जरूरी बताते हुए कहा कि चित्र प्रदर्शनी में प्रतिदिन स्कूली बच्चों को दिखाने ले जाएं। इससे उन्हें ज्ञात होगा कि हमारे वीर पुरुष कौन थे।
समारोह में महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा प्रकाशित शोध ग्रंथों का लोकार्पण भी महामहिम राज्यपाल ने किया। विमोचित होने वाले ग्रंथों में “विक्रम स्मृति ग्रंथ” (हिन्दी, इंग्लिश एवं मराठी)
डॉ. घनश्याम पाण्डेय द्वारा रचित दुनिया के पहले ज्ञात गणितज्ञ महात्मा लगध पर केन्द्रित हिंदी उपन्यास “लगध”, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित के “संवत् प्रवर्तक विक्रमादित्य” एवं ” वेताल पच्चीसी” व डॉ. जगन्नाथ दुबे की पुस्तक “मालवा की जनपदीय मुद्राएँ” हैं।
कार्यक्रम के आरम्भ में उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने राज्यपाल की अगवानी की। निदेशक श्री तिवारी ने अतिथियों का मंच पर स्वागत किया। मंच पर श्री पारस जैन, विधायक उत्तर उज्जैन, अखिलेश पाण्डेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, डॉ. विजय कुमार पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय एवं महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी मौजूद थे। निदेशक श्री तिवारी ने अपने उद्बोधन में महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ की गतिविधियों से अवगत कराया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिलेश पाण्डे ने आभार व्यक्त किया। डॉ. पाण्डे ने इस अवसर पर जानकारी दी कि विक्रम विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष गुड़ी पड़वा पर आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस आशय के निर्देश महामहिम राज्यपाल से प्राप्त हुआ।