Thursday, November 28, 2024
spot_img
Homeचुनावी चौपाललग तो यही रहा है कि भगवा तेवर में होगा अगला चुनाव

लग तो यही रहा है कि भगवा तेवर में होगा अगला चुनाव

रंग दे तू मोहे गेरुआ….. ना तो देश की जनता ने यह गाया और ना ही ‘दिलवाले’ फिल्म में गाए शाहरुख खान के इस गाने के पीछे कोई पूरे देश की भावना थी। फिर भी लग ऐसा रहा है कि जैसे जैसे अगला लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, पूरा देश धीरे धीरे गेरुआ यानी भगवा रंग की तरफ बढ़ता रहा है। माहौल भगवा होता जा रहा है और बीजेपी के यह रंग सुहाता भी है। योगी आदित्यनाथ इस रंग के प्रतीक पुरुष के रूप में उभर रहे हैं और साफ लग रहा है कि आनेवाले दिनों में देश की राजनीति का यह गेरुआ होता रंग कुछ और गाढ़ा होता जाएगा। जिसकी धारा में बहकर कांग्रेस मझधार में ही अटक जाएगी। और देश में फिर से हिंदुत्व के वोटों की फसल लहलहाएगी।

वो आमसभा में गोल टोपी पहनने तक से इंकार कर देनेवाले नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अहमदाबाद की मीनारा मस्जिद में घंटे भर तक खुद घुमाने ले जाना। वो रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे को देश के हर दिल तक पहुंचाना। वो यूपी में भगवाधारी को दिल्ली से सीएम बवनाकर भेजना। वो तीन तलाक के मुद्दे को लगातार मुसलमान महिलाओं के दिलों तक पहुंचाना। वो यूपी में दोनों वक्फ बोर्ड को भंग करके एक बनाने की कवायद शुरू होना। वो ताजमहल को अचानक रोजमर्रा की बहस के मुख्यधारा में लाकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का वहां जाकर झाड़ू निकालना। यह सब क्या है। समझनेवालों को सब समझ में आ रहा हैं। ना समझे वो अपने अनाड़ीपन में जीने को स्वतंत्र है। मगर, तस्वीर साफ है कि लोकसभा का अगला चुनाव भगवा रंग में रंगे जाने को बेताब है। टीवी पर होनेवाली बहसों में रोहिंग्या मुसलमान धुसपैठियों को शरण देने और देश में बसाने की वकालात करनेवालों के विरोध में पांच लाख कश्मीरी पंडितो को फिर से कश्मीर में बसाने की बातें भारतीयों के दिलों में अपने वतन के प्रति पिरेम जगाती हैं। तीन तलाक के मुद्दे पर मुसलमान महिलाओं के वजूद को मजबूत करने का मामला मुसलमान पुरुषों के प्रति समाज में क्या भावना पैदा कर रहा है। आनेवाले कुछ समय में ये सब और भी तेजी से चलता रहेगा, ताकि तेवर और तीखे होते जाएं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मूल रूप से गुजरात के हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी गुजरात के ही रहनेवाले हैं। कांग्रेस चाहे कुछ भी दावे करे, लेकिन गुजरात में बीजेपी की स्थिति न तो कमजोर नहीं है और न ही कांग्रेस मजबूत है। वहां 22 साल से लगातार सरकार में रहनेवाली बीजेपी फिर से निश्चित रूप से अगली सरकार भी बनाएगी। फिर भी वहां पर उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजकर प्रचार कराया जा रहा है। इससे भी कुछ तो समझ में आना चाहिए। इसके जवाब में ताऊम्र मुसलमानों की पक्षधर रही कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी गुजरात में मंदिरों में जाते हैं। गरबा खेलते हैं। राहुल भजन भी गाते हैं और पूजा स्थलों में मत्था टेकने के साथ अपने आस्थावान होने को प्रचारित भी करते हैं। मतलब, बीजेपी कांग्रेस को अपनी धारा में घुसाने में सफल हो रही हैं। देखा जाए, तो चुनावी राजनीति के लिए भाजपा और संघ परिवार के लिए गुजरात हमेशा ही एक प्रयोगशाला के रूप में माना गया है। देश भर में आजमाये जानेवाले चुनावी ब्रहमास्त्रों की शुरूआत गुजरात से ही होती रही है। गुजरात में जो प्रयोग सफल होता है, उसे देश भर में अमल में लाये जाने की बीजेपी की परंपरा रही है। सो, गुजरात की प्रयोगशाला में योगी आदित्यनाथ को आजमाने के अर्थ समझिये। सभी जानते हैं कि गुजरात में चुनाव तो नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाएगा। और चुनाव का नेतृत्व अमित शाह ही करेंगे। जीत भी वे लोग ही दिलवाएंगे। लेकिन फिर भी गुजरात के चुनाव में यूपी के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति इसलिए है, क्योंकि उनका कहीं भी जाना एक खास किस्म का संदेश देता है।

राजनीति के जानकार मानते हैं कि योगी को जिस समय संसद से उठाकर यूपी का मुख्यमंत्री बनाकर लखनऊ भेजा गया था, तभी से मोदी और अमित शाह सहित संघ परिवार के मन में क्या था, उसके तार अब समझ में आ रहे हैं। निश्चित रूप से देश की राजनीति का निर्धारण करनेवाले बीजेपी के बड़े नेताओं के दिमाग में अगला लोकसभा चुनाव जरूर रहा है। इसी कारण फायरब्रांड योगी को पूरे देश में आजमाने की शुरूआत हो चुकी है। दरअसल, भगवाधारी योगी की उपस्थिति ही हिंदुत्व की उपस्थिति के साफ संकेत दे जाती है, सो, वे पहले बिहार गए थे, फिर केरल जाकर फायरब्रांड भाषण दे आए। अब गुजरात के बाद ताजमहल के बाहर झाड़ू निकाल कर कुछ और आगे बढ़ेंगे। गुजरात में उन्होंने कांग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोलते हुए सीधा सवाल पूछा कि कांग्रेस तो जब भगवान राम और कृष्णजी को मानती ही नहीं है तो फिर राहुल गांधी मंदिरों में क्यों जा रहे हैं। योगी देश में भगवा राजनीति के प्रतीक पुरुष बनकर उभर रहे हैं और पूरे देश में इसी रंग की राजनीति करेंगे, यह भी तय है।

बीजेपी के अब तक के सबसे शक्तिशाली और तेजतर्रार अध्यक्ष अमित शाह भले ही अपने हर भाषण में यह कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए एक सौ के करीब नई योजनाएं शुरू की हैं। लेकिन हालात से साफ है कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जाएगा, योजनाएं और उनके फायदों पर हिंदु, हिंदुत्व और हिंदुस्तान की अहमियत भारी पड़ती दिखेगी। बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना चाहे कितनी भी चीख चीख कर रहे कि बीजेपी हिंदुत्व से दूर जा रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। देश की राजनीति में शिवसेना की कोई बड़ी अहमियत नहीं है। फिर उसके कहे को सुननेवाले भी जनते हैं कि शिवसेना के ऐसी हर बात कहने के पीछे मतलब उसके छोटे छोटे स्वार्थों में नीहित हैं। तस्वीर साफ है कि देश की राजनीति में आनेवाले वक्त में हिंदू, हिंदुत्व और धर्म जैसे शब्दों की अहमियत लगातार बढ़ती रहेगी। जिनको नहीं लगता, वे दूसरी तरफ झांकते रहे, लेकिन राजनीति की गहराईयों को समझनेवालों को साफ लग रहा है कि तमाम योजनाओं और विकास की बातों के बजाय अगला चुनाव हिंदुत्व के रंग से होगा और भाजपा ने इसकी अधिकारिक शुरुआत कर दी है। गुजरात के चुनाव से पहले ही प्रचार के लिए यहां योगी आदित्यनाथ का जाना अपने आप में इस बात का संकेत है कि भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को किस दिशा में मजबूत बनाने की तैयारी में है। क्या अब भी आपको नहीं लगता कि देश की राजनीति में अगले चुनाव में भंगवे रंग का अहमियत बढ़ेगी।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार है)
(संपर्क – 09821226894)

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार