जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र न केवल जम्मू और कश्मीर के बारे में सही जानकारी फैलता है, अनेकों मिथ दूर करता है, बल्कि यह प्रदेश के दूर दराज के गाँवो में, सरहद पर अति कठिन परिस्थितिओं में सीमा पर बसने वाले भारतियों को यथासंभव मदद भी पहुंचता है। जम्मू, लेह-लदाख के मुश्किल भूभाग हों या जम्मू के सीमावर्ती गाँव, कश्मीर अध्ययन केंद्र के स्वयंसेवक (वालंटियर्स) स्कूल-स्कूल में पहुंचकर न केवल छात्रोपयोगी सामान बाँटते हैं बल्कि वहां रहने वाले लोगों के बीच भारत के जुडाव को पोषित भी करतें हैं। अध्ययन केंद्र के वालंटियर्स इनको ‘सुरक्षा का पहला घेरा’ (First Line of Defense) या ‘सबसे बड़े देशभक्त’ (Supreme Patriot) कहकर संबोधित करते हैं।
बेरोजगारी की वजह से ये गरीब क्षेत्र हैं। इन स्थिति का नुकसान यहाँ के बच्चो की को भी होता है। पढाई सम्बंधित चीजें महंगी मिलने से इनकी पढाई पर सीधा प्रभाव देखने को मिलता है।
जम्मू की सरहद पर रहने वाले लोगो से मिलने के लिए, कई जगह, कुल 18 दरवाजों से होकर जाना पड़ता है। यहाँ पर दैनिक दिनचर्या के साथ साथ रोजमर्रा की वस्तुएं जुगाड़ना मुश्किल काम है। ऐसे ही स्थिति लद्धाक के दूर दराज के क्षेत्रों में भी है। चीजे मिलना मुश्किल और मिलती भी हैं तो सामान्यत: महंगी।
‘यहाँ के बच्चों की पढाई ख़राब नहीं होनी चाहिये’ इन क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने वाले जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के स्वयंसेवकों (वलंटियर्स) का प्रेरक सिद्धांत है। उनका मानना है कि यदि हम यदि हम यहाँ रहने वालों के बच्चों को कुछ पल की खुशी दे सकें तो यह सबसे अच्छा काम होगा।
अप्रैल 2015 में अध्ययन केंद्र ने अंतराष्ट्रीय सीमा और लाइन ऑफ कंट्रोल के जीरो प्वाइंट क्षेत्रों में जाकर स्कूलों में समान वितरित किया। भारतीय सेना ने भी अध्ययन केंद्र के इस काम की काफी सराहना की है।
अक्टूबर 2015 में अध्ययन केंद्र ने 6 लाख का समान भारतीय सेना की मदद से चंड़ीगढ़ से लेह तक सड़क मार्ग से होते हुए लेह के स्कूलों में वितरित किया। छात्रों में बांटा गया यह समान, लद्दाख की जन्स्कार घाटी जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी वितरित किया गया।
उल्लेखनीय है कि इसी क्षेत्र की एक लड़की लोबसग डोलमा को अध्ययन केंद्र ने इंजीनियरिंग करने का सारा खर्चा भी वहन किया। ये अब ए. आई. आई. एम. वल में इन्जिनीरिंग तृतीय वर्ष की छात्रा है। जन्स्कार वेली के बारे में जम्मू काश्मीर अध्ययन केंद्र के स्वयंसेवक बताते हैं कि इस क्षेत्र में आज भी बच्चे खच्चर पर बैठकर स्कूल जाते हैं। इस क्षेत्र के लोगों ने पहली बार स्कूल के आधुनिक टिफिन बॉक्स जैसी वस्तुएं देखी हैं।
इन सबके अलावा, जून 2014 में, शहादरा शरीफ, रजौरी, मत्थान (कारगिल), द्रास, बाल आश्रम (कारगिल), अल जहर कन्या अनाथालय (सांगर), संकेटी, चन्सपा, टुचपा और सितंबर 2014 में डूँगी, रजौरी और पहाड़ी हॉस्टल रजौरी में भी छात्रों के बीच स्टेशनरी वितरित की गई।
अध्ययन केंद्र के चंडीगढ़ यूनिट द्वारा जून 2014 में 35 हजार की स्कूल स्टेशनरी से शुरू हुआ सेवा का काम अब तक कुल 10 लाख का समान वितरित करने तक पहुंच चुका है। 2015 में भी चंडीगढ़ के स्कूल और कॉलेजों में बॉक्स रखे गए जिसमें करीब पांच लाख से उपर की राशि का समान एकत्रित हुआ। नवंबर 2015 में अध्ययन केंद्र ने लोगों से अपील की थी कि वे ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से समान खरीदे और उनके पते पर भेज दें। इसका परिणाम यह निकला कि अभी, फरवरी 2016, तक कुल 72 पैकेट ,जो कि करीब एक लाख रुपये तक के हैं, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के चंडीगढ़ चैप्टर को मिल चुकें हैं।
सरहदों पर लोग लोग अपने आप को अकेला न समझे इसी उद्देश्य से अध्ययन केंद्र की एक टोली चंडीगढ़ से फिर से 24 फरवरी से कठुआ, सांभा और रजौरी की सरहदों पर जा रही है।
इस दौरान अध्ययन केंद्र के स्वयंसेवक स्कूल के बच्चो के बीच फुटबॉल, वोलीबाल, कैरमबोर्ड टिफिन बॉक्स, स्कूल बैगस, स्कूल ड्रेस, पेन्सिल्स, कॉपीस, पोर्टेबल ब्लैकबोर्ड, टीचिंग ऐड का सामान, कलर बॉक्सेस, किताबें आदि विद्यालय में बच्चों के काम आने वाली अनेकों वस्तुएं वितरित करेंगे।
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र को दिए गए डोनेशन को इन्कम टेक्स की धारा 80 C के तहत छूट प्राप्त है। जिसकी रिसिप्ट अध्ययन केंद्र अपने डोनर्स को देता है।
Bank Details for fund donations:
Name: JAMMU KASHMIR STUDY CENTER CHANDIGARH
Bank: STATE BANK OF INDIA
Account No.: 33659232836
Branch: SECTOR 14 CHANDIGARH
Branch CODE: 00742
IFSC CODE: SBIN0000742
SWIFT CODE: SBININBB141
Type of Bank Account: Saving
Contact: 9888486349