Sunday, November 17, 2024
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जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के नए अंक में इस बार

cover8-page-001साहित्यिक विमर्श (कविता, नवगीत, कहानी, लघु-कथा, पुस्तक समीक्षा )

कविता
पंकज त्रिवेदी (कविता), अभिषेक कांत पाण्डेय (कविता), अजय सिंह (कविता), अंजू मोटवानी (कविता), अर्चना झा (कविता), बलजीत सिंह (कविता), डॉ ऋतू वार्ष्णेय गुप्ता (कविता), किरण नामदेवराव कुंभरे (कविता), मनोज कुमार (कविता), पंकज कुमार शाह (कविता), सरिता गुप्ता (कविता), सर्वदमन शर्मा (कविता), विजय कुमार (कविता)

नवगीत
कल्पना वाजपयी (नवगीत)

कहानी
समझदार: मोहन वरागी (कहानी)
क्यूँ छोड़ा कबूतरी ने घोसला: रोचिका शर्मा (कहानी)
विकल: रश्मि पाठक (कहानी)
एक ऐसी बहुरिया: सुधाकर राजेन्द्र (कहानी)

लघुकथा
पराजय : अशोक गुजराती (लघुकथा)
इनसान: खेमकरण ‘सोमन’ (लघुकथा)
निशक्त: रश्मि प्रणय वागले (लघुकथा)

पुस्तक समीक्षा
अपने भी (उपन्यास)-विपिन बिहारी: डॉ. कर्मानंद आर्य (पुस्तक समीक्षा)
संवाद का आधुनिक रूप- थेरी गाथाएं: मनीषा (पुस्तक समीक्षा)
अपने समय की संवेदनशील अभिव्यक्ति- किनारे की चट्टान: एम्.एम्. चंद्रा (पुस्तक समीक्षा)
विवाह संस्था पर प्रश्न चिन्ह-एषणा: एम.एम. चंद्रा (पुस्तक समीक्षा)

शोध विमर्श
सामाजिक उत्प्रवाह पर शोध की नजर: ईश शक्ति सिंह

मीडिया विमर्श
सामुदायिक रेडियो और महिला सशक्तिकरण: अनिल कुमार पाण्डेय

दलित एवं जनजाति विमर्श
दलित विमर्श और दलित आंदोलन: प्रवेश कुमार
‘मुर्दहिया’ के दलित लोकजीवन का यथार्थ: आनंद दास
अछूतोद्धार: भाषा अस्मिता का सवाल: चेतन सिंह
अपने ही देश में अजनबी होने का दंश-अस्मिता की तलाश: धीरेन्द्र सिंह
जयनंदन की कहानियों में लोटन डोम: गोपाल प्रसाद
इक्कसवीं सदी के उपन्यास साहित्य में आदिवासी नारी (‘धार’उपन्यास के विशेष संदर्भ में): इसुफ़अल्ली महमंद शेख
हिंदी सिनेमा: दलितों की अनुपस्थिति: प्रो. उर्मिला पोरवाल
आदिवासी चिंतन: सपने, संघर्ष और चुनौतियाँ एवं वर्तमान समय: मोह. रहीश अली खां
जनजातीय क्षेत्र- बस्तर जिला में मनाव संसाधन विकास की चुनौतियाँ: एक मानवशास्त्रीय चिंतन: डॉ. रूपेंद्र कवि, डॉ. अशोक प्रधान
अदम गोंडवी की कविता में दलित: संगीता रानी

स्त्री विमर्श
स्त्री विमर्श: प्रतिक्रिया की जुगाली मात्र नहीं: प्रो. अजय कुमार साव
अदम गोंडवी की कविताओं में स्त्री: आलोक कुमार शुक्ल
नारी की समानता एवं स्वतंत्रता: डॉ. मो. मजीद मिया
इक्कसवीं सदी के कहानी साहित्य में चित्रित नारी विमर्श: डॉ. सौ. सुरैया इसुफ़अल्ली शेख
श्रृंखला की कड़ियाँ में निहित स्त्री विमर्श के स्वर: नेहा गोस्वामी
स्त्री आत्मकथाओं में अभिव्यक्त स्त्री-मुक्ति संघर्ष: सुमन सिंह

शिक्षा विमर्श
गांधी की दृष्टि में शिक्षा: महेश कुमार तिवारी
सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक: एक नया शैक्षणिक आयाम: निशांत गुंजन
सूचना संचार प्रौद्योगिकी और आधुनिक भारतीय शिक्षा: विपुल कुमार शर्मा

बाल विमर्श
बचपन खो गया बाल श्रम में: प्रवीण पाठक
खो रहा बचपन: बचपन पर मंडराता अँधेरा: आकांक्षा यादव
समकालीन परिवेश में बाल साहित्य: कृष्ण कुमार यादव
बच्चे का मन तो नहीं है बीमार: अभिषेक कांत पाण्डेय

युवा विमर्श
युवा निर्माण की भूमि शिक्षण संस्थान: सविता प्रथमेश
बाजार और युवा: गौरव कुमार

भाषिक विमर्श
हिंदी-उर्दू-हिंदुस्तानी विवाद: गाँधी जी के दृष्टिकोण की समालोचना: अनुरुद्ध सिंह

हिंदी विश्व
वैश्विक राह पर चलायमान हिंदी का यथार्थ: डॉ. मनजीत सिंह
हिंदी के विकास में विश्व हिंदी सम्मेलनों की उपयोगिता: ख्याति सोनी

शोध आलेख
लोकसाहित्य एवं संस्कृति: नैरन्तर्य और विकास: प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा (लोक विमर्श)
बुन्देली लोकगीतों में झलकती लोकसंस्कृति और लोकपरम्पराएं: प्रो. उषा सिंह एवं एच.पी. सिंह (लोक विमर्श)
व्यावसायिकता से दूर खड़ा है प्रतिरोध का सिनेमा: मो. जिशान (सिने विमर्श)
भारतीय फ़िल्म गीत-संगीत का अनमोल रतन: रवीन्द्र जैन: डॉ मोहसिन खान (सिने विमर्श)
किसान आत्महत्या एवं सरकारी योजनाएं: समाजशास्त्रीय विश्लेषण (विदर्भ के विशेष संदर्भ में): अभिषेक त्रिपाठी
नारी के विविध रूपों के संसर्ग में रामदरश मिश्र की कविता: दयाराम
नव उपनिवेशवादी समस्याओं से जूझता कथाकार: धर्मेन्द्र प्रताप सिंह
सैंधव कालीन आंतरिक एवं बाह्य व्यापार: डॉ. जीतेंद्र कुमार
धूमिल हलफनामा: डॉ. संतोष मिश्रा
आलोचना का अर्थ और आलोचकीय दायित्व: राम चंद्र पाण्डेय
भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में इक्कसवीं सदी के हिंदी उपन्यास: एक ब्रेक के बाद’ के विशेष संदर्भ में: सुर्याबा जगन्नाथ शेजाल
उत्तराखंड के साहित्य में नारियों की समाजिक स्थिति: त्रिलोक चंद्र भट्ट
भारत निर्माण महात्मा गाँधी से नरेंद्र मोदी तक: विवेक पाठक
ओस की बूंद में राजनीतिक द्वन्द: यासीन अहमद

साक्षात्कार
विजेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा ऋषभदेव शर्मा का साक्षात्कार
आशीष कुमार के द्वारा डॉ. उमेश कुमार सिंह का साक्षात्कार

नव लेखन
वर्तमान समय में साहित्य की सामाजिक सार्थकता: डॉ. ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता
अँधेरे के खिलाफ उजाले की लड़ाई : शैलेन्द्र चौहान
बोले जाने पर बोला जाना चाहिए: अखतर अली
पर्यावरण की समस्या और समाधान के प्रयास: अनुराग कुमार पाण्डेय
युग प्रवर्तक- महात्मा गांधी: डॉ. लवलेश दत्त
समीक्षा की दहलीज़ पर उपेक्षित रचनाएं- कौशलेंद्र प्रपन्न

एक निवेदन

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