Sunday, November 17, 2024
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पत्रकारिता विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुआ सामूहिक सूर्य नमस्कार

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आज प्रातः 9.15 बजे सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। साथ ही स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर युवा दिवस के रूप में ‘स्वामी विवेकानंद का संचार कौशल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन भी हुआ। व्याख्यान के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय थे। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति समेत बड़ी संख्या में अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार किया, तत्पश्चात व्याख्यान का आनंद लिया।

‘स्वामी विवेकानंद का संचार कौशल’ विषयक व्याख्यान में अपने विचार रखते हुए श्री गिरीश उपाध्याय ने कहा की स्वामीजी के जीवन के अनेक प्रसंग उनकी अद्भुत संचार क्षमता के परिचायक हैं। उनके विचार की सहजता और स्वाभाविकता ही उसे प्रेषणीय बनाती है और उसे संचरित भी करती है। स्वामीजी वाणी में ओजस्विता के साथ सहजता का पुट उसको व्यापक आधार प्रदान करता है। उन्होंने व्यक्ति के साथ समष्टि के परिष्कार की बात भी की। समाज सुधार, सामाजिक विकृतियाँ तथा विसंगतियों के उन्मूलन पर हमेशा उनकी दृष्टि रही है। वे सदियों से वंचित और अवहेलित समाज के वर्ग विशेष को उन्नत और शिक्षित देखना चाहते थे। श्री गिरीश उपाध्याय द्वारा विश्वविद्यालय की ओर से ‘स्वामी विवेकानंद की संचार अवधारणा एवं प्रक्रिया’ पर एक व्यापक शोध कार्य किया गया है, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा पुस्तकाकार में प्रकाशित किया गया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि स्वामीजी अपने समय के बहुत बड़े स्वप्नकार थे और वे जिस प्रकार का भारत और जिस रूप में मानवता को देखना चाहते थे उसका उन्होंने भरपूर संचार किया। स्वामीजी का मानना था कि संवाद में समाज के या दूसरों के केवल दोष ही नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसके सकारात्मक पक्ष पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए और इसे उन्होंने अपने जीवन में ढाला। उन्होंने युवा विद्यार्थियों से आग्रह किया की जीवन में ऊर्जा के संचार के लिए सूर्य नमस्कार एक अच्छा अभ्यास है और विद्यार्थियों को इसे प्रतिदिन करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार एवं विवेकानंद जयंती के इस प्रसंग में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा सहित समस्त विभागाध्यक्ष, अध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

(डॉ. पवित्र श्रीवास्तव)

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