पत्रकारिता क्षेत्र में संघर्षशील पत्रकारों में राजस्थान में कोटा शहर के पत्रकार के. डी.अब्बासी का व्यक्तित्व संघर्ष की अनूठी मिसाल कहा जा सकता है। आज स्वतंत्र अधिस्वीकृत पत्रकारों के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस पत्रकार का जीवन संघर्षों की कहानी कहता है। जीवन में अनेक उतार – चढ़ाव से गुजरते हुए भी पत्रकारिता को जिंदा रखे रहे, यह इनके साहस, हिम्मत, होंसले और पत्रकारिता के प्रति प्रेम का ही परिणाम है। हाल ही में कोटा में आयोजित अब्बासी समाज के पुस्तक विमोचन समारोह में इन्हें पत्रकारिता और लेखन के लिए समाज द्वारा इन्हें सम्मानित कर इनकी होंसला अफजाई की गई जो पत्रकार जगत के लिए गौरव का विषय है।
स्नातक तक पढ़े – लिखे अब्बासी सामान्य परिवार से हैं। बहुत कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी का एहसास होने से परिवार के लिए आर्थिक इकाई के रूप में जुट गए। करीब 22 वर्ष पूर्व जलगांव महाराष्ट्र में तकसीम बानो से विवाह होने पर पारिवारिक जिम्मेदारी और बढ़ गई।आज जबकि एकल परिवार का प्रचलन बढ़ रहा है अब्बासी अपनी माता जी, भाई – बहन के साथ संयुक्त परिवार के रूप में रह कर परिवार परम्परा का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं।
पत्रकारिता के संघर्ष काल में जब डिजिटल पत्रकारिता नहीं थी तब क़लम से की जाने वाली पत्रकारिता के लिए इन्होंने कलम बनाने की फैक्ट्री ही खोल दी। वह कहते थे मेरे बनाये हुए पेनों से पत्रकार कुछ ऐसा करिश्मा करें कि रोते हुए लोग मुस्कुराये। पीड़ितों को इंसाफ मिले। बेईमान और भ्रष्टाचार लोगो को सजा मिले। समाज के मजलूम एवं निर्धन लोगों की समस्याओं को सामने लाया जाए। समस्याओं के समाधान की राह निकले। पत्रकार ऐसे विषयों पर अपनी कलम चलाएं।
इनकी उत्पादित क़लम पुराने वक़्त के कमोबेश सभी पत्रकारों के हाथो में आम जनता को इंसाफ देने के लिए काम करती रही। यही नहीं अब्बासी अपने साथियों के साथ मिलकर उन्हें स्वरोज़गार के लिए उत्प्रेरित भी करते रहे। समय निकाल कर ,अपना वक़्त देकर उन्हें स्थापित करने का सफलतम प्रयास भी किया। यही वजह है के आज कई साथी लोग इनकी वफादारी ,कुशल प्रबंधन ,मदद से सफलतापूर्वक अपना रोजगार कर रहे हैं।
कोटा से प्रकाशित एक छोटे से समाचार पत्र विश्वमेल से पत्रकारिता की शुरुआत कर ,जननायक ,भारत की महिमा से होते हुए इनका सफ़र दैनिक जागरण, नोएडा के राष्ट्रीय सहारा ,सहारा टी वी चैनल, हनुमानगढ़ के दैनिक इबादत, उदयपुर के हिंदी समाचार पोर्टल प्रेस नोट सहित कई पत्र -पत्रिकाओं ओर मैग्ज़ीनों तक पहुंच गया। प्रतिदिन ज्वलंत मुद्दों पर लिखने वाले इस पत्रकार की ज़िंदा दिल, निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार के रूप में पहचान है। आज स्वतंत्र पत्रकार के रूप में पत्रकारिता कर रहे हैं।
अपराध समाचार विशेषज्ञ के रूप में इन्होंने अपनी विशेष छवि बनाई है। पुलिस प्रताड़ना हो, कहीं कोई भी प्रदर्शन हो, समस्याग्रस्त ज्ञापन बाज़ी हो ,रेलवे में अव्यवस्था हो , नाली, पटान ,खरंजे की समस्या हो ,प्रेस कॉन्फ्रेंस हो ,जनता की समस्याओं के समाधान से जुड़े सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा की जा रही उपेक्षा हो सभी कुछ इनकी त्वरित ,जीवंत ,फोटोग्राफ के साथ लाइव रिपोर्टिंग हर पल हर क्षण प्रसारित होती हैं। छोटे मंझोले समाचार पत्रों सहित सभी पत्रकारों इनकी दैनिक खबर बुलेटिन का इन्तिज़ार बेसब्री से करते हैं। इनके द्वारा लिखित समाचार अनेक बार बड़े अखबारों की सुर्खियां बनते हैं।
पत्रकारिता के साथ – साथ आपने लेखन के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा कर सह लेखक के रूप में डॉ.सिंघल के साथ मिल कर पत्रकारिता और जनसंचार विषय पर ” मीडिया संसार” पुस्तक लिखी जिसकी चहूंओर सराहना की गई। आपने विभिन्न विषयों पर कई स्मारिका आँ का संपादन भी किया। कई समाचार पत्रों में उप संपादक भी रहे।
कलेक्ट्रेट परिसर स्थित अपनी पत्नी की ज़ेरॉक्स की दुकान पर बिना किसी लालच और मतलब के आने वाले मीडिया कर्मियों को हर संभव सहायता करते हैं। मीडिया कर्मियों से इनके दोस्ताना तालुकात इतने गहरे हैं कि जरुरत पड़ने पर वे कोई भी सूचना की पुष्टि फोन कर इनसे करते हैं। नए प्रयोग करते हुए इन्होंने हर पत्रकार के जन्मदिन पर खुशियां देने के लिए सभी पत्रकारों की और से बधाई न्यूज़ जारी करने का नवाचार किया,जिसे कोटा के पत्रकार जगत में खूब सराहा गया। आज की मतलबी दुनिया में पूरी ईमानदारी, वफादारी और मिलनसारिता के साथ जीवन संघर्ष करते हुए जिस प्रकार यह पत्रकारिता कर्म को एक जुनून के साथ कुशलता से निभा रहे हैं वह नई पीढ़ी के पत्रकारों के लिए अनुकरणीय और प्रेरक है।