चेन्नई।
मद्रास हाईकोर्ट के मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि भारतीय संविधान के अस्तित्व को जारी रखने के लिए संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के समय मौजूद जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल को बनाए रखना आवश्यक है।
उन्होंने तमिल में दिए गए भाषण में कहा, “संविधान सभी के लिए अंतिम है … यदि संविधान को वही रहना है तो संविधान के निर्माण के समय मौजूद जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल को बनाए रखना होगा। जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल समान रहने पर ही संविधान बना रहेगा।” यदि जनसांख्यिकी प्रोफ़ाइल बदलती है तो संविधान नष्ट हो जाएगा।”
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने इस मुद्दे पर आगे बोलते हुए कहा कि देश की जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल को बनाए रखने के लिए किसी को “भारतीय परंपराओं” और “धर्म” का पालन करना होगा जो देश में मौजूद हैं। जस्टिस स्वामीनाथन ने भारतीय संस्कृति के बारे में बात करते हुए आगे टिप्पणी की कि जब तमिल कवि-संत अंडाल ने अपने भजनों में लोगों को जगाने के लिए कहा, तो उनका मतलब यह था कि लोग जागें और देखें कि हमारा समाज बहुत खतरे का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा, ” जब अंडाल ने अपने भजनों में लोगों को अपनी नींद से जगाने के लिए गाया तो मुझे लगा कि वह भारतीय समाज को जगाने के लिए कह रही है, जो बिना यह जाने शांति से सो रहा था कि यह बहुत खतरे में है।” उन्होंने इस मुद्दे पर आगे कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि जज होने के नाते वह और टिप्पणी नहीं कर सकते। हाईकोर्ट के न्यायाधीश पत्रकार और अभिनेता रंगराज पांडे के पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
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