अनुसंधान एवं विस्तार वनमंडल की अरण्यिका नर्सरी में पीले रंग के फूल वाले दुर्लभ सेमल के 600 पौधे तैयार कर लिए गए हैं। जानकर अचरज होगा कि यह पौधे कानन पेंडारी के एक सेमल पेड़ के कारण तैयार हो पाए हैं। दुर्लभ होने के कारण ही जू प्रबंधन ने इस प्रजाति के संरक्षण की योजना बनाई। इसके लिए फूलों के फल बनने का इंतजार करने के बाद बीज को अरण्यिका नर्सरी को उपलब्ध कराया गया।
सामान्यतः सेमल फूल का रंग लाल होता है जो हर जगह पाया जाता है। लेकिन पीले रंग का सेमल दुर्लभ है। कानन पेंडारी में इस दुर्लभ प्रजाति का एक पेड़ है। इसकी पहचान तब हुई जब कुछ महीने पहले उसमें फूल खिले। बिलासपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश में ही यह प्रजाति नजर नहीं आती है। इस विलुप्त प्रजाति के पेड़ का जू में नजर आना किसी उत्साह से कम नहीं था।
दुर्लभ होने के कारण ही जू प्रबंधन ने इस प्रजाति को संरक्षित करने की पहल की। हालांकि यह चुनौतीनपूर्ण कार्य था और इनके पौधे जू में तैयार कर पाना कठिन था। ऐसी स्थिति में जू से लगे अनुसंधान एवं विस्तार वनमंडल की अरण्यिका नर्सरी में तैयार करने की योजना बनाई गई। इस नर्सरी में उच्च तकनीक से पौधे तैयार करने की सुविधा है। यहां पोलीप्रोपोगेटर मिस्ट चेंबर, सीड जमीनेटर से लेकर टिशू कल्चर से पौधे तैयार करने की आधुनिक उपकरण उपलब्ध है।
जू प्रबंधन का मानना था कि उनकी पहल इसी नर्सरी में सफल हो सकती है। इसे लेकर नर्सरी प्रभारी विवेक चौरसिया व रोपणी प्रभारी अरविंद शर्मा से चर्चा की। उनकी सहमति के बाद जू प्रबंधन ने बीज इकट्टा करने का काम प्रारंभ किया। जब बीज इकट्टा हो गए, तब उन्हें नर्सरी को दिया गया। नर्सरी के कर्मचारियों व आधुनिक उपकरणों की बदौलत पोलीप्रोपोगेटर में पीले सेमल के बीजों को अंकुरण करते हुए 15 बाई25 सेमी आकार के पोलीपाल में इस दुर्लभ प्रजाति के 600 पौधे तैयार कर लिए गए।
स्मृति वाटिका व कानन में रोपे जाएंगे 100 पौधे
कानन पेंडारी जू प्रभारी व रेंजर टीआर जायसवाल का कहना है कि अरण्यिका नर्सरी में तैयार इस दुर्लभ प्रजाति के 600 पौधों में से 100 को कानन पेंडारी व स्मृति वाटिका और अरण्यिका रोपणी में रोपण किया जाएगा। शेष पौधे अरण्यिका रोपणी में पौधा तैयारी में आई लागत मूल्य पर बिक्री की जाएगी। इसे कोई भी क्रय कर सकता है।
इन क्षेत्रों पाए जाते हैं
पीले रंग का सेमल पश्चिमी अफ्रीका, इंडियन सब कांटीनेंटल, दक्षिण पूर्व एशिया एव उत्तरी आस्ट्रेलिया में पाया जाता है। फरवरी 2007 में बोरीवली नेशनल पार्क में पीला सेमल देखा गया था। आंध्रा झील के पास भी कहीं – कहीं इसके पाए जाने की सूचना है। इसलिए कानन पेंडारी जू में इसका पाया जाना अचरज की बात है। यही वजह है कि जू प्रबंधन ने इसके संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया है।
साभार- http://naidunia.jagran.com/ से