भक्तिरस से परिपूर्ण कश्मीरी रामायण “रामावतारचरित” का परिमार्जित सचित्र-पेपर-बैक संस्करण अपने नए रूप-कलेवर और व्याख्या के साथ अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।कश्मीरी की इस लोकप्रिय रामायण का हिन्दी में अनुवाद किया है प्रसिद्ध अनुवादक डॉ़ शिबन कृष्ण रैणा ने। कश्मीरी पंडितों के कश्मीर(कश्यप-भूमि) से विस्थापन/निर्वासन ने इस समुदाय की बहुमूल्य साहित्यिक-सांस्कृतिक विरासत/धरोहर को जो क्षति पहुंचायी है, वह सर्वविदित है।
कश्मीरी रामायण ‘रामवतारचरित’ का यह पेपरबैक-संस्करण इस संपदा को अक्षुण्ण रखने का एक विनम्र प्रयास है।कश्मीरियत के रंग में सराबोर यह रामायण हर दृष्टि से पाठनीय है। :रामावतारचरित’ का एक अनुवादित अंश देखिए: “गोरव गंअडमच छि वथ,बोज़ कन दार, छु क्या रोजुऩ, छु बोजुऩ रामावतार। ति बोज़नअ सत्य वोंदस आनंद आसी, यि कथ रठ याद, ईशर व्याद कासी। ति जाऩख पानु दयगत क्या चेह़ हावी, कत्युक ओसुख चे,कोत-कोत वातनावी।” (गुरुओं ने एक सत्पथ तैयार किया है,इसे तू कान लगाकर सुन। यहां कुछ भी नहीं रहेगा, बस, रहेगी रामवतार की कथा। इसे सुनकर हृदय आनंदित हो जाएगा,यह बात तू याद रख।
इसे सुनकर ईश्वर तेरी सारी व्याधियां दूर करेंगे और तू स्वयं जान जाएगा कि प्रभु-कृपा/दैवगति तुझे कहां से कहाँ पहुंचाये गी!) इस रामायण की दो पृष्ठ की सुन्दर प्रस्तावना परम विद्वान डॉ. कर्णसिंह जी ने लिखी है और शुभकामना-सन्देश भारतीय सांस्कृतिक संबंध के पूर्व महानिदेशक और वर्तमान में आयर लैंड में भारत के राजदूत माननीय श्री अखिलेश मिश्रजी ने भेजा है। रामभक्तों और रामकाव्य-अध्येताओं के लिये यह कालजयी रचना अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
यह सुन्दर रामायण समेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
DR.S.K.RAINA
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