अमेरिका के एक पूर्व जासूस को 20 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई है. उस पर चीन सरकार को अमेरिका की गोपनीय जानकारियां बेचने का आरोप साबित हुआ है. आरोपित का नाम केविन पी मैलरी बताया गया है. वह वर्जीनिया के लीसबर्ग का रहने वाला है.
ख़बरों के मुताबिक 62 वर्षीय केविन सेवानिवृत्त सैनिक है. सेना से रिटायर होने के बाद उसने सीआईए (केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी) और डीआईए (सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी) के लिए काम करना शुरू कर दिया. उसने साल 2012 तक यह काम किया. इस दौरान उसे सुरक्षा जांच के बिना अतिगोपनीय स्तरों पर भी आवाज़ाही सुविधा मिली हुई थी. इस नौकरी के बाद उसने कंसल्टेंसी का अपना काम शुरू कर लिया.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पांच साल बाद केविन को व्यापार में घाटा होने लगा. उसका घर बिकने तक की नौबत आ गई. तभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन के जरिए उसका संपर्क चीन की शंघाई अकादमी ऑफ सोशल साइंस से हुआ. यह अकादमी कहने के लिए तो एक विशेषज्ञ चिंतक समूह के तौर पर काम करती है. लेकिन वास्तव में इसका काम ख़ुफ़ियागिरि में चीन सरकार की मदद करना है.
बताया जाता है कि शंघाई अकादमी के संपर्क में आने के बाद केविन ने दो बार चीन की यात्रा की. वहां उसे चीन के अधिकारियों ने अपनी तरफ से एक विशेष सुविधाओं से लैस मोबाइल फोन दिया. इसके जरिए वह चीनी अधिकारियों से संपर्क में रह सकता था. इन मुलाकातों के दौरान ही केविन ने चीन के अधिकारियों को गोपनीय अमेरिकी जानकारियां बेचीं. इसके बदले में उसे 25,000 डॉलर का भुगतान हुआ.
हालांकि केविन की चीन के साथ इस संलिप्तता का ख़ुलासा भी ख़ुद उसकी वज़ह से ही हुआ. उसने मई-2017 में सीआईए से संपर्क कर ख़ुद बताया कि उसने चीन को कुछ ग़ैरज़रूरी दस्तावेज़ बेचे हैं. उसने दावा किया कि वह असल में चीनी एजेंसियों को चकमा देने की कोशिश कर रहा है. उसने चीन से मिला अपना फोन भी सीआईए को दे दिया. लेकिन मामले की जांच में पता चला कि असल में उसने कुछ ज़रूरी गोपनीय दस्तावेज़ चीन को सौंप दिए थे. लिहाज़ा उसे इस आरोप में दोषी मानते हुए अदालत ने 20 साल क़ैद की सज़ा सुना दी.